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पटना सिटी के नीचे 2500 साल पुराने पाटलिपुत्र होने की संभावना, कई स्थलों की होगी खोदाई।

सारस न्यूज टीम,पटना।

पुराने पटना यानी पटना सिटी के नीचे ही ढाई हजार साल पुराने गौरवशाली पाटलिपुत्र नगर के होने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल के बाद अब राज्य सरकार ने इतिहास के इस पन्ने से मिट्टी हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। चूंकि पटना सिटी का इलाका घनी आबादी और पुरानी रिहाईश वाला क्षेत्र है, ऐसे में आधा दर्जन से अधिक सरकारी स्थलों को पाटलिपुत्र की खोज के लिए चिह्नित किया गया है। पहले चरण में इन जगहों का जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे कराया गया है। इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सर्वे रिपोर्ट में अगर सकारात्मक संकेत मिलते हैं, तो खोदाई कराने का निर्णय लिया जाएगा।

कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अनुसार, पटना सिटी के अंतर्गत भद्र घाट, महावीर घाट, गुलजारबाग राजकीय मुद्रणालय का खेल मैदान, बेगम की हवेली, बीएआर प्रशिक्षण महाविद्यालय का प्रशासनिक भवन एवं मैदान, सैफ खान का मदरसा, मंसूर मजार तथा मेहंदी मजार क्षेत्र का जीपीआर सर्वे का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। आइआइटी कानपुर के डिपार्टमेंट आफ अर्थ साइंस ने सर्वे व मैपिंग का काम किया है। इसके लिए विभाग ने आठ लाख 19 हजार 200 रुपये की राशि भी स्वीकृत कर दी  है। 

पटना सिटी के अलावा बुद्ध मार्ग स्थित पटना संग्रहालय परिसर में भी पाटलिपुत्र के अवशेष की खोज शुरू की गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले माह मई में ही संग्रहालय परिसर में फावड़ा चलाकर खोदाई कार्य की शुरुआत की थी। अधिकारियों के अनुसार, संग्रहालय परिसर में जगह को चिह्नित कर घेराबंदी कर दी गई है। अगले सप्ताह से खोदाई के काम में तेजी आएगी। पटना संग्रहालय परिसर में पिछले दिनों प्राचीन मृदभांड व अन्य अवशेष प्राप्त होने के बाद इसकी संभावना प्रबल हुई है कि पाटलिपुत्र का दायरा वर्तमान पटना के पश्चिमी इलाके तक भी था।  

कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के पुरातत्व निदेशक दीपक आनंद ने कहा कि पटना सिटी के चिह्नित इलाकों के जीपीआर सर्वे का काम आइआइटी कानपुर की टीम को दिया गया है। सर्वे की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। फाइनल रिपोर्ट के आधार पर खोदाई व आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा। 

उन्होंने बताया कि ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर सर्वे भूमिगत उपयोगिताओं की जांच करने के लिए उपसतह का सर्वेक्षण करने का एक तरीका है। इसमें उपसतह की छवि के लिए रडार का उपयोग होता है। सर्वे की इस अत्याधुनिक तकनीक से बिना खोदाई कराए जमीन से 15 मीटर नीचे तक की जानकारियां आसानी से मिल जाती हैं।

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