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ठाकुरगंज में बियाडा की जमीन न होने व विद्युत आपूर्ति की लचर व्यवस्था के कारण उद्योग लगाने की रफ्तार हैं धीमी: जगदीश धानुका

सारस न्यूज, किशनगंज।

ठाकुरगंज प्रखंड में उद्योगों को लगाने में बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (बियाडा) के पास जमीन की उपलब्धता एक बड़ी बाधा बन कर खड़ी है। किशनगंज जिले के इस क्षेत्र में कई और उद्योग लग सकते हैं। यदि राज्य सरकार अथवा उद्योग मंत्रालय किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के आसपास के इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे बियाडा के माध्यम से उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए जमीन उपलब्ध कराती हैं तो भारी मात्रा में उद्यमी यहां उद्योग लगाने के लिए कतार में खड़े हैं। उक्त बातें ठाकुरगंज के गलगलिया में स्थापित राज्य के एकमात्र फ्लाई ऐश ब्रिक्स की फैक्ट्री फिदरलाईट बिल्डकॉन प्रा लिमिटेड के मालिक व उद्योगपति जगदीश धानुका ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा। उन्होंने बताया कि यहां जो भी उद्योग चल रहे हैं या नए उद्योग लग रहे हैं वह खुद उद्योगपतियों की खरीदी गई जमीन है। यदि राज्य सरकार बियाडा के माध्यम से जमीन तथा बिहार राज्य औद्योगिकी नीति के तहत निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति मुहैया कराती हैं तो इस क्षेत्र से सटे दार्जिलिंग जिले व उत्तर भारत के कई उद्यमी फैक्ट्री लगाने में दिलचस्पी दिखा सकते हैं, क्योंकि किशनगंज जिले का ठाकुरगंज प्रखंड में बिहार राज्य व अन्य बड़े शहरों के अपेक्षा का तापमान काफी संतुलित हैं। भौगोलिक एवं यातायात तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार की उपलब्धता के दृष्टिकोण से इस क्षेत्र में उद्योग लगाने में उद्यमियों के लिए काफी फायदेमंद है।

उद्योगपति जगदीश धानुका ने बताया कि वह खुद राज्य में सबसे बड़ा अत्याधुनिक आलू फसल के लिए 15 हजार टन तथा फल व हरी सब्जियों के लिए 5 हजार टन कुल 20 हजार टन क्षमता का कोल्ड स्टोरेज संयंत्र लगाने के लिए इच्छुक हैं पर इस क्षेत्र में बियाडा के पास न कोई जमीन उपलब्ध है और न ही इस क्षेत्र में पुर्व से संचालित चार चाय प्रसंस्करण उद्योगों तथा फ्लाई ऐश ब्रिक्स व स्टार्च फैक्ट्री कुल छः उद्योगों के लिए पर्याप्त मात्रा में सरकार निर्बाध रूप से बिजली ही मिल पा रही हैं, जिससे उद्यमियों को उत्पादन की क्षमता एवं लागत में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा हैं। इससे उद्यमी उद्योग लगाने के लिए कतरा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि बिहार के इस क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए काफी अनुकूल वातावरण हैं। यह क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 327 ई से जुड़ा हुआ हैं, जो सीमांचल के सभी जिलों से जुड़ते हुए मिथिलांचल – पटना व देश के बड़े शहरों से फोर लेन सड़क से कनेक्टेड है तो दूसरी ओर दार्जिलिंग जिले के साथ पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तर भारत के सभी राज्यों के अलावा पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के झापा जिला से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित हैं। साथ ही यहां से बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार आदि सार्क देशों से एशियन हाईवे के सुगम मार्ग से कुछ ही किमी की दूरी से संपर्कित हैं, जो इस क्षेत्र के लिए एक वरदान है।
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने के लिए राज्य सरकार एवं उद्योग मंत्रालय को इंडस्ट्रियल एरिया के रुप में डेवलपमेंट करने की बड़ी आवश्यकता हैं। जहां एक ओर राज्य के अन्य बड़े शहरों व क्षेत्रों में उद्योग लगाने के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन बियाडा के पास उपलब्ध है। वहीं इस क्षेत्र में जहां पुर्व से ही बिना सरकार व मंत्रालय के सहयोग से छः उद्योग चल रहे और एक अनमोल बिस्कुट फैक्ट्री का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा हैं, ऐसी स्थिति में इंडस्ट्रियल एरिया बनाने के लिए जमीन ही उपलब्ध न होने से उद्योग लगाने की रफ्तार पकड़ नहीं पा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में चाय प्रसंस्करण उद्योग के रुप में करीब दस वर्ष पुर्व से उद्योग लगने शुरु हो गए थे, पर औद्योगिक क्षेत्र के रुप इस क्षेत्र को विकसित करने की कोई योजना नहीं होने से इंडस्ट्रियल का ग्रोथ नहीं हो पाया है। वैसे राज्य के अन्य दुसरे प्रक्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों के लिए बहुत हद तक जमीन उपलब्ध है। पर ठाकुरगंज प्रखंड इलाके में बियाडा के पास उद्योगों के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है।

जानकारी के मुताबिक पूर्णिया के इंडस्ट्रियल एरिया बनमनखी में 94.84 एकड़ जमीन उद्योग के लिए है। इसके बाद पूर्णिया शहर के इंडस्ट्रियल एस्टेट में 10.68 एकड़, कटिहार में 5.96 एकड़, मरंगा(पूर्णिया) में 9.92 एकड़, जमालपुर (मुंगेर) में 11.60 एकड़ तथा भागलपुर के बरारी में 2.87 एकड़ जमीन उद्योगों के लिए उपलब्ध है। हालांकि बुधवार को इस क्षेत्र के भ्रमण में आए उद्योग मंत्री ने प्रेसवार्त्ता के माध्यम से उद्यमियों को आश्वत किया कि इस क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए बियाडा की ओर से जमीन उपलब्ध कराने तथा निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति के लिए ठाकुरगंज में अधिग्रहित भूमि पर जल्द पावर ट्रांसमिशन ग्रिड को स्थापित करने हेतु उद्योग मंत्रालय हरसंभव मदद करेगी।

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