सारस न्यूज टीम, पटना।
बिहार में नगर निकाय चुनाव ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के पेच में फंसता जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार के संबंध में मंगलवार को दिए गए निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से दोहराया है कि कोई भी राज्य सरकार बिना ट्रिपल टेस्ट कराए ओबीसी वर्ग को स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण नहीं दे सकती है। महत्वपूर्ण यह कि इस निर्णय ने बिहार राज्य निर्वाचन आयोग के हाथ भी बांध दिए हैं। अभी तक राज्य सरकार की ओर से नगरपालिका व स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट की पहल ही नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को ओबीसी वर्ग को आरक्षण दिए बगैर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है। न्यायालय के निर्देशानुसार वहां राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करनी है, जबकि सभी राज्यों को इस तरह के आरक्षण के लिए निर्धारित ट्रिपल टेस्ट का पालन अनिवार्य कर दिया है। परीक्षण में पैनल की नियुक्ति, स्थानीय निकायवार सीमा और पिछड़ेपन को मापने के लिए अनुभवजन्य डेटा एकत्र करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि कोटा 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले दो साल से 23 हजार के करीब स्थानीय निकायों के पद खाली पड़े हैं। पांच साल में चुनाव कराना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के लिए और वक्त नहीं दिया जा सकता। यह आदेश न केवल मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग तक सीमित है, बल्कि शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर भी लागू होगा।