चंदन मंडल, सारस न्यूज़, खोरीबाड़ी।
● शुक्रवार को सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मां काली के चरणों में अपना माथा टेका
● कल नेपाल, बिहार आदि जगहों से पहुंचेंगे श्रद्धालु माथा टेकने
खोरीबाड़ी:- भारत-नेपाल व बिहार सीमांत के खोरीबाड़ी प्रखंड के बतासी के बलायझोड़ा में बड़ा मां काली मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष पूजा – अर्चना की जाती है और मेला लगता है। इस वर्ष कोरोना के मद्देनजर मेला नहीं लगा। बड़ा काली मंदिर कमेटी के प्रभात मंडल, अमल मंडल आदि ने बताया कि स्थानीय अश्विनी कुमार दे द्वारा 1975 में बतासी स्थित बलायझोरा में बड़ा काली मंदिर स्थापित किया गया था। स्थापना के समय में बड़ा काली माता की प्रतिमा 35 हाथ की ऊंचाई के बराबर बनायी जाती थी । परंतु कुछ वर्षों से उससे छोटी प्रतिमा बन रही है । यह मंदिर आस्थाओं से जुड़ा है। शुक्रवार को सैकड़ों लोगों ने मंदिर पहुंचकर मां काली की पूजा अर्चना करने के बाद मां काली के चरणों में अपना माथा टेका। कमिटी के अध्यक्ष प्रभात मंडल ने बताया कि काली मंदिर में मकर संक्राति के अवसर पर आयोजित मां काली पूजा अर्चना करने श्रद्धालुओ का सैलाब उमड़ती है। नेपाल, बिहार, बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रधालुओ यहां पहुंच पूजा अर्चना करते हैं। कल शनिवार को भी नेपाल, बिहार आदि जगहों से श्रद्धालु मां काली के दरबार में पूजा अर्चना करने पहुंचेंगे। लेकिन कोरोना गाइडलाइंस के नियमों को ख्याल में रखते हुए श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश कर पूजा अर्चना करने की अनुमति दी जायेगी। प्रभात मंडल ने बताया आज 12 बजे रात काली माता का पूजा अर्चना की जायेगी।
हालांकि कोरोना काल के मद्देनजर मेले का आयोजन नहीं हो सका। कमिटी के सचिव अमल मंडल ने बताया स्थानीय अश्विनी कुमार दे ने 1975 ई में बलायझोरा में बड़ा काली मंदिर स्थापित किए थे। स्थापना के समय में बड़ा काली माता की प्रतिमा 35 हाथ की ऊंचाई के बराबर निर्माण किया जाता था । परंतु कुछ वर्षों से अब 22 हाथ की प्रतिमा निर्माण की जाती है। कमिटी के अध्यक्ष प्रभात मंडल ने बताया 47 वर्षों से ही प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के रात बारह बजे पूजा की आयोजन की जाती है। आज रात भी बारह बजे मां काली का विधिवत पूजा -अर्चना की जायेगी। लेकिन कोरोना काल के कारण मेला का आयोजन नहीं होगा। इसके लिए हमारे सभी कमिटी के सदस्यों को खेद है।
समाजसेवी किशोरी मोहन सिंह ने बताया श्रद्धालुओं कोरोना के नियमों को मानते हुए पूजा अर्चना कर रहे हैं। उन्होंने कहा यह मंदिर आस्थाओं से जुड़ा हुआ है। इसलिए यहां नेपाल, बिहार, बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रधालुओ यहां पहुंच पूजा अर्चना करते हैं। लेकिन पिछले साल की तरह इस वर्ष कोरोना की नजर लगी हुई है। जिसके कारण मेला आयोजन इस वर्ष नहीं हुआ। इसके लिए मुझे खेद है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कोविड-19 के नियम को मानते हुए पूजा अर्चना करने की अपील की। वही पूजा आयोजन को सफल बनाने को लेकर कमिटी के अध्यक्ष प्रभात मंडल, अमल मंडल, कोषाध्यक्ष विश्वजीत मंडल सहित कमिटी के अन्य सभी कार्यकर्ता जोर- शोर से लगे हुए दिखे।