कमलेश कमल से साभार, सारस न्यूज़ टीम
कमलेश कमल (एक लेखक, कवि, राष्ट्रवादी विचारक और एक पुलिस अधिकारी) से जानिए और समझिये नवरात्र का वास्तविक अर्थ
आप आदि-शक्ति की महान् असुर (अस् धातु ~ महिषासुर) पर विजय का जश्न मना रहे हैं (दुर्गापूजा, विजयादशमी) या ‘जिसमें मन रमे’, उस राम की ‘गर्जना करने वाले’ रावण पर विजय का जश्न मना रहे हैं (दशहरा, विजया दशमी) ?
आपने इन 9 दिनों में क्या किया ? क्या दशहरा का अर्थ 10 मनोरोगों या पापों पर विजय नहीं है ? जानना दिलचस्प है कि मनोवैज्ञानिक रूप से DSM-05 भी 10 रोगों की बात करता है, तो वेद-उपनिषद से लेकर मनु-स्मृति तक में 10 विकारों की चर्चा है। समीचीन है कि अंदर उठने वाले इन 10 विकारों के ‘शोर’, रौरव, या ‘गर्जन’ को ‘रावण’ समझा जाए और इन्हें ‘भगवत्ता में रमने की इच्छा- शक्ति’ (राम) के द्वारा जीतने का उपक्रम हो। यह महज़ स्थूल रूप से किसी पुतले में आग लगाकर ख़ुशी मना लेने का दिन मानने से अच्छा है।
अगर भाषा की थोड़ी भी समझ हो और तार्किकता से ज़रा भी वास्ता हो, तो हमें आज के परिप्रेक्ष्य में काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, हिंसा, स्तेय (चोरी), अनृत(झूठ), व्यभिचार और अहं रूपी 10 विकारों को ही ‘दशानन’ मानना चाहिए; जिसे ज्ञान और साधना से मारना है।
यदि इन पर विजय हो गई हो, तभी विजयादशमी है ; नहीं तो यह ‘राम की रावण पर’ या ‘दुर्गा की महिषासुर पर’ विजय की कोई कहानी भर होगी । ‘दस विकारों का हरण’ ही दशहरा या विजयदशमी है। भाषा-वैज्ञानिक दृष्टि से राम, रावण, दुर्गा, महिषासुर, दशहरा, आदि शब्दों के मूलार्थ से तो यही व्यंजित हो रहा है। यहाँ विस्तार से पूरा वर्णन समीचीन नहीं होगा।