बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। वह दुनिया भर में हमें सम्मान भी दिलाती है। संवैधानिक रूप से देश की प्रथम राजभाषा तथा देश की सबसे अधिक बोली और समझी जानेवाली भाषा है। चीनी भाषा के बाद हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जानेवाली भाषा भी है। भारत और अन्य देशों में 70 करोड़ से अधिक लोग हिंदी बोलते,पढ़ते और लिखते है। भारत के अलावे फिजी,मॉरीशस, ग्याना, सूरीनाम आदि तथा भारत सीमा से सटे नेपाल में भी अधिकतर लोग हिंदी बोलते हैं। जानकारी के मुताबिक संविधान सभा में हिंदी की स्थिति को लेकर संविधान सभा के अध्यक्ष एवं देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद के द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में अंगीकृत कर संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिंदी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
एमएच आजाद नेशनल डिग्री कॉलेज, ठाकुरगंज के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो0 जयशंकर प्रसाद सिंह बताते हैं कि हिंदी जन जन की भाषा है।यह राष्ट्र की भाषा है। इस भाषा की पहुंच हिंदी भाषी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अहिंदी भाषी क्षेत्र असम,बंगाल,पूर्वोत्तर व दक्षिण के राज्यों तक भी है। हालांकि इन क्षेत्रों में शुद्ध हिंदी बोले नहीं जाने के बावजूद भी यहां हिंदी आपनी पकड़ बना रही है।हम हिंदी भाषा के माध्यम से ही प्रत्येक भारतीय को मुख्यधारा से जोड़ सकेंगे। हिंदी हमारी राजभाषा ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान भी है।
मध्य विद्यालय गलगलिया के प्रधानाध्यापक अर्जुन पासवान कहते हैं कि हिंदी हिंदुस्तान की भाषा है। राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिंदी हिंदुस्तान को बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, साक्षर से निरक्षर तक प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से बोल-समझ लेता है। यही इस भाषा की पहचान भी है कि इसे बोलने और समझने में किसी को कोई परेशानी नहीं होती।हम गर्व से कह सकते हैं कि हिंदी है हम हिन्दोस्तां हमारा।
बॉलीवुड में कई हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय कौशल का जौहर दिखाने वाले ठाकुरगंज निवासी प्रदीप चौधरी बताते हैं कि हिंदी भाषा व बोली हमारे आचार, विचार व व्यवहार की भाषा है जिस कारण बॉलीवुड में बनने वाली हिंदी फिल्में भारत के हर इलाके में देखी जाती हैं। इसे हमें हमेशा याद रखनी चाहिए। अंग्रेजी स्कूलों की बाढ़ में हम सुर-तुलसी-प्रेमचंद-भारतेंदु जैसे कवियों की हिंदी भाषा की मीठी बोली को हम भूलते जा रहे हैं। जहां स्कूलों में अंग्रेजी का माध्यम ज्यादा नहीं होता था, आज उनकी मांग बढ़ने के कारण देश के बड़े-बड़े स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी में पिछड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्हें ठीक से हिंदी लिखनी और बोलना भी नहीं आती है। भारत में रहकर हिंदी को महत्व न देना हमारी बहुत बड़ी भूल होगी।
अध्यापक समीर परवेज बताते है कि हिंदी जानने और बोलने वाले को बाजार में अनपढ़ या एक गंवार के रूप में या तुच्छ नजरिए से देखा जाता है, यह कतई सही नहीं है। हमें स्वतंत्रता तो मिल गई, लेकिन स्वभाषा नहीं मिल पाई, जिसके बिना स्वतंत्रता अभी भी अधूरी है।इसलिए देश के हर नागरिक की गरिमा बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि हर हिंदुस्तानी को अपनी भाषा का प्रयोग हर जगह, हर स्तर और हर समय करते रहना होगा। आज हर माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को विदेशी भाषा सिखाने पर जितना ज्यादा ध्यान दिया जाता है, उससे अधिक हिंदी की तरफ ध्यान देना होगा।
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय गलगलिया की शिक्षिका सह हिंदी विषय की स्नाकोत्तर की डिग्री प्राप्त रचना चौधरी बताती हैं कि संसार के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हिंदी की की पूछ बढ़ी है। अब हिंदी भाषा ने सोशल मीडिया पर हिंदी में लिखने के लिए विकल्प के तौर पर अपनी जगह बनाई हुई हैं। यही वजह रही कि कई विदेशी मालिकाना वाले सोशल मीडिया को हिंदी भाषी यूजर्स के लिए इस विकल्प को लाना पड़ा।हिंदी के न्यूज पोर्टल्स, वीडियो पोर्टल्स और हिंदी के यूट्यूब चैनल को भी इस श्रेणी में मानकर हिंदी को बल देने के उपक्रमों के तौर पर देखा जा सकता है।इसके बाद हिंदी के एक बड़े बाजार का उदय हुआ। अब देख सकते हैं कि फेसबुक,ट्विटर से लेकर गूगल और इंस्टाग्राम में भी हिंदी में लिखा जा सकता है, पोस्ट किया जा सकता है और यूजर्स की तरफ से भी लिखने के लिए हिंदी का चयन किया जा रहा है।
