संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा 2022 की फाइनल परीक्षा में अविनाश कुमार ने 17वां रैंक लाकर अररिया जिले के साथ-साथ सीमांचल व बिहार का भी मान बढ़ाया है। अविनाश मूल रूप से फारबिसगंज प्रखंड के बधुआ गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता अजय कुमार सिंह किसान हैं जबकि मां प्रतिमा देवी गृहिणी हैं। 25 वर्षीय अविनाश ने बताया कि उनका यह तीसरा प्रयास था। पूर्व के प्रयासों में प्रारंभिक परीक्षा में भी वह चयनित नहीं हुए थे। सेल्फ स्टडी के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सेल्फ स्टडी को हमेशा पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल सीमा पर फारसिबगंज और जोगबनी के बीच बधुवा नामक गांव को हर साल बाढ़ का सामना करता है। किसानों को भारी नुकसान होता है। उन्होंने कहा, मैंने अपने पिता के दर्द और पीड़ा को भी अनुभव किया है, जो अब एक किसान हैं। परिजनों ने बताया कि अविनाश की 10वीं तक की पढ़ाई फारबिसगंज शहर के श्री रानी सरस्वती विद्या मंदिर में हुई। इसमें उन्हें 10 सीजीपीए प्राप्त हुए थे। 12वीं की पढ़ाई बोकारो के चिन्मय विद्यालय में हुई। इसके बाद उन्होंने यादवपुर विश्व विद्यालय कोलकाता से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। 9.36 अंक के साथ उसे यूनिवर्सिटी मेडल भी मिला था।12वीं के बाद उन्होंने यादवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। यहां उन्होंने स्वर्ण पदक भी हासिल किया। 2020 तक एक इंजीनियर के रूप में पश्चिम बंगाल में बिजली विभाग में काम किया।वहीं अविनाश कुमार की इस उपलब्धि से जहां परिजन गदगद हैं वहीं जिले व सीमांचलवासी फूले नहीं समा रहे हैं।
सारस न्यूज किशनगंज।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा 2022 की फाइनल परीक्षा में अविनाश कुमार ने 17वां रैंक लाकर अररिया जिले के साथ-साथ सीमांचल व बिहार का भी मान बढ़ाया है। अविनाश मूल रूप से फारबिसगंज प्रखंड के बधुआ गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता अजय कुमार सिंह किसान हैं जबकि मां प्रतिमा देवी गृहिणी हैं। 25 वर्षीय अविनाश ने बताया कि उनका यह तीसरा प्रयास था। पूर्व के प्रयासों में प्रारंभिक परीक्षा में भी वह चयनित नहीं हुए थे। सेल्फ स्टडी के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सेल्फ स्टडी को हमेशा पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल सीमा पर फारसिबगंज और जोगबनी के बीच बधुवा नामक गांव को हर साल बाढ़ का सामना करता है। किसानों को भारी नुकसान होता है। उन्होंने कहा, मैंने अपने पिता के दर्द और पीड़ा को भी अनुभव किया है, जो अब एक किसान हैं। परिजनों ने बताया कि अविनाश की 10वीं तक की पढ़ाई फारबिसगंज शहर के श्री रानी सरस्वती विद्या मंदिर में हुई। इसमें उन्हें 10 सीजीपीए प्राप्त हुए थे। 12वीं की पढ़ाई बोकारो के चिन्मय विद्यालय में हुई। इसके बाद उन्होंने यादवपुर विश्व विद्यालय कोलकाता से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। 9.36 अंक के साथ उसे यूनिवर्सिटी मेडल भी मिला था।12वीं के बाद उन्होंने यादवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। यहां उन्होंने स्वर्ण पदक भी हासिल किया। 2020 तक एक इंजीनियर के रूप में पश्चिम बंगाल में बिजली विभाग में काम किया।वहीं अविनाश कुमार की इस उपलब्धि से जहां परिजन गदगद हैं वहीं जिले व सीमांचलवासी फूले नहीं समा रहे हैं।
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