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सिक्किम के जंगल में पहली बार दिखी मादा ‘कैसर-ए-हिंद’ तितली, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक क्षण।

सारस न्यूज़, वेब डेस्क।

सिक्किम के नामची जिले के रवंगला में पहली बार भारत में ‘कैसर-ए-हिंद’ (Teinopalpus imperialis, Hope 1843) प्रजाति की मादा तितली की जीवित अवस्था में तस्वीर खींची गई है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि 3 जनवरी 2025 को दोपहर 2:30 बजे दर्ज की गई थी।

इस दुर्लभ क्षण को कैमरे में कैद करने वाले दोनों पशु चिकित्सक चेवांग नोर्बु भूटिया और हिसे ओंग्मु भूटिया रवंगला के निवासी हैं। तितली को लगभग 7,500 फीट की ऊंचाई पर देखा गया।

इस उपलब्धि की घोषणा 14 अप्रैल 2025 को ‘बटरफ्लाईज़ एंड मॉथ्स ऑफ सिक्किम–नेचर कंजर्वेशन सोसाइटी’ (BAMOS-NCS) ने की। संस्था के अनुसार, यह पहली बार है जब भारत में इस प्रजाति की मादा तितली को जंगल में देखा और चित्रित किया गया है।

यह ऐतिहासिक तस्वीर सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोलए) को भेंट की गई।

‘कैसर-ए-हिंद’ का अर्थ है ‘भारत का सम्राट’। यह तितली भारत के सबसे दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक है। इसे वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 की अनुसूची-I में शामिल किया गया है और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा ‘निकट संकटग्रस्त’ श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।

गौरतलब है कि इससे पहले इस प्रजाति के नर तितली की ही तस्वीर भारत में खींची गई थी। अरुणाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 में इसे राज्य की राजकीय तितली घोषित किया था।

इस मादा तितली की पहचान में प्रमुख संरक्षणवादी नवांग ग्यात्सो भूटिया, काविता राय, प्रेम बानिया छेत्री और सोनम वांगचुक रोंगकोप (लेप्चा) ने अहम भूमिका निभाई। इन सभी का संबंध BAMOS-NCS से है।

इसके अतिरिक्त, असम के प्रख्यात लेपिडोप्टेरिस्ट मानसून ज्योति गोगोई और ATREE (Ashoka Trust for Research in Ecology and the Environment) के वैज्ञानिक सैलेन्द्र देवान ने भी इस पहचान को प्रमाणित किया।

फोटोग्राफर चेवांग नोर्बु भूटिया ने कहा, “संस्था द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम बेहद जानकारीपूर्ण और सहयोगी रहे। उनकी पुष्टि से इस खोज का महत्व और भी बढ़ गया।”

BAMOS-NCS ने इस दुर्लभ मादा तितली की तस्वीर को सिक्किम में बटरफ्लाई टूरिज्म के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है। सिक्किम में तितलियों की 720 से अधिक प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जिससे यह क्षेत्र तितली प्रेमियों और प्रकृति फोटोग्राफरों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनता जा रहा है।

संस्था द्वारा तितली संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम, गाइडेड ट्रेल्स और शैक्षणिक अभियानों का संचालन किया जा रहा है, जिससे स्थानीय समुदायों को भी सतत आजीविका का समर्थन मिल रहा है।

बटरफ्लाई सोसाइटी ऑफ सिक्किम के महासचिव सोनम पिंटोस शेर्पा ने जानकारी दी कि अगस्त 2024 में उत्तर सिक्किम के ज़ोंगू क्षेत्र में नर कैसर-ए-हिंद को देखा गया था। “इस प्रजाति की मादा तितली को जंगल में देखना अत्यंत दुर्लभ होता है,” उन्होंने कहा।

शेर्पा के अनुसार, सिक्किम में तितली पर्यटन को लेकर रुचि लगातार बढ़ रही है। रिम्बी, कितम बर्ड सेंचुरी और ज़ोंगू इस दिशा में प्रमुख स्थल बनकर उभर रहे हैं, जहां ‘सिक्स-बार स्वॉर्डटेल’, ‘स्पेक्टकल स्वॉर्डटेल’ और ‘ब्लू ड्यूक’ जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं।


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