बीरबल महतो, सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
ठाकुरगंज नगर में अवस्थित श्री श्री सिद्धपीठ काली मंदिर रेल गेट में नवनिर्मित माँ मंदिर तथा स्थायी प्रतिमा स्थापन धार्मिक कार्यक्रम दूसरे दिन प्रातः महाआरती के साथ शुभारंभ किया गया। रामगंज(पश्चिम बंगाल) से आए पुरोहित रवि चक्रवर्ती के नेतृत्व में लगातार चंडीपाठ का आयोजन किया गया। उसके बाद पुरोहितों ने कमिटि के अध्यक्ष ताराचन्द धानुका के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच गंगा जल, दूध, दही, मधु, घी, चंदन, पंचगभ्य, फूल, बेलपत्र आदि सहित विभिन्न प्रकार के पूजन सामग्रियों के साथ माँ की प्रतिमा को महास्नान कराया गया। इसके बाद प्रतिमा को साफ मुलायम कपड़े से पोछा गया। मां की प्रतिमा पर नए व सुंदर वस्त्र पहनाए गए। विविध पुष्पों से शृंगार, चंदन का लेप आदि करके प्रतिमा को इत्र अर्पित की गई। बाद में प्रतिमा के सम्मुख धुप दीप प्रज्जवलित की गई तथा स्तुति, आरती और नैवेद्य अर्पित कर उनके बीज मंत्र का जप विधि विधासन से किया गया।
उसके बाद संध्याकाल से रात्रि दस बजे तक चंडीपाठ व शेज शय्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पुरोहित रवि चक्रवर्ती ने कहा कि किसी देवमूर्ति को घर या मंदिर में स्थापित करते हैं तो पूरे विधि विधान से इसकी पूजा की जाती है। इस प्रतिमा में जान डालने की विधि को ही प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। यह मूर्ति को जीवंत करती है जिससे की यह व्यक्ति की विनती को स्वीकार कर सके। प्राण-प्रतिष्ठा की यह परंपरा हमारी सांस्कृतिक मान्यता से जुड़ी है कि पूजा मूर्ति की नहीं की जाती, दिव्य सत्ता की, महत चेतना की, की जाती है। सनातन धर्म में प्रारंभ से ही देव मूर्तियां ईश्वर प्राप्ति के साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधन की भूमिका निभाती रही हैं। वहीं इस अवसर पर उधोगपति जगदीश धानुका, केशव धानुका, मन्ता राहा, नरेश ठाकुर, नन्ता राहा, सुजीत अधिकारी, बाबुल दे, उत्तम रक्षित, गंगाराम साव, दीनानाथ पांडे सहित मंदिर कमिटि के गणमान्य सदस्य मौजूद थे।