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जमुई में एक ऐसा गांव है जहां 400 सालों से किसी ने शराब को नहीं लगाया हाथ। शराबबंदी कानून के बाद भी नहीं हुई है कोई कार्रवाई।

सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़, जमुई।

बिहार के जमुई में एक ऐसा गांव है जहां 400 सालों से किसी ने शराब को हाथ तक नहीं लगाया और ये शायद देश का पहला ऐसा गांव भी होगा। यहां शराबबंदी कानून के तहत आज तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई भी नहीं हुई। प्रदेश में शराबबंदी को सही और गलत ठहराने की तमाम कोशिशों हो रही हैं, वहीं बिहार का एक ऐसा गांव जो संभवत राज्य ही नहीं बल्कि देश के लिए अनूठा है। जमुई जिले का यह गांव तब भी शराब से अछूता रहा, जब हर गली मोहल्ले में शराब की दुकानें हुआ करती थी। गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत गंगरा गांव के लोग अपने पूर्वज बाबा कोकिलचंद को देव तुल्य की मान्यता देते हैं। उनके ही संदेशों को आत्मसात कर शराब से खुद को दूर रखते हैं। बात सिर्फ गांव की नहीं बल्कि बाहर रहने वाली नई पीढ़ी के युवक भी शराब पार्टी में शिरकत नहीं करते।

बाबा कोकिलचंद के तीन संदेश ग्रामीणों का जीवन सूत्र।:-

लोगों के पूर्वज बाबा कोकिलचंद का तीन संदेश इस गांव के ग्रामीणों के लिए जीवन सूत्र है। शराब से दूरी, नारी का सम्मान और अन्न की रक्षा का उन्होंने संदेश दिया था। इसका सभी ग्रामीण पालन कर रहे हैं। बाबा कोकिलचंद ने जंगल में बाघिन के हमले में अपना नश्वर शरीर त्याग किया था। तब उन्होंने नारी सम्मान करते हुए बाघिन के हमले का कोई जवाब नहीं दिया था। उसके बाद से ही उनकी पूजा-अर्चना प्रारंभ हुई। उनकी मिट्टी की पिंडी आज भी यथावत है।

मान्यताओं के अनुसार उस पिंडी के स्वरूप से कभी कोई छेड़छाड़ की कोशिश नहीं की गई। हालांकि, मंदिर को भी पक्का रूप देने के पहले उनकी विधिवत आज्ञा ली गई थी। चेन्नई में कार्यरत इंजीनियर साकेत सिंह ने कहा कि वे लोग बाहर में भी बाबा के त्रिसूत्र का अक्षरश; पालन करते हैं। उन्होंने आधुनिक युग में शराब पीने की शौक को शान समझने की सोच को नकारते हुए कहा कि शराब पार्टी में शिरकत करने की दोस्तों की गुजारिश को विनम्रता पूर्वक अस्वीकार करने के बाद उन्हें काफी सम्मान के दृष्टि से देखा जाता है। यह आत्म संतुष्टि का विषय है।

शरबबंदी को ले अब तक नहीं दर्ज हुई कोई एफआईआर।:-

गिद्धौर के थानाध्यक्ष अमित कुमार बताते हैं कि गंगरा गांव से शराबबंदी कानून के तहत किसी प्रकार का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ और न ही यहां से कभी शराब जैसी कोई खबर सामने आई। बाबा कोकिलचंद का मंदिर होने की वजह से गांव के कोई भी लोग शराब का सेवन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों में ऐसी मान्यता है कि जो कोई नशा करता है उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं।

चौहानडीह निवासी इतिहासकार डा. रवीश कुमार सिंह बताते हैं कि चंदेल वंश के राजा महाराजा हरि सिंह को जब मुगल शासक जहांगीर ने झांसे से बंदी बना लिया था, तब बाबा कोकिलचंद ने ही उन्हें मुक्त कराया था। इसके बाद ही जंगल में बाघिन ने उन्हें शिकार बना लिया था। तदुपरांत पूजा अर्चना की जानकारी पाकर हरि सिंह द्वारा ही पिंडी का निर्माण कराया गया था। तमाम वाकये 1625 से 1640 के बीच की बताए जाते हैं। उनके ही संदेशों को आत्मसात कर गंगरा के लोग शराब से दूर रहते हैं। यहां यह बताना लाजिमी है कि चंदेल वंश के शासक महाराजा हरि सिंह का कार्यकाल 1625 से 1640 तक का था।

गांव की बेटियों की शादी से पूर्व भी करते हैं पूरी छानबीन।:-

केंद्रीय विश्वविद्यालय चेन्नई में कार्यरत आशीष पांडे तथा डा लखन पांडे बताते हैं कि यहां के लोग बेटियों की शादी से पहले भी इस बात की पूरी तहकीकात करते हैं कि जिनके घर उनकी बच्ची जा रही है, उनके यहां शराब पीने-पिलाने का कोई रिवाज ना हो। इतना ही नहीं, गांव में आने वाली बारात को भी शराब का सेवन की मनाही का सिलसिला 400 साल पुराना है।

धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता के अनुसार गंगरा गांव के लोगों का कहना है कि वे लोग न तो शराब का सेवन करते हैं और न ही शराब का सेवन कर किसी को गांव में आने देते हैं। चार सौ साल से भी अधिक समय से इस गांव में शराबबंदी है। मतलब इस गांव में न तो शराब लायी जाती है और न ही कोई भी शख्स शराब का सेवन कर गांव में आ सकता है। लोगों का कहना है कि जिसने भी लोग शराब का सेवन कर गांव में आने की कोशिश की उसका कोई न कोई नुकसान हुआ है।

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