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बेमौसम बारिश से बढ़ी हाड़ कांपने वाली ठंड, आम जनजीवन अस्त-व्यस्त

बीरबल महतो, सारस न्यूज़, ठाकुरगंज (किशनगंज)।

ठाकुरगंज नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में गुरुवार की देर रात से शुरू हुई अनवरत बारिश ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। रात में जहां कई क्षेत्रों में हुई तेज बारिश से फसलों को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ गया है, वहीं शुक्रवार शाम तक हुई बरसात ने लोगों को कड़ाके की ठंड का अहसास कराया। खराब मौसम व कड़ाके की ठंड के चलते लगभग पूरे दिन ठाकुरगंज बाजर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की बाजारों में सन्नाटा दिखा। ठंड बढ़ने से पूरे दिन लोग अलाव के पास बैठे नजर आए। जो घरों से बाहर नहीं निकले, उन लोगों ने अधिकांश समय बिस्तर में ही गुजारना उचित समझा। मौसम की मार से किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं। बारिश के चलते विद्युत आपूर्ति व्यवस्था भी बदहाल रही। कड़ाके की ठंड के बीच शुरू हुई बारिश ने आम जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। गुरुवार की देर रात में जहां बूंदाबांदी हुई थी, वहीं शुक्रवार के सुबह होने के साथ ही बारिश शुरू हो गई। दिनभर रुक रुक बारिश का दौर चलता रहा। उम्मीद थी कि शुक्रवार को शाम बरसात थम जाएगी, मगर देर शाम तक रिमझिम बारिश होती रही। इस बीच कई क्षेत्रों में तेज बारिश होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसान सरसों, आलू, मटर व अरहर की फसल को लेकर खासे चिंतित हैं। आसमान में छाए बादलों को देखकर किसानों को अंदेशा है कि कहीं बारिश का सिलसिला आगे बढ़ा तो गेहूं की फसल पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। वहीं, बादल छाए रहने व बारिश होने से ठंड में और इजाफा हो गया। पूरे दिन लोग ठंड से बचने की जुगत करते नजर आए। कहीं कोई अलाव का सहारा लेते दिखा तो कोई शॉल, कंबल ओढ़े नजर आया। ज्यादा जरूरी होने पर ही लोग घरों से बाहर निकले। काम निपटाने के साथ ही नागरिक घरों की तरफ रुख करते देखे गए। सरस्वती पूजा को लेकर प्रातःकाल थोड़े बहुत ठाकुरगंज बाजार में चहल-पहल देखी गई थी पर  बारिश के कारण बाजार में भी ठंड के कहर का असर दिखा।
बारिश से चाय बागान मालिकों को जगी उम्मीदें, मिलेगा फायदा:-
दूसरी ओर शुक्रवार को हुई बारिश से चाय बागानों को काफी लाभ मिलेगा। इस समय ऐसी बारिश से चाय में लगने कीड़े नहीं आयेंगे अथवा जो भी कीड़े है वह नष्ट हो जाएगा। साथ ही कृत्रिम तरीके से पानी छिड़काव के खर्च में काफी हद तक कमी आएगी। चाय विशेषज्ञों की माने तो इस बारिश से अच्छी गुणवत्ता वाली चाय पत्ती उत्पादित होगी। इससे चाय बागान के मालिकों में एक उम्मीद जगी है। प्रखंड क्षेत्र के चाय बागानों में बारिश होने के फलस्वरूप सुखी हुई मिट्टी भीग चुकी है। इस पानी के भीतर जाने से चाय के पौधों में हरियाली आ जाएगी। दिसंबर महीने में बागानों में पौधों की छटाई की गई थी। इस वक्त यानी फरवरी के प्रथम सप्ताह में पत्तियां आनी लगती है और अभी हो रही बारिश काफी फायदेमंद होगी। य़ह बारिश चाय उत्पादक किसानों के लिए सोने पर सुहागा हुआ है।वर्तमान समय में चाय के पौधों को बचाने के लिए कृत्रिम तरीके से पानी का छिड़काव करना ही एकमात्र उपाय है, लेकिन इसमें बारिश हो जाने से चाय उत्पादक किसानों को जरूर राहत मिली है।


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