सारस न्यूज टीम, पटना।
राज्य में इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) डायल 112 का ट्रायल शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत पटना से हुई है। पुलिस रेडियो मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम में शिफ्टवार कर्मी काम कर रहे हैं। किसी भी आपात स्थिति में पुलिस, फायर, एंबुलेंस और ट्रैफिक से जुड़ी सेवा एक ही डायल पर मिल सकती है। ट्रायल के तौर पर शहरी क्षेत्र में डायल 112 की 30 इमरजेंसी रिस्पांस वेहिकल (ईआरवी) दौड़ रही हैं।
ये गाडिय़ां जीपीएस व रेडियो सेट सहित अन्य सुविधाओं से लैस हैं। ट्रायल के दौरान हर दिन हजारों फोन आ रहे हैं, जिसमें सबसे अधिक सड़क दुर्घटना के मामले हैं। इस दौरान आ रही तकनीकी खामियों को दूर किया जा रहा है।
डायल 112 की बोलेरो विशेष किस्म की सुविधा से लैस है। ईआरवी में मोबाइल डाटा टर्मिनल लगा है, जो जीपीएस से काम करेगा। इसमें एक डिस्प्ले सिस्टम होगा, जिसमें घटना के बारे में जानकारी और उस स्थल तक का पूरा रूट मैप अंकित होगा। वहां तक पहुंचने का पूरा रूट मैप ट्रैक भी होगा। एक्शन टेकेन रिपोर्ट भी वापस कंट्रोल सेंटर के पास मिलेगी।
इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम का कंट्रोल रूम तैयार हो चुका है। ट्रायल के तौर पर उसमें महिला पुलिसकर्मी शिफ्ट वार काम कर रही हैं। राजवंशी नगर स्थित बिहार पुलिस रेडियो मुख्यालय में कंट्रोल रूम बना है। उद्घाटन के बाद 24 घंटे एक्टिव रहेगा।
काल आने पर कंप्यूटर में मामला अंकित हो जाएगा। यूनिट आइडी जेनरेट होगा। काल करने वाले की जानकारी, लोकेशन भी कंट्रोल रूम में दिखेगा। राज्य के कहीं से 112 पर डायल करने पर कंट्रोल रूम के कर्मी जरूरत के हिसाब से पुलिस, अस्पताल या फायर ब्रिगेड को ट्रांसफर कर देंगे।
ट्रायल पूरा होने के बाद पटना को 60 जोन में बांटा जाएगा। ईआरवी को एक किलोमीटर की परिधि में मूव करना है। डायल 112 में काल आने के बाद इमरजेंसी में फंसे व्यक्ति तक पहुंचना है।
इमरजेंसी सिस्पांस स्पोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) के तकनीकी अधिकारियों द्वारा कुछ माह पूर्व थानेदारों को ट्रेनिंग दी गई थी। वह इलाके में क्राइम जोन की पहचान कर लिस्ट बनाएं और फोटो ईआरएसएस के एप पर अपलोड करें। इन इलाकों में डायल 112 की गाड़ियां मूव करेंगी।