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मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान एवं प्रबंधन।

सारस न्यूज़, अररिया।

कृषि विभाग-पौधा संरक्षण सामयिक सूचना

फॉल आर्मीवर्म कीट (Fall Armyworm) –
बिहार राज्य में वर्ष 2019 में मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट का आक्रमण देखा गया था। फॉल आर्मीवर्म कीट के लिए मक्का सबसे आकर्षक फसल है, इसलिए यह मुख्य रूप से मक्का की फसल को नुकसान पहुंचाता है। मक्का की अनुपलब्धता में यह कीट ज्वार की फसल पर भी आक्रमण करता है। यदि दोनों ही फसलें उपलब्ध नहीं हैं, तो यह घास कुल की फसलों जैसे- गन्ना, चावल, गेहूँ, रागी, चारा, घास आदि को प्रभावित करता है। यह कपास और सब्जियों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

फॉल आर्मीवर्म कीट के वयस्क पतंगे तीव्र उड़ान भरने वाले होते हैं, जो मेजबान पौधों की तलाश में एक दिन में 100 किलोमीटर से भी अधिक उड़ सकते हैं। विशिष्ट फेरोमोन फंदे फॉल आर्मीवर्म कीट के नर पतंगों को आकर्षित करते हैं। नर पतंगों में दो प्रमुख लक्षण होते हैं – एक भड़कीला रंग का स्थान और अग्रपंख के शिखर भाग पर सफेद पैच। मादा के अग्रपंख बेजान व धुंधले निशान वाले होते हैं।

एक मादा पतंग अपने जीवनकाल में अकेले या समूहों में 200 से 1000 तक अंडे देती है, जो बालों से ढंके होते हैं। अंडों की इन्क्यूबेशन अवधि 4 से 6 दिनों तक होती है। नए जन्मे लार्वा हैचिंग साइट से नयी पत्तियों की निचली सतह की बाह्य (एपिडर्मल) परतों पर खाने के लिए पहुंचते हैं। लार्वा का विकास 14 से 18 दिनों में होता है, जिसमें प्रथम से छठे इंस्टार होते हैं। छठे इंस्टार के बाद प्यूपा विकसित होता है। प्यूपा लाल भूरे रंग का होता है। व्यस्क पतंगे 4 से 6 दिनों तक जीवित रह सकते हैं। एक अध्ययन में देखा गया है कि अगस्त से जनवरी माह में इस कीट की कुल जीवन चक्र अवधि 31 से 35 दिनों की होती है।

फॉल आर्मीवर्म कीट की केवल लार्वा अवस्था ही मक्का की फसल को नुकसान पहुंचाती है। इसके लार्वा मुलायम त्वचा वाले होते हैं जो बढ़ने के साथ हल्के हरे या गुलाबी से भूरे रंग के हो जाते हैं।

फॉल आर्मीवर्म कीट के लार्वा की पहचान के लिए, पीठ पर तीन प्रमुख रेखाएँ और सिर पर अंग्रेजी भाषा के उल्टे “Y” आकार की सफेद रंग की संरचना प्रमुख लक्षण होते हैं।

मक्का में फॉल आर्मीवर्म कीट के लक्षण और प्रबंधन: फॉल आर्मीवर्म कीट के लक्षण आधारित उपचार दो कारणों से बहुत आवश्यक हैं:
(i) पौधे पर लक्षणों के बढ़ने की अवस्था को दर्शाती है और
(ii) कीटनाशक या नियंत्रण उपाय लार्वा वृद्धि की अवस्था पर निर्भर करते हैं।

