सिकटी विधानसभा क्षेत्र से छठी बार जीत की हैट्रिक लगाने वाले नवनिर्वाचित विधायक विजय कुमार मंडल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि क्षेत्रीय राजनीति में उनका दबदबा लगातार मजबूत होता जा रहा है। 90 के दशक में राजनीति की पिच पर कदम रखने वाले विजय मंडल ने बीते तीन दशकों में कई सीनियर और दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में मात दी है।
उनकी राजनीतिक यात्रा उतार–चढ़ाव भरी जरूर रही, पर जीत का अंतर लगातार बढ़ता गया—खासतौर पर भाजपा में शामिल होने के बाद। कभी निर्दलीय तो कभी विभिन्न दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मंडल ने हर दौर में अपनी पकड़ बनाए रखी।
बताया जाता है कि विजय मंडल के राजनीतिक मार्गदर्शक उनके पिता नंदकेश्वर मंडल थे। हालांकि पिता खुद विधायक नहीं बन पाए, लेकिन राजनीतिक समझ, संगठन कौशल और जनता से जुड़ाव जैसे गुण उन्होंने बेटे में जरूर रोपे। यही सीख आगे चलकर विजय मंडल की पहचान और ताकत बनी।
आज सिकटी की राजनीति में विजय मंडल एक ऐसे नेता के रूप में देखे जाते हैं, जिन्होंने संघर्ष और रणनीति दोनों के दम पर अपनी अलग जगह बनाई है।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
सिकटी विधानसभा क्षेत्र से छठी बार जीत की हैट्रिक लगाने वाले नवनिर्वाचित विधायक विजय कुमार मंडल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि क्षेत्रीय राजनीति में उनका दबदबा लगातार मजबूत होता जा रहा है। 90 के दशक में राजनीति की पिच पर कदम रखने वाले विजय मंडल ने बीते तीन दशकों में कई सीनियर और दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में मात दी है।
उनकी राजनीतिक यात्रा उतार–चढ़ाव भरी जरूर रही, पर जीत का अंतर लगातार बढ़ता गया—खासतौर पर भाजपा में शामिल होने के बाद। कभी निर्दलीय तो कभी विभिन्न दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मंडल ने हर दौर में अपनी पकड़ बनाए रखी।
बताया जाता है कि विजय मंडल के राजनीतिक मार्गदर्शक उनके पिता नंदकेश्वर मंडल थे। हालांकि पिता खुद विधायक नहीं बन पाए, लेकिन राजनीतिक समझ, संगठन कौशल और जनता से जुड़ाव जैसे गुण उन्होंने बेटे में जरूर रोपे। यही सीख आगे चलकर विजय मंडल की पहचान और ताकत बनी।
आज सिकटी की राजनीति में विजय मंडल एक ऐसे नेता के रूप में देखे जाते हैं, जिन्होंने संघर्ष और रणनीति दोनों के दम पर अपनी अलग जगह बनाई है।
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