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अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के अवसर पर महिला श्रमिकों का किया गया स्वास्थ्य व पोषण जांच

सारस न्यूज, वेब डेस्क।

महिला श्रमिकों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित किए बिना “स्वस्थ भारत समृद्ध भारत” का सपना साकार नहीं हो सकता: भूपेंद्र यादव

केंद्रीय श्रम मंत्री ने पेशाजनित रोग पर पायलट प्रोजेक्ट से जुड़ी लाभार्थी महिलाओं से की बातचीत

भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर ईएसआईसी अस्पताल, फरीदाबाद का दौरा किया, जहां महिला ईंट भट्ठा श्रमिकों और अन्य औद्योगिक श्रमिकों के लिए एक स्वास्थ्य और पोषण जांच शिविर का आयोजन किया गया था।

स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने महिला ईंट भट्ठा कामगारों और अन्य औद्योगिक कामगारों से मुलाकात कर उन्हें दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में चर्चा की। बैठक के दौरान उन्होंने महिला कार्यकर्ताओं को एनीमिया रोग के प्रति जागरूक किया तथा नियमित स्वास्थ्य जांच एवं पौष्टिक आहार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित किए बिना “स्वस्थ भारत समृद्ध भारत” का सपना साकार नहीं हो सकता है।

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने श्रमिकों को मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही योजनाओं जैसे “प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना”, “पेंशन दान योजना” और “ई-श्रम योजना” के बारे में भी बताया। अस्पताल का दौरा करते समय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने भर्ती मरीजों से भी मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त की।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003QBU3.jpgकेंद्रीय मंत्री ने मेडिकल कॉलेज के छात्रों के साथ बातचीत करते हुए कोविड-19 के दौरान अस्पताल द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। अस्पताल के अपने दौरे के समय, उन्होंने नियोक्ता, नियोक्ता संघों और ट्रेड यूनियन से भी मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय उनके लिए एक सुविधा प्रदाता के रूप में काम कर रहा है। बातचीत के दौरान श्रम एवं रोजगार मंत्री ने अधिकारियों को श्रमिकों के हित को ध्यान में रखकर काम करने का निर्देश दिया।

भारत सरकार के विद्युत राज्य मंत्री और भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल, भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार सचिव सुनील बर्थवाल, विधायक सीमा त्रिखा, ई.एस.आई.एस के महानिदेशक मुखमीत एस. भाटिया, गोपाल शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस दौरे के समय उनके साथ मौजूद थे।

बैठक के दौरान विद्युत एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल ने महिला श्रमिकों को केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में जानकारी दी। श्रम एवं रोजगार सचिव ने वर्तमान में चलाए जा रहे पायलट प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताया।

“आजादी का अमृत महोत्सव” के दौरान ईंट भट्टों और बीड़ी प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण जांच के लिए पायलट प्रोजेक्ट 08.03.2022 को शुरू किया गया है, जिसके तहत ईंट भट्टों और बीड़ी प्रतिष्ठान में काम करने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण की नियमित जांच की जाती है। उन्हें आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स आदि सहित अन्य दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। पायलट प्रोजेक्ट के तहत आयोजित यह तीसरी जांच शिविर है।

इस पायलट परियोजना का मासिक रूप से 06 महीने की अवधि के लिए अनुसरण किया जाएगा, जिसके बाद आगामी कार्यान्वयन के लिए पायलट परियोजना के निष्कर्षों का मूल्यांकन किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत इन उद्योगों की महिला श्रमिकों को नजदीकी ईएसआईसी अस्पताल या डिस्पेंसरी से टैग किया गया है।

इन सभी महिलाओं को हेल्थ पासबुक जारी कर दी गई है। हर महीने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक टीम आवश्यक परीक्षणों के लिए साइट पर जाती है, जिसमें सामान्य शरीर की जांच, ऊंचाई और वजन का माप, हीमोग्लोबिन स्तर का आकलन और पोषण संबंधी परामर्श शामिल हैं।

एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है। इस वजह से, रक्त की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है। इसके कारण थकान, चिड़चिड़ापन, शारीरिक और मानसिक कार्य क्षमता में कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 के अनुसार 15-49 आयु वर्ग की 57 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं। अधिकांश मामलों में एनीमिया का मुख्य कारण संतुलित पोषण की कमी है। पौष्टिक आहार, दवाएं और उचित परामर्श देकर इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।

असंगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाएं देश में कार्यबल की रीढ़ हैं, वे देश के विकास की प्रेरक शक्ति हैं। बड़ी संख्या में महिलाओं के एनीमिया से पीड़ित होने के कारण, कुल मिलाकर कार्य का उत्पादन कम हो जाता है। समग्र उत्पादकता और कर्मचारियों के अच्छे स्वास्थ्य में सुधार के लिए एनीमिया का शीघ्र पता लगाना और उपचार करना आवश्यक है। यह एक कम लागत वाला कार्य है और उपचार शुरू होने के शुरुआती दिनों से ही इसके परिणाम मिलने लगते हैं।

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