अंकुरित अवस्था से ही मक्का की फसल का अवलोकन करना शुरू कर देना चाहिए। यदि विभिन्न आकार के लम्बे और कागजी छिद्र (paper-like holes) आस-पास के कुछ पौधों की पत्तियों पर दिखाई देते हैं, तो फसल फॉल आर्मीवर्म कीट से प्रभावित होने का संकेत है। यह लक्षण फॉल आर्मीवर्म कीट लार्वा की पहली और दूसरी इंस्टार के कारण होते हैं जो पत्तियों की सतह को खुरच कर खाते हैं। इस लक्षण की प्रारंभिक पहचान फॉल आर्मीवर्म कीट के प्रभावी प्रबंधन के लिए बहुत जरूरी है।

प्रबंधन के उपाय: इस स्तर पर वानस्पतिक और सूक्ष्मजीव कीटनाशकों के माध्यम से लार्वा का प्रबंधन करना आसान होता है:

  1. 5% नीम बीज कर्नेल इमल्शन (NSKE) या एजाडिराक्टिन 1500 पीपीएम @ 5 मिली/लीटर पानी।
  2. बेसिलस थूरिजिंनेसिस {किस्म कुर्सटकी} फॉर्मूलेशन (डिपेल 8 एल @ 2 मिली/लीटर पानी या डेल्फिन 5 डब्ल्यूजी @ 2 ग्राम/लीटर पानी)।
  3. एन्टोमोपैथोजेनिक कवक मेटारिजियम एनिसोप्लाए (1 X 10 cfu/g) @5 ग्राम/लीटर और/या नोमुरिया रिलेयी चावल अनाज फॉर्मूलेशन (1 X 10 cfu/g) @3 ग्राम/लीटर पानी।

जब क्षेत्र में संक्रमण 10% से अधिक हो, तो रासायनिक कीटनाशकों का सहारा लेना बेहतर होता है। बड़े लार्वा के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग किया जाना चाहिए।

रासायनिक कीटनाशक: लार्वा की तीसरी और चौथी इंस्टार के द्वारा नुकसान होने पर निम्नलिखित रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव की आवश्यकता होती है:

  1. स्पिनेटोरम 11.7% एससी @ 0.5 मिली/लीटर पानी।
  2. क्लोरेंट्रोनिलिप्रोएल 18.5% एससी @ 0.4 मिली/लीटर पानी।
  3. थियामेथोक्साम 12.6% + लैम्बडा साइहैलोथ्रीन 9.5% जेड सी @ 0.25 मिली/लीटर पानी।
  4. इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 0.4 ग्राम/लीटर पानी।

समेकित प्रबंधन की रणनीतियाँ:

  1. एकल क्रॉस संकर मक्का का चयन और विशेष रूप से मीठी मक्का के लिए कसी हुई (टाईट) हश्क एवं टिप को कवर करने वाली किस्मों का चुनाव करें।
  2. प्रत्येक फसल की कटाई के बाद गहरी जुताई करें जिससे फॉल आर्मीवर्म कीट के प्यूपा मिट्टी के बाहर सूरज की रोपनी में आ सके।
  3. मक्का की अंतरवर्तीय खेती (इंटर-क्रॉपिंग) करें, जैसे मक्का + अरहर/चना/मूंग/नेपियर घास आदि।
  4. पौधों को आपस में एक समान दूरी पर लगाएं।

सावधानियाँ:

  1. कीटनाशकों के स्प्रे और जहरीले पदार्थ/चुग्गे का प्रयोग करते समय दस्ताने और मास्क का उपयोग करें।
  2. कीटनाशकों के स्प्रे के 48 घंटे बाद ही खेत में प्रवेश करें।
  3. कीटनाशकों के स्प्रे के समय स्टीकर का प्रयोग करें।
  4. जानवरों को कम से कम एक महीने तक कीटनाशकों के स्प्रे किए गए खेत में चराई से रोकें।

विशेष सेवा और सुविधा के लिए संपर्क करें: अपने नजदीकी पौधा संरक्षण केन्द्र, कृषि विज्ञान केन्द्र या सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण, सहायक निदेशक, उद्यान या जिला कृषि कार्यालय से सम्पर्क करें।

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