विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया, किशनगंज।
भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र गलगलिया बाजार सहित ग्रामीण इलाकों में मौसम बदलने के साथ ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है। शाम शुरू होते ही मच्छरों की भनभनाहट तथा उनके नुकीले डंक से बचने के लिए लोग तालियां पीटना शुरू कर देते है। फिर भी मच्छरों की फौज पर लोगों की तालियों का कोई असर दिखाई नहीं पड़ता। काम से लौटकर देर शाम घर आए लोगों को मच्छरों से बचने के लिए फिर से बाहर का ही रूख करना पड़ता है। पर घर में काम करने वाली महिलाओं के लिए मच्छर धूप जलाने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया। वहीं शाम के समय घर में होमवर्क कर रहे बच्चों को भी मच्छरदानी लगाकर ही होमवर्क पूरा करना पड़ रहा है। जबकि मच्छरों के लगातार बढ़ रही संख्या में कई जानलेवा मच्छर भी शामिल हो सकते है। जिनकी पहचान के लिए सरकार द्वारा बनाए गए विभाग पीछे है। बाजार सहित ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान की तो पहले से हवा निकल चुकी है। साफ सफाई के लिए लोग पंचायत को कोसने के अलावा स्वयं कोई पहल करते नजर नहीं आते हैं, जिसके चलते मच्छर अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है। वहीं मच्छरजनित बीमारियों से निजात दिलाने के लिए संबंधित विभाग को आवंटित की गई लाखों की राशि बेमानी साबित हो रही है।
कागजों पर मारा जा रहा है स्वास्थ्य विभाग द्वारा मच्छर
मच्छरों को मारने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है, लेकिन वह पता नहीं किस विभाग के भरोसे बैठा है। स्वास्थ्य विभाग सिर्फ कागजों पर फॉगिंग मशीन व ब्लीचिंग पाउडर से मच्छरों को मार रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों का खून रात-दिन मच्छर चूस रहे हैं। इस कारण क्षेत्र में मच्छरों का प्रकोप दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। स्थिति ऐसी की कहीं पर भी कोई भी मच्छरों के कारण सुकुन से बैठ नहीं सकता है।
मच्छरों के प्रकोप से बीमार पड़ रहे लोग
मच्छरों के प्रकोप से घर-घर लोग बीमार हो रहे हैं। कोई मलेरिया तो कोई अन्य मच्छर जनित बीमारियों कि चपेट में है। स्थानीय लोग रोज बंगाल जाकर किसी न किसी पैथोलाजी में मलेरिया की जांच कराते नजर आते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी भी इसके बड़े रूप का इंतजार कर रहा है। अगर जल्द ही स्वास्थ्य विभाग नहीं जागा तो समस्या और बढ़ जाएगी, जिसके चलते ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।