मखाना की खेती के प्रति जिले के किसानों का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। जिले की जलवायु और मिट्टी दोनों ही मखाना की खेती के लिये बेहद उपयुक्त है। वैसे तो बीते कई सालों से जिले में मखाना की खेती हो रही है, लेकिन हाल के कुछ एक वर्षों में मखाना की खेती के प्रति किसानों का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। चांप और चौर की बहुलता वाला अररिया जिला मखाना की खेती के लिये बिल्कुल उपयुक्त माना जा रहा है। लिहाजा सरकारी स्तर से ही जिले में मखाना की खेती को प्रोत्साहित करने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। पहले जहां जलजमाव वाले इलाके, गड्ढेनुमा खेत का उपयोग किसी दूसरे फसल के लिये नहीं हो पाता था, वहां अब बहुतायत में मखाना की फसल उपजाई जाने लगी है। इतना ही नहीं आधुनिक तकनीक के सहारे सामान्य खेतों को मखाना की खेती के लिये उपयुक्त बना कर किसान इसकी खेती में रूचि ले रहे हैं।
एक हजार एकड़ में हो रहा मखाना का उत्पादन
जिले में छिटपुट तरीके से जलजमाव व गडढ़ेनुमा खेतों में मखाना की खेती होती थी। वहीं अब जिले में मखाना की खेती का रकवा लगातार तेजी से बढ़ रहा है। जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी मुताबिक फिलहाल जिले में करीब एक हजार एकड़ में मखाना की खेती की जा रही है। जिले के करीब 25 सौ किसान सीधे तौर पर मखाना की खेती से जुड़े हैं।
कृषकों को अनुदान देने का है प्रावधान
मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिये जिला उद्यान विभाग द्वारा किसानों को समय समय पर जरूरी प्रशिक्षण के साथ-साथ किसानों को मखाना की खेती पर 75 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। इतना ही नहीं मखाना के बेहतर व उन्नत किस्म् के बीज से संबंधित जानकारी, फसल सुरक्षा व बेहतर उत्पादन संबंधी विधियों के प्रति भी विभागीय स्तर से किसानों को लगातार जरूरी प्रशिक्षित किया जा रहा है।
कम लागत पर मिलता है बेहतर मुनाफा
मखाना की खेती किसानों के लिये बेहद लाभप्रद है। किसान इसकी खेती से कम लागत पर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। यही कारण है कि किसानों का रूझान मखाना की खेती के प्रति तेजी से बढ़ रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार बताते हैं कि जिसे अनुपात में मखाना की खेती का रकवा जिले में तेजी से बढ़ रहा है। ये संभावना है कि आने वाले दिनों में अररिया मखाना उत्पादन का केंद्र के रूप में उभरे। उन्होंने बताया कि मखाना की खेती में प्रति हेक्टेयर 90 हजार से एक लाख रुपये की लागत आती है। इसमें तकरीबन तीन लाख तक का मुनाफा संभव है। यही वजह है कि किसान मखाना की खेती में रूचि ले रहे हैं।
सारस न्यूज़, अररिया।
मखाना की खेती के प्रति जिले के किसानों का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। जिले की जलवायु और मिट्टी दोनों ही मखाना की खेती के लिये बेहद उपयुक्त है। वैसे तो बीते कई सालों से जिले में मखाना की खेती हो रही है, लेकिन हाल के कुछ एक वर्षों में मखाना की खेती के प्रति किसानों का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। चांप और चौर की बहुलता वाला अररिया जिला मखाना की खेती के लिये बिल्कुल उपयुक्त माना जा रहा है। लिहाजा सरकारी स्तर से ही जिले में मखाना की खेती को प्रोत्साहित करने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। पहले जहां जलजमाव वाले इलाके, गड्ढेनुमा खेत का उपयोग किसी दूसरे फसल के लिये नहीं हो पाता था, वहां अब बहुतायत में मखाना की फसल उपजाई जाने लगी है। इतना ही नहीं आधुनिक तकनीक के सहारे सामान्य खेतों को मखाना की खेती के लिये उपयुक्त बना कर किसान इसकी खेती में रूचि ले रहे हैं।
एक हजार एकड़ में हो रहा मखाना का उत्पादन
जिले में छिटपुट तरीके से जलजमाव व गडढ़ेनुमा खेतों में मखाना की खेती होती थी। वहीं अब जिले में मखाना की खेती का रकवा लगातार तेजी से बढ़ रहा है। जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी मुताबिक फिलहाल जिले में करीब एक हजार एकड़ में मखाना की खेती की जा रही है। जिले के करीब 25 सौ किसान सीधे तौर पर मखाना की खेती से जुड़े हैं।
कृषकों को अनुदान देने का है प्रावधान
मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिये जिला उद्यान विभाग द्वारा किसानों को समय समय पर जरूरी प्रशिक्षण के साथ-साथ किसानों को मखाना की खेती पर 75 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। इतना ही नहीं मखाना के बेहतर व उन्नत किस्म् के बीज से संबंधित जानकारी, फसल सुरक्षा व बेहतर उत्पादन संबंधी विधियों के प्रति भी विभागीय स्तर से किसानों को लगातार जरूरी प्रशिक्षित किया जा रहा है।
कम लागत पर मिलता है बेहतर मुनाफा
मखाना की खेती किसानों के लिये बेहद लाभप्रद है। किसान इसकी खेती से कम लागत पर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। यही कारण है कि किसानों का रूझान मखाना की खेती के प्रति तेजी से बढ़ रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार बताते हैं कि जिसे अनुपात में मखाना की खेती का रकवा जिले में तेजी से बढ़ रहा है। ये संभावना है कि आने वाले दिनों में अररिया मखाना उत्पादन का केंद्र के रूप में उभरे। उन्होंने बताया कि मखाना की खेती में प्रति हेक्टेयर 90 हजार से एक लाख रुपये की लागत आती है। इसमें तकरीबन तीन लाख तक का मुनाफा संभव है। यही वजह है कि किसान मखाना की खेती में रूचि ले रहे हैं।
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