शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़, किशनगंज।
आनंदमार्ग प्रचारक संघ की संरचना एक सख्त लेकिन उद्देश्यपरक पदानुक्रमिक प्रणाली पर आधारित है। शनिवार को ठाकुरगंज नगर स्थित आनंदमार्ग जागृति स्कूल में आयोजित विजिट कार्यक्रम के दौरान आनंदमार्ग प्रचारक संघ के केंद्रीय अध्यक्ष आचार्य विकासानंद अवधूत ने पत्रकारों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि आनंदमार्ग एक सामाजिक और आध्यात्मिक पंथ है, जो जीवन के सामाजिक, आध्यात्मिक और आर्थिक पहलुओं को एकीकृत दृष्टिकोण से देखता है। यह पंथ आनंद के मार्ग को अपनाने की प्रेरणा देता है और अपने अनुयायियों को संतुलित, नैतिक और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की दिशा प्रदान करता है।
उन्होंने बताया कि आनंदमार्ग की स्थापना 1955 में बिहार के जमालपुर में श्री श्री आनंदमूर्ति (प्रभात रंजन सरकार) द्वारा की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि आनंदमार्ग केवल एक आध्यात्मिक आंदोलन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक सुधारों के लिए भी सक्रिय रूप से कार्य करता है। इसके प्रमुख कार्यों में शिक्षा का प्रसार, महिला सशक्तिकरण, सेवा कार्य और नैतिक मूल्यों का विकास शामिल हैं। आनंदमार्ग प्रचारक संघ की संरचना एक सख्त लेकिन उद्देश्यपूर्ण पदानुक्रमिक प्रणाली पर आधारित है, जो संन्यासी (त्यागी) और गृहस्थ साधकों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करती है।
आचार्य विकासानंद अवधूत ने बताया कि इस दर्शन के मूल सिद्धांतों में भगवत धर्म (ईश्वर की आराधना), प्रज्ञा (आंतरिक ज्ञान) और प्रकृत दर्शन (प्रकृति और मनुष्य के बीच समन्वय) शामिल हैं। आनंदमार्ग जीवन को समग्र दृष्टिकोण से देखता है, जिसमें व्यक्तिगत आत्म-विकास के साथ-साथ सामाजिक कल्याण को भी प्राथमिकता दी जाती है।
इस अवसर पर आनंदमार्ग प्रचारक संघ के जिला प्रधान सुमन भारती, निलेश भारती, कृष्ण प्रसाद सिंह, प्रकाश मंडल, आमोद साह, परमानंद सिंह, त्रिलोकी साह, कुंदन गुप्ता, गोपाल मंडल सहित बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे, शिक्षक-शिक्षिकाएं और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
