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भारत नेपाल सीमा पर बहने वाली मेची नदी पुल के एप्रोच सड़क का निर्माण पूर्ण होने पर सीमावासियों हर्ष व्याप्त। लॉक डाउन के गलगलिया ट्रांजिन्ट पॉइंट के इस मार्ग से आवाजाही शुरू होने पर लोगों को मिलेगा लाभ।

Jun 22, 2021

बीरबल महतो, ठाकुरगंज डॉट कॉम। भारत – नेपाल सीमा स्थित गलगलिया- भद्रपुर ट्रांजिन्ट पॉइंट के बीच बने  मेची पुल पर भारत की तरफ एप्रोच सड़क के निर्माण से सीमावासियों में काफी हर्ष व्याप्त है। पुल व उसके एप्रोच सड़क के निर्माण से जब लॉकडाउन के बाद जब दोनों देशों के बीच आवाजाही का मार्ग चालू होगा तो भारत नेपाल के बीच रोटी बेटी के संबंध प्रगाढ़ तो होंगे ही साथ ही व्यापार में इजाफा व तरक्की की नई संभावनाओं का द्वार भी खुलेगा। बताते चलें कि किशनगंज जिले के गलगलिया व नेपाल के भद्रपुर के बीच से बहने बाली मेची नदी पर पुल का निर्माण तो करवाया गया था लेकिन पुल पर अप्रोच रोड नहीं बनने के कारण लोगों को आवागमन में बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड रहा था। बिहार और बंगाल के साथ पुराने व्यापारिक शहर भद्रपुर को जोड़ने वाले मेची पुल पर अप्रोच रोड का निर्माण बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग के द्वारा 8.5 करोड़ की राशि से की गई है। मेची ब्रिज तक पहुंच 30 मीटर चौड़ी सड़क के रूप में 650 मीटर लंबी दो लेन की पक्की सड़क का निर्माण किया गया है। भारतीय सीमा क्षेत्र में एप्रोच रोड नहीं होने के कारण यह पुल लंबे समय से बेकार पड़ा था। 

इस संबंध में नेपाल-भारत मैत्री संघ के अध्यक्ष प्रदीप मणि रेग्मी ने कहा कि पुल का निर्माण भी हो चुका है। मेची ब्रिज के पश्चिमी भाग में नेपाल की ओर सड़क की कोई समस्या नहीं है। अब जबकि भारतीय क्षेत्र में भी एप्रोच सड़क का निर्माण किया गया है, दोनों देशों के बीच माल की आवाजाही और परिवहन आसान हो जाएगा। जब एप्रोच रोड नहीं था तो माल और वाहनों को ले जाना मुश्किल होता था।

गलगलिया के के मुखिया प्रतिनिधि बृजमोहन सिंह उर्फ  मुन्ना ने बताया कि अप्रोच  सड़क का निर्माण 8.5 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। पक्की सड़क बनने से मनरेगा के द्वारा मेची पुल से बिहार की ओर जोड़ने के लिए मिट्टी भराई का कार्य करवाया गया था। तत्पश्चात तत्कालीन विधायक नौशाद आलम ने एप्रोच सड़क की आवश्यकता को देखते हुए पथ निर्माण विभाग से एप्रोच सड़क का निर्माण करवाने में महत्ती भूमिका निभाई है। जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में खुशी का माहौल व्याप्त है। कोरोना महामारी से जैसे ही निजात मिलता हैं और पहले की तरह सामान्य तरीके भारत-नेपाल की सीमा खुल जाए तो लोगों को काफी राहत मिलेगी।

वहीं नेपाल के प्रांतीय विधानसभा के सदस्य ओम प्रकाश सरावगी और बसंत बनिया, झापा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष यम बहादुर श्रेष्ठ, भाद्रपुर नगर पालिका के प्रमुख जीवन कुमार श्रेष्ठ, नेपाली चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष टीका राज ढकाल, नेपाल के जिला अध्यक्ष -इंडिया फ्रेंडशिप एसोसिएशन रेग्मी आदि ने बताया कि भारत मैत्री संघ की बैठक में बार-बार अप्रोच सड़क बनाने की चर्चा की गई थी। तत्पश्चात साल भर में ही मेची ब्रिज एप्रोच सड़क का के निर्माण हो गया और अब इसका उपयोग भी होगा। गलगलिया (भारत) व भद्रपुर(नेपाल) सीमा शुल्क के माध्यम से व्यापार में काफी वृद्धि भी  होगी। पहले जब सड़क नहीं बनी थी तो तो कोयला, क्लिंकर और पेट्रोल समेत बड़े ट्रक इस ट्रांजिन्ट मार्ग होकर नेपाल-भारत आवाजाही नहीं करती थी अब एप्रोच रोड बन जाने के कारण सभी प्रकार की ट्रक नेपाल भी जाएगी और नेपाल से भारत भी आएगी।

 ज्ञात हो कि भारत नेपाल सीमा पर मेची नदी पर पूल निर्माण के लिए लंबे संघर्ष चलें। गलगलिया (भारत) व भद्रपुर(नेपाल) के नागरिकों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने करीब 50 साल पहले आंदोलन की शुरुआत की थी। वर्ष 2009 में नेपाल के उप प्रधानमंत्री विजय गच्छेदार ने पुल का शिलान्यास किया था। पुल का निर्माण नेपाल की कार्यकारी एजेंसी सूर्या एंड संस कंपनी, काठमाण्डू के द्वारा की गई।मेची नदी पर बना पुल कुल 15 पिलरों का है। पुल निर्माण कार्य की प्राक्कलित राशि लगभग 54 करोड़(नेपाली मुद्रा) थी।मार्च 2018 तक पुल निर्माण सह एप्रोच व तटबंध का काम नेपाल की तरफ से पूरा कर लिया गया था। लेकिन भारत की ओर से मेची नदी के पुल तक जाने का एप्रोच रोड लंबित था जिसे कुछ दिनों पूर्व पूर्ण किया गया है।

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