निर्माणाधीन अररिया-सुपौल रेल लाइन परियोजना में हो रही मिट्टी कटाई पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यह कार्य नियमों के विरुद्ध किया जा रहा है और सरकारी जमीन से अवैध रूप से मिट्टी काटी जा रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि संबंधित अभिकर्ता द्वारा 5 से 7 फीट तक मिट्टी काटी जा रही है, जो मापदंडों का उल्लंघन है। उनका यह भी कहना है कि जिस जमीन से मिट्टी काटी जा रही है, वहां एक बड़ा स्टेडियम बनाया जा सकता था। लेकिन अंधाधुंध कटाई के कारण अब यह भूखंड तालाब में बदल चुका है।
यह भूखंड खाता संख्या 18, खेसरा संख्या 86, रकवा 45 एकड़, मौजा खजुरी, वार्ड संख्या 6 में स्थित है। पहले यह जमीन सुरेंद्र जायसवाल के नाम पर थी, लेकिन कोर्ट में केस हारने के बाद यह बिहार सरकार के स्वामित्व में आ गई। ग्रामीणों का सवाल है कि बिहार सरकार की जमीन का बिना उचित अनुमति के उपयोग कैसे किया जा सकता है?
ग्रामीणों ने खनन विभाग और अंचलाधिकारी को मामले की जानकारी दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने प्रशासन से अवैध मिट्टी कटाई पर तत्काल रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की अनियमितता से न केवल सरकारी संपत्ति का नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय विकास की संभावनाएं भी खत्म हो रही हैं।
इस मामले में निर्माणाधीन स्थल पर मौजूद मुंशी अजय सिंह ने बताया कि जिस जमीन से मिट्टी काटी जा रही है, उसके लिए भूस्वामी द्वारा एग्रीमेंट किया गया है। हालांकि, एग्रीमेंट पेपर के साथ जारी की गई जमीन की रसीद सरकारी मोहर के बिना निर्गत की गई है, जो अमान्य है। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर आवास के लिए सरकार पर्चा देती है, न कि मिट्टी बेचने के लिए।
इस संबंध में अंचलाधिकारी निरंजन कुमार मिश्र ने कहा कि पहले भी सरकारी जमीन से मिट्टी कटाई की जा रही थी, जिसे रोक दिया गया था। उन्होंने कहा कि फिलहाल मिट्टी कटाई का मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है, लेकिन स्थल निरीक्षण कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सारस न्यूज़, अररिया।
निर्माणाधीन अररिया-सुपौल रेल लाइन परियोजना में हो रही मिट्टी कटाई पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यह कार्य नियमों के विरुद्ध किया जा रहा है और सरकारी जमीन से अवैध रूप से मिट्टी काटी जा रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि संबंधित अभिकर्ता द्वारा 5 से 7 फीट तक मिट्टी काटी जा रही है, जो मापदंडों का उल्लंघन है। उनका यह भी कहना है कि जिस जमीन से मिट्टी काटी जा रही है, वहां एक बड़ा स्टेडियम बनाया जा सकता था। लेकिन अंधाधुंध कटाई के कारण अब यह भूखंड तालाब में बदल चुका है।
यह भूखंड खाता संख्या 18, खेसरा संख्या 86, रकवा 45 एकड़, मौजा खजुरी, वार्ड संख्या 6 में स्थित है। पहले यह जमीन सुरेंद्र जायसवाल के नाम पर थी, लेकिन कोर्ट में केस हारने के बाद यह बिहार सरकार के स्वामित्व में आ गई। ग्रामीणों का सवाल है कि बिहार सरकार की जमीन का बिना उचित अनुमति के उपयोग कैसे किया जा सकता है?
ग्रामीणों ने खनन विभाग और अंचलाधिकारी को मामले की जानकारी दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने प्रशासन से अवैध मिट्टी कटाई पर तत्काल रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की अनियमितता से न केवल सरकारी संपत्ति का नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय विकास की संभावनाएं भी खत्म हो रही हैं।
इस मामले में निर्माणाधीन स्थल पर मौजूद मुंशी अजय सिंह ने बताया कि जिस जमीन से मिट्टी काटी जा रही है, उसके लिए भूस्वामी द्वारा एग्रीमेंट किया गया है। हालांकि, एग्रीमेंट पेपर के साथ जारी की गई जमीन की रसीद सरकारी मोहर के बिना निर्गत की गई है, जो अमान्य है। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर आवास के लिए सरकार पर्चा देती है, न कि मिट्टी बेचने के लिए।
इस संबंध में अंचलाधिकारी निरंजन कुमार मिश्र ने कहा कि पहले भी सरकारी जमीन से मिट्टी कटाई की जा रही थी, जिसे रोक दिया गया था। उन्होंने कहा कि फिलहाल मिट्टी कटाई का मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है, लेकिन स्थल निरीक्षण कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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