चन्दन मंडल, सारस न्यूज़, बंगाल।
भारत नेपाल सीमा के मेची नदी के तट पर लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा गुरुवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिन लंबे इस त्योहार का समापन हो गया। सभी ने छठ पर्व पूरे उत्साह और भक्ति भाव के साथ मनाया। छठ पर्व के चौथे एवं अंतिम दिन तड़के ही उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए व्रती और उनके परिजन अपने घरों से पूजा सामग्रियों के साथ घाटों पर पहुंच गए थे। घुटने तक पानी में डूबे हुए और पूजा सामग्रियों से भरे सूप हाथों में लिए व्रतियों ने भगवान भास्कर को पूरी श्रद्धा के साथ दूसरा अर्घ्य दिया। सुबह घुटने तक पानी में खड़े होकर व्रतधारियों ने सूप, बांस की डलिया में सन्तरा, गन्ना सहित पूजन सामग्री और गाय के दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और सुख समृद्धि की कामना की। दार्जिलिंग जिले के खोरीबाड़ी प्रखंड के दर्जनों गांव जैसे डांगुजोत, देवीगंज, सोनापिण्डी, डुब्बाजोत, आरीभिट्ठा, बैरागीजोत आदि व नेपाल के भद्रपुर, कांकड़भिट्टा, विरतामोड़, धुलाबाड़ी चंद्रगुडी, आदि इलाकों के बड़ी संख्या में दोनों देशों के छठव्रती सरहद की सीमा को तोड़कर मेची नदी पर एकसाथ मिलकर सूर्य की उपासना की और बुधवार को डूबते व गुरुवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। अर्घ्य के बाद छठी मइया के लिए बनाए गए खास ठेकुए और प्रसाद वितरित किया गया। बताते चलें मंगलवार से ही छठ करने वाली महिलाएं व्रत पर थी। बुधवार को छटव्रती व श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को प्रथम अर्ध्य और गुरुवार को उदीयमानन भगवान भास्कर को अर्ध्य देकर अपने जीवन में सुख-शांति व समृद्धि की कामना की। इसके बाद महिलाएं अपने घर में फल व ठेकुए भगवान को भोग लगाकर अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत खोलीं।
वहीं दोनो देशो के बीच मैत्री एवं बेटी रोटी के संबंध को देखते हुए स्थायी पुल होने के बाद भी नेपाल प्रशासन द्वारा अस्थायी चचरी पुल का भी निर्माण किया गया ताकि दोनो देश के श्रध्दालु दोनो तरफ आ जा सके । मालूम हो कि बिहार, बंगाल और नेपाल के तट पर प्रवाहित मेची नदी पर काफी संख्या में एवं दूर -दूर से श्रध्दालु यहाँ के छठ देखने एवं मनाने के लिए आते हैं। यहां भव्य मेला का आयोजन दोनो देशो के लोगो के द्वारा किया जाता है जिसमे विभिन्न तरह की स्टॉल लगाई जाती है साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा मुफ्त चाय -कॉफी, पानी, प्राथमिक उपचार आदि की स्टाल लगाई गयी थी। वहीं, दूसरी ओर नेपाल की ओर घाट पर छठ मइया की प्रतिमा भी स्थापित की गई थी, जिसके दर्शन के लिए श्रध्दालुओ की भीड़ उमड़ पड़ी थी जहां भारी संख्या में श्रध्दालुओ को श्रध्दा से दान करते भी देखा गया। भीड़ को देखते हुए दोनो देशो द्वारा सुरक्षा के भी पुख्ते इंतजाम किए गए थे । शांति संपन्न कराने हेतु भारत व नेपाल के सुरक्षाकर्मी चप्पे चप्पे पर अपनी पैनी नजर बनाई हुई थी। जिससे चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ।
