सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी।
बंगाल केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (बीसीडीए) की ओर से नकली दवाओं के प्रति लोगों को सिलीगुड़ी शहर में लगातार जागरूक किया जा रहा है। साथ ही बाजार में नकली दवाओं की संभावना को रोकने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर से दवाईयों की सैंपलिंग करने की मांग की गई है ताकि समय रहते नकली दवा व कम गुणवत्ता वाले दवा के कारोबार को रोका जा सके। इसे लेकर सिलिगुड़ी के सभी रिटेल दवा विक्रेताओं ने अपनी दुकानों पर एक खास पोस्टर भी लगाया है। इसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि दवा पर सर्वाधिक छूट 16 प्रतिशत से 20 प्रतिशत ही मिलती है। नकली व निम्न गुणवत्ता वाले दवाओं से सावधान रहें।
एसोसिएशन के दार्जिलिंग जिला सचिव विजय गुप्ता कहते हैं कि कुछ तो गड़बड़ है। बाजार में रिटेल दुकानों से दवा पर 20 से 25 प्रतिशत तक की छूट दे दी जा रही है। जबकि होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर को कंट्रोल्ड दवा पर 8 प्रतिशत तथा अन कंट्रोल्ड दवा पर 10 प्रतिशत तक की ही छूट होती है। वहीं रिटेलर को कंट्रोल्ड दवा पर 16 प्रतिशत तथा अन कंट्रोल्ड दवा पर 20 प्रतिशत तक की छूट मिलती है। ऐसे में कैसे इतनी बड़ी छूट दी जा सकती है। ऐसे में दवाओं की गुणवत्ता भी एक विषय है, जिसकी ड्रग कंट्रोलर को जांच करनी चाहिए। जांच से ही दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा।
आज के दौर में यह गंभीर एक सवाल है। इस पर विचार होना चाहिए। साथ ही वह कहते हैं कि दवा पर छूट को लेकर उनकी बहस नहीं है। कोई अपना पूरा मुनाफा ही छोड़ दे उससे उन्हें मतलब नहीं है, लेकिन शंकाओं का निराकरण होना चाहिए। ऑन लाइन के जरिए भी दवाईयां लोगों तक पहुंच रही हैं। इसे लेकर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसके लिए मानक तय होना चाहिए। यह देखना होगा कि उनके पास फर्मासिस्ट है या नहीं। दवा मानक के हिसाब से उचित तापपान में रखा जा रहा है या नहीं। उनका कहना है कि लोगों को सुविधागत तरीके से दवाईयां मिले, लेकिन सही दवा मिलनी चाहिए। साथ ही खुदरा दवा विक्रेताओं को समय के हिसाब से चलना होगा। उसे अपनी दुकानों में प्रेशर चेक करने से लेकर वजन मापने व इंजेक्शन देने तक की सेवा देनी होगी, तभी ग्राहक उन तक पहुंचेंगे।
बताते चले कि बंगाल केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन की ओर से इन सभी विषयों को लेकर जिलाधिकारी व ड्रग कंट्रोलर को पत्र लिखा गया है। उन्हें एक्शन का इंतजार है। ऐसा माना जा रहा है कि कुछ बड़े दवा विक्रेताओं द्वारा अधिक छूट दिए जाने व ऑन लाइन दवा उपलब्ध होने से छोटे दवा विक्रेता बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है।