प्रधानमंत्री श्री जवाहर नवोदय विद्यालय, अररिया के कला शिक्षक और मूर्तिकार, राजेश कुमार ने देशहित में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने एक माह का वेतन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान करने का अनुरोध अपने विद्यालय के प्राचार्य से किया है।
कला शिक्षक राजेश कुमार का यह सराहनीय निर्णय देश की आंतरिक सुरक्षा को मज़बूती देने के लिए है, विशेष रूप से पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों की सहायता करने के लिए। उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादी मनसूबों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इस छोटे से आर्थिक योगदान का फैसला किया है।
राजेश कुमार का यह कदम न केवल उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि उन्होंने इस निर्णय के माध्यम से अन्य लोगों को भी देशहित में योगदान देने के लिए प्रेरित किया है। उनका कहना है, “देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारे सैनिकों के कंधों पर है, जो सीमा पर अपनी जान की परवाह किए बिना हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं। ऐसे में, हम सब को भी किसी न किसी रूप में देश की सेवा में अपना योगदान देना चाहिए।”
उन्होंने बताया कि उन्हें इस कदम की प्रेरणा प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. विजय नाथ मिश्र से मिली, जिन्होंने पहले अपने वेतन का अंशदान राहत कोष में दिया था। यही प्रेरणा लेकर उन्होंने भी अपना योगदान देने का निर्णय लिया है।
यह उदाहरण एक शिक्षक की राष्ट्रप्रेम और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक बन गया है, जो न केवल अपने कार्यक्षेत्र में निपुण हैं, बल्कि देश के प्रति अपनी भूमिका निभाने में भी अग्रणी हैं।
सारस न्यूज़, अररिया।
प्रधानमंत्री श्री जवाहर नवोदय विद्यालय, अररिया के कला शिक्षक और मूर्तिकार, राजेश कुमार ने देशहित में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने एक माह का वेतन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान करने का अनुरोध अपने विद्यालय के प्राचार्य से किया है।
कला शिक्षक राजेश कुमार का यह सराहनीय निर्णय देश की आंतरिक सुरक्षा को मज़बूती देने के लिए है, विशेष रूप से पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों की सहायता करने के लिए। उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादी मनसूबों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इस छोटे से आर्थिक योगदान का फैसला किया है।
राजेश कुमार का यह कदम न केवल उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि उन्होंने इस निर्णय के माध्यम से अन्य लोगों को भी देशहित में योगदान देने के लिए प्रेरित किया है। उनका कहना है, “देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारे सैनिकों के कंधों पर है, जो सीमा पर अपनी जान की परवाह किए बिना हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं। ऐसे में, हम सब को भी किसी न किसी रूप में देश की सेवा में अपना योगदान देना चाहिए।”
उन्होंने बताया कि उन्हें इस कदम की प्रेरणा प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. विजय नाथ मिश्र से मिली, जिन्होंने पहले अपने वेतन का अंशदान राहत कोष में दिया था। यही प्रेरणा लेकर उन्होंने भी अपना योगदान देने का निर्णय लिया है।
यह उदाहरण एक शिक्षक की राष्ट्रप्रेम और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक बन गया है, जो न केवल अपने कार्यक्षेत्र में निपुण हैं, बल्कि देश के प्रति अपनी भूमिका निभाने में भी अग्रणी हैं।
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