बीरबल महतो, सारस न्यूज़, पूर्णिया।
नेपाल व बांग्लादेश की सीमा पर बसे पूर्णिया प्रमंडल में जमीन ब्रोकरी की आड़ में अपराधियों का नया गिरोह जन्म लेने लगा है। कभी अपराध के लिए चर्चित इस इलाके में एक बार फिर खून-खराबा का दौर भी शुरु है। जमीन ब्रोकरी के धंधे में असीमित आमदनी के चलते ऐसे गिरोह तैयार किए जा रहे हैं। पूर्व के कई दुर्दांत अब पर्दे के पीछे रहकर ऐसे गिरोह का संचालन कर रहे हैं। विवादित जमीन पर कब्जा करने से लेकर आवश्यक पड़ने पर प्रतिद्वंदियों की हत्या तक कराने से ऐसे लोग बाज नहीं आ रहे हैं। गत पांच साल के दौरान सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, अररिया व किशनगंज जिले में केवल जमीन ब्रोकरी के विवाद में पांच दर्जन से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है।
कोसी त्रासदी ने बढ़ाया धंधे का क्रेज:-
बढ़ी आपराधिक छवि के लोगों की दिलचस्पी सीमांचल के इस इलाके में सन 2008 की कोसी त्रासदी ने जमीन ब्रोकरी के धंधे का क्रेज बढ़ा दिया है। इसके अलावा सलाना बाढ़ की विभीषिका के कारण भी इस धंधे की चमक लगातार बढ़ रही है। दरअसल कोसी त्रासदी के बाद कोसी व सीमांचल के गांवों के लोगों में शहर में जमीन लेने की होड़ सी लग गई। बाढ़ की दृष्टि से अत्यधिक सुरक्षित सीमांचल का पूर्णिया, कटिहार, अररिया व किशनगंज जिले में लोग जमीन खरीदना ज्यादा उचित समझने लगे। अचानक जमीन का भाव आसमान छूने लगा। इस स्थिति के चलते ब्रोकरी के धंधें में पूर्व के दुर्दांतों की दिलचस्पी भी बढ़ने लगी। अब स्थिति यह है कि इन शहरों में अधिकांश ब्रोकर ऐसे हैं, जिसकी पृष्ठभूमि आपराधिक रही है। इधर ऐसे ब्रोकरों के बीच पूर्व से धंधे में संलिप्त लोग भी अपना बाहुबल बढ़ाने में जुट गए। इस स्थिति के चलते अब लगातार नए गिरोह यहां खड़े होते जा रहे हैं।
महज तीन माह के अंदर हो चुकी है तीन बड़ी घटनाएं:-
जमीन के इस खेल में महज तीन माह के अंदर सिर्फ पूर्णिया शहर में तीन बड़ी घटनाएं हो चुकी है। अप्रैल के अंत में लोजपा नेता अनिल उरांव की हुई हत्या का तत्कालिक कारण भले ही कुछ और रहा, लेकिन उनके परिजन भी अंत तक यह कहते रहे कि जमीन माफिया की साजिश का शिकार ही वे हुए। इधर लाइन बाजार में दिनदहाड़े गोली मार एक गैस एजेंसी के संचालक को घायल कर देने की घटना के पीछे भी यही कारण रहा। दो दिन पूर्व गुडडू मियां की दिनदहाड़े हुई हत्या की कड़ी भी जमीन विवाद से जुड़ती जा रही है।
हर बड़े ब्रोकर के पीछे है अपराधियों की बड़ी फौज:-
दरअसल प्रमंडल में फिलहाल सक्रिय पांच दर्जन अधिक बड़े ब्रोकरों के पीछे अपराधियों की एक बड़ी फौज भी सक्रिय है। ऐसे अपराधियों को हर कार्य के लिए एक निश्चित रकम दी जाती है। साथ ही जमीन की खरीद-बिक्री में भी उसे कुछ अंश दे दिया जाता है। कभी-कभी इसको लेकर आपसी विवाद में भी खूब गोलियां चलती रही है।
बड़े नरसंहारों का गवाह रहा है पूर्णिया:-
पूर्णिया प्रमंडल में जमीन को लेकर खून-खराबा नई बात नहीं है। कभी जमींदारों का इलाका कहे जाने वाले यह परिक्षेत्र रुपसपुर, निखरैल जैसे कई बड़े नरसंहारों का गवाह रहा है। बता दें कि ऐसे नरसंहार ग्रामीण इलाकों में हुए थे और भू-विवाद को लेकर अधिकांश हत्याएं भी ग्रामीण इलाकों में ही घटती थी। अब स्थिति बदल चुकी है और जमीन के लिए शहरी इलाकों में भी खूब खून बहने लगा है।