सारस न्यूज टीम, सिलीगुड़ी।
रविवार को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट फतह करने वाले तेनजिंग नोर्गे की 108वीं जयंती मनाई गई। महान पर्वतारोही तेनजिंग नोर्गे की जयंती के अवसर पर ही 69वां अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस भी मनाया गया। दार्जिलिंग मोड़ स्थित तेनजिंग नोर्गे की स्थापित इनकी आदमकद प्रतिमा पर सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। नैफ के तत्वावधान व सिलीगुड़ी नगर निगम के सहयोग से आयोजित जयंती समारोह कार्यक्रम को संबोधित कर गौतम देव ने कहा कि सर्वप्रथम महान पर्वतारोही शेर्पा तेनजिंग नोर्गे, सर एडमंड हिलेरी के साथ 29 मई 1953 को एवरेस्ट पर चढ़ने वाले विश्व के पहले व्यक्ति थे। देश को विश्व पर्वतारोहण मानचित्र में लाने में स्वर्गीय तेनजिंग के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि एवरेस्ट की उनकी ऐतिहासिक चढ़ाई ने दक्षिण-पूर्व एशिया के पहले पर्वतारोहण संस्थान, हिमालय पर्वतारोहण संस्थान (एचएमआई) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, जिसे भारतीय पर्वतारोहण के मक्का के रूप में जाना जाता है।

बताते चलें कि एवरेस्ट पर्वत पर चढ़ाई के पश्चात् वह अपना जन्मदिन 29 मई को मनाने लगे थे। उनका बचपन का नाम नामग्याल वागंडी था, लेकिन लामा प्रमुख ने उनका नाम बदल कर नगावांग तेनज़िंग नोर्गे कर दिया था, जिसका अर्थ है- धनी, भाग्यशाली, धर्म को मानने वाला। उनके पिता घांग ला मिंगमा याक पालने वाले थे। उनकी माँ का नाम डोक्यो किन्जम, जो उनके पर्वतारोहण तक जीवित थीं। अपने माता-पिता के 13 बच्चों में वह 11वीं संतान थे, जिनमें से अधिकांश की मृत्यु हो गई थी। तेनज़िंग को खुमजंग भूटिया नाम से भी पुकारा जाता था। वह बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। उन्होंने भारत की नागरिकता 1933 में ग्रहण कर ली थी। वह बचपन में दो बार काठमांडू चले गए थे। बाद में 19 वर्ष की उम्र में बंगाल के दार्जिलिंग में शेरपा जाति के साथ रहने लगे।