Saaras News – सारस न्यूज़ – चुन – चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

केवीके के बंद होने से कृषि अर्थव्यवस्था को गहरा ठेस, किया गया कलम बंद हड़ताल।

सारस न्यूज़, अररिया।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर द्वारा 29 जनवरी को जारी पदोन्नति रद्द करने संबंधी पत्र और 31 जनवरी को जारी सेवानिवृत्ति संबंधी पत्र के विरोध में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के सभी कर्मियों ने एक दिवसीय कलम बंद सांकेतिक हड़ताल का आयोजन किया।

हड़ताल पर बैठे केवीके के कर्मियों ने कहा कि अवैधानिक रूप से तुगलकी फरमान की तरह कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मियों के साथ विश्वविद्यालय द्वारा व्यवहार किया जा रहा है। एक तरफ राज्य सरकार और विश्वविद्यालय अतिरिक्त कार्यों का बोझ डालकर कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मियों का शोषण कर रही है, तो दूसरी ओर सहमति पत्र की गलत व्याख्या के आधार पर पदोन्नति को रद्द और सेवानिवृत्ति का आदेश जारी कर दिया गया है, जो संवैधानिक दायित्वों का घोर उल्लंघन है।

कर्मियों का कहना है कि विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत नियुक्ति और स्थायी सेवा के शर्तों में दशकों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी, लेकिन अब बिना तथ्यों को समझे विश्वविद्यालय इस प्रकार के कदम उठा रही है।

कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मियों ने इस अनैतिक, असंवैधानिक और तुगलकी फरमान के विरोध में सांकेतिक हड़ताल कर अपना रोष प्रकट किया। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी कठिनाइयों को दूर नहीं करती है, तो यह संघर्ष और तेज किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप कृषि अर्थव्यवस्था को गहरा ठेस पहुंचेगा।

कर्मियों ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र देशभर में दशकों से लाखों किसानों की सेवा में समर्पित एकमात्र तकनीकी ज्ञान के स्रोत के रूप में कार्य कर रहा है। लेकिन अब कुछ देशद्रोही तत्वों और चापलूसों के द्वारा शब्दों के हेराफेरी कर केंद्र के कर्मियों का मनोबल तोड़ा जा रहा है, ताकि इसे बीएसएनएल की तरह तबाह कर किसी निजी कंपनी के हाथों सौंप दिया जाए।

कर्मियों ने यह भी कहा कि सरकार पहले किसान विरोधी नीतियों को लागू करना चाहती थी, जिसमें असफल होने के बाद कृषि ज्ञान के इस स्रोत पर हमला कर कृषि जगत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *