केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज अपने बिहार दौरे के तहत अररिया जिले के फारबिसगंज में कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। यह सम्मेलन फारबिसगंज के ऐतिहासिक हवाई फील्ड पर आयोजित किया जा रहा है, जो ना सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका इतिहास भी बेहद रोचक और संवेदनशील रहा है।
इस अर्द्ध-निर्मित हवाई पट्टी की पृष्ठभूमि नेपाल और चीन जैसे अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से जुड़ी रही है। बताया जाता है कि नेपाल की पहली महिला कार्यकारी प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुवेदी और उनके साथियों ने नेपाल में लोकतांत्रिक आंदोलन के दौरान नेपाल एयरलाइंस के एक विमान का अपहरण कर उसे यहीं फारबिसगंज में उतारा था। इस घटना का उद्देश्य आंदोलन को आर्थिक सहयोग जुटाना था।
इतिहास के पन्नों में और पीछे जाएं तो वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान इस हवाई पट्टी का सामरिक उपयोग किया गया था। उस समय भागलपुर जेल में बंद कैदियों से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के आदेश पर इस हवाई पट्टी का निर्माण कराया गया था। युद्ध के दौरान लगभग दो महीने तक यहां से सैन्य मूवमेंट संचालित हुआ था।
इन ऐतिहासिक और सामरिक महत्व के चलते फारबिसगंज की इस हवाई पट्टी को पूर्ण रूप से चालू करने की मांग पिछले कई दशकों से उठती रही है। अब अमित शाह के आगमन से एक बार फिर इस हवाई फील्ड की संभावनाओं को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए अमित शाह जहां भाजपा को आगामी चुनावों के लिए ऊर्जा देने वाले हैं, वहीं यह स्थान एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज अपने बिहार दौरे के तहत अररिया जिले के फारबिसगंज में कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। यह सम्मेलन फारबिसगंज के ऐतिहासिक हवाई फील्ड पर आयोजित किया जा रहा है, जो ना सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका इतिहास भी बेहद रोचक और संवेदनशील रहा है।
इस अर्द्ध-निर्मित हवाई पट्टी की पृष्ठभूमि नेपाल और चीन जैसे अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से जुड़ी रही है। बताया जाता है कि नेपाल की पहली महिला कार्यकारी प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुवेदी और उनके साथियों ने नेपाल में लोकतांत्रिक आंदोलन के दौरान नेपाल एयरलाइंस के एक विमान का अपहरण कर उसे यहीं फारबिसगंज में उतारा था। इस घटना का उद्देश्य आंदोलन को आर्थिक सहयोग जुटाना था।
इतिहास के पन्नों में और पीछे जाएं तो वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान इस हवाई पट्टी का सामरिक उपयोग किया गया था। उस समय भागलपुर जेल में बंद कैदियों से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के आदेश पर इस हवाई पट्टी का निर्माण कराया गया था। युद्ध के दौरान लगभग दो महीने तक यहां से सैन्य मूवमेंट संचालित हुआ था।
इन ऐतिहासिक और सामरिक महत्व के चलते फारबिसगंज की इस हवाई पट्टी को पूर्ण रूप से चालू करने की मांग पिछले कई दशकों से उठती रही है। अब अमित शाह के आगमन से एक बार फिर इस हवाई फील्ड की संभावनाओं को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए अमित शाह जहां भाजपा को आगामी चुनावों के लिए ऊर्जा देने वाले हैं, वहीं यह स्थान एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है।
Leave a Reply