बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
शनिवार को नववर्ष के अवसर पर हर वर्ष की भांति आनंदमार्ग प्रचारक संघ ईकाई ठाकुरगंज की ओर से वार्ड नं चार स्थित आनंद मार्ग जागृति स्कूल ठाकुरगंज के सभागार में 06 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड संकीर्तिन का आयोजन किया गया। इस संकीर्तन में आनंदमार्गियों द्वारा श्री श्री आनंदमूर्ति के तैल चित्रों की छः घण्टे तक परिक्रमा कर बाबा का अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र के बोल के साथ संकीर्तन में भक्त तल्लीन रहे। बाबा के भक्त कीर्तन मंडली में बारी बारी कर बाबा नाम केवलम गाकर झूम रहे थे। आनंदमार्गी बाबा के इस मंत्र को आत्मसात करने के बाद साधना, प्रभात संगीत, प्रवचन आदि कार्यक्रमों का आयोजन में भाग लिए। इस दौरान आनंदमार्ग प्रचारक संघ के भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने बताया कि आनंदवाणी संग्रह से संकलित कर श्री श्री आनंदमूर्ति ने कहा है कि गति और पथ, पाथेय और रथ का संबंध अन्योन्याश्रित है। पथ सब समय सुगम, कोमल और पुष्पाच्छादित नहीं होता है। और वह दुर्गम कंटकाकीर्ण तथा रोड़ों से भरा भी नहीं है। ध्येय की ओर लक्ष्य रखना होगा। यह ध्येय ही प्रेरणा देता है। यह देही पथ पर चलने की रसद का प्रबंध करता है।
मनुष्य के क्षुद्र प्राण-प्रदीप को विश्व में प्रकाशित कर देता है। अनादिकाल से इसी ध्येय ने मनुष्य को प्रेरणा दी है, देता है और देता रहेगा।उन्होंने कहा है कि प्राण रस को अंबुधारा में संजीवित करके धरती को माधुर्यमण्डित करता चलेगा। और उसी के साथ मानवता के विजय पताका को स्वर्ण-शिखर की ऊंचाई पर अधिष्ठित कर देगा। इसलिए लक्ष्य ध्येय की ओर रहे। दूसरा कुछ भी सोचने की आवश्यकता नहीं है। इस मौके पर बहादुरगंज के सर्किल पुलिस इंस्पेक्टर अमर प्रसाद सिंह ने कहा कि आज का मनुष्य डर और भौतिकवादी मानसिकता से ईश्वर की प्रार्थना-भक्ति करता है। जबकि ईश्वर प्रेम के वशीभूत हैं। मनुष्य को परमात्मा की भक्ति नि:स्वार्थ भाव से करनी चाहिये। इसमें कीर्त्तन का बहुत बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि बाबा नाम केवलम अष्टाक्षरी सिद्ध महामन्त्र है। इसका संकीर्त्तन करने से मन के सभी क्लेश और विपाक नष्ट हो जाते हैं।
वहीं इस कार्यक्रम में अंचल निरीक्षक अजय कुमार सिंह, राजीव रंजन, रंजीत सरकार, चयन कुमार, विधानाथ यादव, प्रकाश मंडल, कृष्ण प्रसाद सिंह, अमोद साह, नीरज यादव, हेमा देवी, मंगला देवी, पुष्पा देवी, सरस्वती देवी, चंद्रमाया देवी, कमला देवी, लक्ष्मी देवी, कमला देवी सहित नगर के अलावे सुदूरवर्ती क्षेत्रों के आनन्दमार्गी शामिल हुए।