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एक युग का अंत: नहीं रहे जिले के अंतिम जीवित स्वतंत्रता सेनानी भृगुनाथ शर्मा, हुए पंचतत्व में विलीन, राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई।

सारस न्यूज़, अररिया।


अररिया जिले के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त हो गया। जिले के अंतिम जीवित स्वतंत्रता सेनानी भृगुनाथ शर्मा अब हमारे बीच नहीं रहे। 104 वर्ष की दीर्घ और गौरवपूर्ण आयु में उन्होंने सोमवार रात 10:45 बजे पटना स्थित आईजीआईएमएस अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके पोते संजय शर्मा ने यह जानकारी दी कि इलाज के दौरान हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ।

उनकी निधन की खबर फैलते ही जिलेभर में शोक की लहर दौड़ गई। मंगलवार की सुबह जब उनका पार्थिव शरीर पटना से उनके पैतृक गांव बघुआ लाया गया, तो उन्हें अंतिम बार श्रद्धांजलि देने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिलाधिकारी अनिल कुमार, पुलिस अधीक्षक अंजनी कुमार, एसडीएम शैलजा पाण्डेय एवं सीडीपीओ मुकेश साह सहित कई प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके पार्थिव शरीर पर तिरंगा अर्पित कर उन्हें राजकीय सम्मान दिया। इस अवसर पर पुलिस जवानों द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी प्रदान किया गया। अंत्येष्टि के दौरान मुखाग्नि उनके पोते प्रत्यूष कुमार उर्फ पुन्नू ने दी।


गांधीजी से मिली प्रेरणा, छात्र जीवन में ही थाम लिया स्वतंत्रता का झंडा

स्वर्गीय शर्मा के पोते संजय कुमार शर्मा ने बताया कि महात्मा गांधी से प्रेरित होकर उन्होंने युवावस्था में ही स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। 1934 में जब गांधीजी फारबिसगंज आए थे और द्विजदैनी मैदान में ऐतिहासिक जनसभा को संबोधित किया था, उसी समय उनके भीतर स्वतंत्रता की ज्योति प्रज्वलित हुई। इसके बाद वे नरपतगंज के फूलकहा में भी गांधी जी के साथ मौजूद रहे। फारबिसगंज के ढोलबज्जा क्षेत्र में जब अंग्रेजों के खिलाफ रेलवे पटरी उखाड़ने का आंदोलन हुआ, तो उसमें उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई।

वे कई बार अंग्रेजी हुकूमत द्वारा जेल भेजे गए। उनका संबंध नेपाल के कोइराला परिवार से भी था, जो संघर्ष के समय उन्हें संरक्षण प्रदान करता था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब नेपाल में भी हलचल थी, उस वक्त कोइराला परिवार ने भी बघुआ गांव में शरण ली थी।


दो बार राष्ट्रपति से मिला सम्मान, गांव को बना गए मॉडल

भृगुनाथ शर्मा को भारत सरकार द्वारा दो बार राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा गया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया था। अपने गांव के विकास के लिए भी वे हमेशा सक्रिय रहे। उस समय गांव तक पहुंचने का एकमात्र साधन परमान नदी पर बना चचरी पुल था, जिसकी कठिनाई को उन्होंने तत्कालीन डीएम हिमांशु शर्मा के समक्ष रखा। इसके बाद भारत-नेपाल सीमा विकास योजना के अंतर्गत बघुआ को मॉडल गांव घोषित किया गया – जो कि अररिया जिले का एकमात्र मॉडल गांव बना।


जिलाधिकारी ने जाना विकास कार्यों का हाल

जिलाधिकारी अनिल कुमार ने इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों से मुलाकात कर गांव के विकास से जुड़ी योजनाओं की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि स्व. भृगुनाथ शर्मा जिले के एकमात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया।


नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने दी श्रद्धांजलि

स्वर्गीय भृगुनाथ शर्मा के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर रखा गया था, जहां बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, नेता और आम लोग उपस्थित हुए। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में विधायक विद्यासागर केशरी उर्फ मंचन केशरी, पूर्व विधायक लक्ष्मीनारायण मेहता, भाजपा कोषाध्यक्ष रोहित यादव, कांग्रेस नेता अनिल सिन्हा, राजद नेता अविनाश आनंद, इंजीनियर आयुष अग्रवाल, वाहिद अंसारी, गजेन्द्र ठाकुर, प्रभात सिंह, मुन्ना मुखिया, खुशबू दुबे, मनोज सिंह, गुड्डू सिंह, हिमांशु सिंह, आज़ाद शत्रु अग्रवाल समेत कई अधिकारी, पुलिसकर्मी और ग्रामीण मौजूद रहे।


एक युग का अंत, किंतु आदर्श रहेंगे अमर

भृगुनाथ शर्मा न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि वह एक प्रेरणास्रोत, जननेता और समाजसेवी के रूप में भी जाने जाते थे। उनके जाने से एक युग का अंत हुआ है, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और आदर्श हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।

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