जिले में चल रहे महिला संवाद कार्यक्रम ने महिलाओं की सोच, जागरूकता और सामाजिक भागीदारी को एक नई दिशा दी है। जैसे-जैसे यह कार्यक्रम आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे महिलाएं अपने अधिकारों, स्वास्थ्य, सामाजिक समस्याओं और सरकारी योजनाओं को लेकर मुखर होती दिख रही हैं।
कार्यक्रम के तहत विभिन्न पंचायतों और गांवों की महिलाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की ज़रूरत को प्रमुखता से उठाया। उनका कहना है कि नवजात शिशुओं के जन्म के बाद जच्चा और बच्चा दोनों की समुचित देखभाल बेहद जरूरी है, लेकिन पंचायत या प्रखंड स्तर के अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है, जिससे उन्हें गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर स्थानीय स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो, तो मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है।
महिलाओं ने दिव्यांगजनों की चिकित्सा के लिए अलग से विशेष सुविधा केंद्रों की स्थापना की भी मांग की है। वर्तमान में दिव्यांगों को इलाज के लिए अनुमंडल या सदर अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो हमेशा उनके लिए सुलभ नहीं होते। विशेष सुविधा केंद्रों से उनकी मुश्किलें काफी हद तक कम हो सकती हैं।
बिजली बिल बना आर्थिक बोझ कार्यक्रम में भाग ले रहीं कई महिलाओं ने बढ़ते बिजली बिलों पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि महंगे विद्युत बिलों के कारण गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को भारी आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ता है। महिलाओं ने सरकार से मांग की कि बिजली बिल में कटौती की जाए, जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।
सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर हुई महिलाएं महिला संवाद मंच केवल स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि महिलाएं घरेलू हिंसा, बाल विवाह, शिक्षा, स्वच्छता और रोजगार जैसे मुद्दों को भी खुलकर उठा रही हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि कार्यक्रम के माध्यम से महिलाएं सामाजिक बदलाव की दिशा में एकजुट होकर आगे बढ़ रही हैं।
88 हजार से अधिक लोगों की भागीदारी बुधवार को महिला संवाद के अंतर्गत 18 संवाद वाहनों ने जिले के 36 विभिन्न स्थानों पर जाकर कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में महिलाएं और स्थानीय लोग शामिल हुए। उपस्थित लोगों को एलईडी के माध्यम से सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लघु फिल्मों के जरिए दी गई। अब तक इस अभियान में 88,000 से अधिक लोग शामिल हो चुके हैं, जो इस पहल की व्यापकता और सफलता को दर्शाता है।
सशक्तिकरण की ओर एक सफल कदम महिला संवाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को जानकारी देना, उन्हें सशक्त बनाना और सरकारी योजनाओं से जोड़ना है। अब यह उद्देश्य साकार होता हुआ दिख रहा है। जिस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अब सामाजिक मंचों पर खुलकर अपनी बात कह रही हैं, वह न केवल एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है बल्कि आने वाले समय में समाज के समग्र विकास की नींव भी रखता है।
सारस न्यूज़, अररिया।
जिले में चल रहे महिला संवाद कार्यक्रम ने महिलाओं की सोच, जागरूकता और सामाजिक भागीदारी को एक नई दिशा दी है। जैसे-जैसे यह कार्यक्रम आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे महिलाएं अपने अधिकारों, स्वास्थ्य, सामाजिक समस्याओं और सरकारी योजनाओं को लेकर मुखर होती दिख रही हैं।
कार्यक्रम के तहत विभिन्न पंचायतों और गांवों की महिलाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की ज़रूरत को प्रमुखता से उठाया। उनका कहना है कि नवजात शिशुओं के जन्म के बाद जच्चा और बच्चा दोनों की समुचित देखभाल बेहद जरूरी है, लेकिन पंचायत या प्रखंड स्तर के अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है, जिससे उन्हें गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर स्थानीय स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो, तो मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है।
महिलाओं ने दिव्यांगजनों की चिकित्सा के लिए अलग से विशेष सुविधा केंद्रों की स्थापना की भी मांग की है। वर्तमान में दिव्यांगों को इलाज के लिए अनुमंडल या सदर अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो हमेशा उनके लिए सुलभ नहीं होते। विशेष सुविधा केंद्रों से उनकी मुश्किलें काफी हद तक कम हो सकती हैं।
बिजली बिल बना आर्थिक बोझ कार्यक्रम में भाग ले रहीं कई महिलाओं ने बढ़ते बिजली बिलों पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि महंगे विद्युत बिलों के कारण गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को भारी आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ता है। महिलाओं ने सरकार से मांग की कि बिजली बिल में कटौती की जाए, जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।
सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर हुई महिलाएं महिला संवाद मंच केवल स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि महिलाएं घरेलू हिंसा, बाल विवाह, शिक्षा, स्वच्छता और रोजगार जैसे मुद्दों को भी खुलकर उठा रही हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि कार्यक्रम के माध्यम से महिलाएं सामाजिक बदलाव की दिशा में एकजुट होकर आगे बढ़ रही हैं।
88 हजार से अधिक लोगों की भागीदारी बुधवार को महिला संवाद के अंतर्गत 18 संवाद वाहनों ने जिले के 36 विभिन्न स्थानों पर जाकर कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में महिलाएं और स्थानीय लोग शामिल हुए। उपस्थित लोगों को एलईडी के माध्यम से सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लघु फिल्मों के जरिए दी गई। अब तक इस अभियान में 88,000 से अधिक लोग शामिल हो चुके हैं, जो इस पहल की व्यापकता और सफलता को दर्शाता है।
सशक्तिकरण की ओर एक सफल कदम महिला संवाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को जानकारी देना, उन्हें सशक्त बनाना और सरकारी योजनाओं से जोड़ना है। अब यह उद्देश्य साकार होता हुआ दिख रहा है। जिस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अब सामाजिक मंचों पर खुलकर अपनी बात कह रही हैं, वह न केवल एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है बल्कि आने वाले समय में समाज के समग्र विकास की नींव भी रखता है।
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