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समाज के लिए प्रेरणा बनीं रेखा देवी 14 साल की उम्र में हुई थी शादी, बाल विवाह उन्मूलन रोकने के लिए समाज में करती है कार्य

सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मैं आपको एक ऐसी महिला की कहानी सुनाने जा रहा हूं जो अपनी समाज में बाल विवाह रोकने के लिए लगातार अभियान चला रही है समाज के लिए प्रेरणा बनी रेखा देवी बाल विवाह रोकने के लिए समाज में चला रहे हैं अभियान, बीते शनिवार 5 मार्च को पूर्णिया के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दहेज प्रथा एवं बाल-विवाह जैसी कुरीतियों के उन्मूलन तथा नशा मुक्ति को लेकर समाज सुधार अभियान में रेखा देवी ने रखीं थीं बात।

बाल विवाह उन्मूलन के लिए करती हूं समाज कार्य 14 साल की उम्र में हुई थी मेरी शादी ‘तभी मैंने संकल्प लिया कि बाल विवाह रोकेंगे, बताते चलें कि किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के बेसरबट्टी वार्ड नंबर 10 की रहने वाली रेखा देवी समाज के लिए बनी प्रेरणा समाज में बाल विवाह उन्मूलन रोकने के लिए कार्य करती है। 2014 से जीविका समूह से जुड़कर समाज में बाल विवाह रोकने के लिए अभियान चला रही है। रेखा देवी बताते हैं कि उनके माता-पिता गरीबी के कारण उनकी शादी महज 14 साल की उम्र में करा दी थीं। इस अभियान में घर – घर पहुंच कर लोगों को बाल विवाह उन्मूलन रोकने के लिए करती है कार्य। रेखा देवी ने कहा कि जब तक जिंदा रहेंगे और जब तक मेरे शरीर में जान रहेगा तब तक समाज में बाल विवाह उन्मूलन के प्रति लोगों को जागरूक करते रहेंगे।

समाज के लिए प्रेरणा बनी रेखा देवी बताया कि कम उम्र में शादी करने से लड़कियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मानसिक तनाव, बाल विवाह बच्‍चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है, जिससे उनपर हिंसा, शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहता है।
बाल विवाह, बचपन खत्‍म कर देता है। बाल विवाह बच्‍चों की शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और संरक्षण पर नकारात्‍मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता हैं। जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसे घरेलू हिंसा तथा एचआईवी /एड्स का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। खुद नाबालिग होते हुए भी उसकी बच्‍चे को जन्म देने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्‍था और प्रसव के दौरान गंभीर समस्‍याओं के कारण अक्‍सर नाबालिग लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती हैं। बाल विवाह, समाज की जड़ों तक फैली बुराई, लैंगिक असमानता और भेदभाव का ज्वलंत उदहारण है। यह आर्थिक और सामाजिक ताकतों की परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया का परिणाम है। जिन समुदायों में बाल विवाह की प्रथा प्रचलित है वहां छोटी उम्र में लड़की की शादी करना उन समुदायों की सामाजिक प्रथा और दृष्टिकोण का हिस्सा है तथा यह लड़कियों के मानवीय अधिकारों की निम्न दशा दर्शाता है। बाल विवाह से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर भी नकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी लोगो को गरीबी की ओर धकेलता है। किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए, यह अत्यंत महत्त्वूपर्ण है कि उनका विवाह कानूनी उम्र के बाद हो, उनके स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार हो, उन्हें स्कूल कॉलेज जाने में सहायता मिले और उनके कौशलों का विकास हो जिससे वे अपनी आर्थिक योग्यता को साकार कर सकें और वह स्वस्थ, उत्पादक और सशक्त व्यस्कों में परिवर्तित हो सकें।


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