अररिया के एडीजे-02 न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार रॉय ने मंगलवार को चार साल पुराने एक हत्या के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। भूमि विवाद के कारण हुई इस हत्या में 35 वर्षीय जितेंद्र पासवान और 56 वर्षीय नारायण पासवान को दोषी पाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।
इसके साथ ही, 35 वर्षीय कुंदन पासवान, 38 वर्षीय विनोद पासवान और 60 वर्षीय प्रदीप पासवान को तीन-तीन साल की सज़ा सुनाई गई है। आजीवन कारावास पाने वाले दोनों आरोपियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जबकि तीन साल की सज़ा पाने वालों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
यह सज़ा एसटी 103/2021 मामले में सुनाई गई है, जिसमें बौसी थाना क्षेत्र के मझुवा पूरब वार्ड-11 के निवासियों के बीच विवाद के कारण हत्या की घटना घटी थी। सरकारी अभियोजक अब्दुल मन्नान के अनुसार, यह घटना 11 जुलाई 2020 की रात करीब 8:30 बजे हुई थी, जब आरोपियों ने रामचंद्र पासवान पर हरबे हथियार से हमला किया। उन्होंने रामचंद्र के सिर पर वार किया, जिससे उनका सिर अलग हो गया और उनके दोनों पैरों को भी काट दिया।
घटना के दौरान रामचंद्र की पत्नी ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी आरोपियों ने गाली-गलौज कर बुरी तरह से घायल कर दिया। बाद में, इलाज के दौरान पूर्णिया सदर अस्पताल में रामचंद्र पासवान की मृत्यु हो गई।
मृतक के पुत्र सुनील कुमार पासवान ने इस घटना के बाद बौसी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर कांड संख्या 85/2020 दर्ज किया गया। अदालत में सभी गवाहों ने घटना की पुष्टि की, जिसके आधार पर न्यायाधीश रॉय ने जितेंद्र और नारायण को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 307 के तहत दोषी ठहराया, जबकि कुंदन, विनोद और प्रदीप को धारा 148 के तहत दोषी पाया गया।
सज़ा के बिंदु पर सरकारी वकील ने आरोपियों को फांसी की सज़ा देने की अपील की, जबकि बचाव पक्ष के वकील दिनेश प्रसाद सिंह ने कम से कम सज़ा की गुहार लगाई। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद, न्यायालय ने आरोपियों की सज़ा निर्धारित की।
सारस न्यूज़, अररिया।
अररिया के एडीजे-02 न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार रॉय ने मंगलवार को चार साल पुराने एक हत्या के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। भूमि विवाद के कारण हुई इस हत्या में 35 वर्षीय जितेंद्र पासवान और 56 वर्षीय नारायण पासवान को दोषी पाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।
इसके साथ ही, 35 वर्षीय कुंदन पासवान, 38 वर्षीय विनोद पासवान और 60 वर्षीय प्रदीप पासवान को तीन-तीन साल की सज़ा सुनाई गई है। आजीवन कारावास पाने वाले दोनों आरोपियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जबकि तीन साल की सज़ा पाने वालों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
यह सज़ा एसटी 103/2021 मामले में सुनाई गई है, जिसमें बौसी थाना क्षेत्र के मझुवा पूरब वार्ड-11 के निवासियों के बीच विवाद के कारण हत्या की घटना घटी थी। सरकारी अभियोजक अब्दुल मन्नान के अनुसार, यह घटना 11 जुलाई 2020 की रात करीब 8:30 बजे हुई थी, जब आरोपियों ने रामचंद्र पासवान पर हरबे हथियार से हमला किया। उन्होंने रामचंद्र के सिर पर वार किया, जिससे उनका सिर अलग हो गया और उनके दोनों पैरों को भी काट दिया।
घटना के दौरान रामचंद्र की पत्नी ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी आरोपियों ने गाली-गलौज कर बुरी तरह से घायल कर दिया। बाद में, इलाज के दौरान पूर्णिया सदर अस्पताल में रामचंद्र पासवान की मृत्यु हो गई।
मृतक के पुत्र सुनील कुमार पासवान ने इस घटना के बाद बौसी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर कांड संख्या 85/2020 दर्ज किया गया। अदालत में सभी गवाहों ने घटना की पुष्टि की, जिसके आधार पर न्यायाधीश रॉय ने जितेंद्र और नारायण को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 307 के तहत दोषी ठहराया, जबकि कुंदन, विनोद और प्रदीप को धारा 148 के तहत दोषी पाया गया।
सज़ा के बिंदु पर सरकारी वकील ने आरोपियों को फांसी की सज़ा देने की अपील की, जबकि बचाव पक्ष के वकील दिनेश प्रसाद सिंह ने कम से कम सज़ा की गुहार लगाई। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद, न्यायालय ने आरोपियों की सज़ा निर्धारित की।
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