भारत के पंजाब प्रदेश में जन्मे लाजपत राय देश के अमर क्रांति कारी व स्वतंत्रता सेनानी थे। सन् 1865 ई॰ में छोटे से गाँव में जन्मे लाला लाजपत राय ने देशभक्ति में वे आदर्श स्थापित किए जिसके लिए पूरा देश उनका हमेशा ऋणी रहेगा। संपूर्ण भारत उन्हें ‘पंजाब केसरी’ के नाम से जानता है । लाला लाजपत राय वकालत का कार्य करते थे। परंतु पराधीन भारत का दर्द उन्हें हमेशा कचोटता रहता था। गाँधी जी के संपर्क में आने पर वे उनसे अत्यधिक प्रभावित हुए तथा बाद में अपने व्यवसाय को तिलांजलि देकर वे समर्पित भाव से गाँधी जी द्वारा चलाए गए स्वतंत्रता आदोलन में शामिल हो गए। वे सदैव से ही अंग्रेजों व अंग्रेजी सरकार का विरोध करते रहे जिससे क्षुब्ध अंग्रेजों ने सन् 1907 ई॰ में उन्हें बर्मा जेल में डाल दिया। जेल से लौटने के पश्चात् वे और भी अधिक सक्रिय हो गए । उन्होंने महात्मा गाँधी की अध्यक्षता में होने वाले असहयोग आदोलन में खुलकर उनका साथ दिया । उन्हें कई बार अंग्रेजों ने जेल भेजा परंतु वे अपने उद्देश्य से तनिक भी विचलित नहीं हुए।
भारत के स्वतंत्रता आदोलन के दौरान जब साइमन कमीशन भारत आया तब कांग्रेस के द्वारा उसका खुलकर विरोध किया गया। साइमन कमीशन की नियुक्ति हालाँकि 1926 ई॰ में ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई थी, परंतु इसका भारत आगमन सन् 1928 में हुआ था लाला लाजपत राय उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध में वे विशाल रैली को संबोधित कर रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया । उस घातक चोट के तीन हफ्ते पश्चात् भारत माता का वह वीर सपूत चिर निद्रा में लीन हो गया।
लाला लाजपत राय का जीवन परिचय
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी, 1865 को फिरोजपुर, पंजाब में हुआ था। उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे और माता गुलाब देवी धार्मिक महिला थीं। प्रारंभ से ही लाजपत राय लेखन और भाषण में बहुत रुचि लेते थे। इन्होंने कुछ समय हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की। लाला लाजपतराय को शेर-ए-पंजाब का सम्मानित संबोधन देकर लोग उन्हें गरम दल का नेता मानते थे। लाला लाजपत राय स्वावलंबन से स्वराज्य लाना चाहते थे।
लाला लाजपत राय एक सच्चे समाज सुधारक भी थे। वे जीवन पर्यंत अछूतों के उद्धार के लिए प्रयासरत रहे। इसके अतिरिक्त उन्होंने देश में शिक्षा के क्षैत्र में कई कार्य किए। उन्होंने नारियों को भी शिक्षा का समान अधिकार देने हेतु सदैव प्रयास किए। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर अनेक विद्यालयों की स्थापना की। वै मूलत: आर्य समाज के प्रवर्तक थे। इसके अतिरिक्त वे एक प्रभावशाली वक्ता भी थे। उनकी वाणी में जोश उत्पन्न करने की वह क्षमता थी जो कमजोर व्यक्तियों को भी ओजस्वी बना देती थी।
लाला लाजपत राय एक धार्मिक व्यक्ति थे पर उन्होंने हिंदू धर्म मैं व्याप्त कुछ कट्टरताओं और रूढ़ियों का सदैव विरोध किया। ईश्वर पर उनकी सच्ची आस्था थी। वे निडर एवं बहादुर इंसान थे। मातृभूमि के लिए उनका त्याग और बलिदान अतुलनीय है।
हमें अपनी आजादी की रक्षा लाला लाजपत राय जैसे नेताओं के आदर्शों पर चलकर ही करनी होगी। लाला लाजपत राय ने देश के नवनिर्माण का जो स्वप्न देखा था, उसे हम उनके बताए मार्ग पर चलकर साकार कर सकते हैं।
सारस न्यूज़ टीम।
भारत के पंजाब प्रदेश में जन्मे लाजपत राय देश के अमर क्रांति कारी व स्वतंत्रता सेनानी थे। सन् 1865 ई॰ में छोटे से गाँव में जन्मे लाला लाजपत राय ने देशभक्ति में वे आदर्श स्थापित किए जिसके लिए पूरा देश उनका हमेशा ऋणी रहेगा। संपूर्ण भारत उन्हें ‘पंजाब केसरी’ के नाम से जानता है । लाला लाजपत राय वकालत का कार्य करते थे। परंतु पराधीन भारत का दर्द उन्हें हमेशा कचोटता रहता था। गाँधी जी के संपर्क में आने पर वे उनसे अत्यधिक प्रभावित हुए तथा बाद में अपने व्यवसाय को तिलांजलि देकर वे समर्पित भाव से गाँधी जी द्वारा चलाए गए स्वतंत्रता आदोलन में शामिल हो गए। वे सदैव से ही अंग्रेजों व अंग्रेजी सरकार का विरोध करते रहे जिससे क्षुब्ध अंग्रेजों ने सन् 1907 ई॰ में उन्हें बर्मा जेल में डाल दिया। जेल से लौटने के पश्चात् वे और भी अधिक सक्रिय हो गए । उन्होंने महात्मा गाँधी की अध्यक्षता में होने वाले असहयोग आदोलन में खुलकर उनका साथ दिया । उन्हें कई बार अंग्रेजों ने जेल भेजा परंतु वे अपने उद्देश्य से तनिक भी विचलित नहीं हुए।
भारत के स्वतंत्रता आदोलन के दौरान जब साइमन कमीशन भारत आया तब कांग्रेस के द्वारा उसका खुलकर विरोध किया गया। साइमन कमीशन की नियुक्ति हालाँकि 1926 ई॰ में ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई थी, परंतु इसका भारत आगमन सन् 1928 में हुआ था लाला लाजपत राय उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध में वे विशाल रैली को संबोधित कर रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया । उस घातक चोट के तीन हफ्ते पश्चात् भारत माता का वह वीर सपूत चिर निद्रा में लीन हो गया।
लाला लाजपत राय का जीवन परिचय
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी, 1865 को फिरोजपुर, पंजाब में हुआ था। उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे और माता गुलाब देवी धार्मिक महिला थीं। प्रारंभ से ही लाजपत राय लेखन और भाषण में बहुत रुचि लेते थे। इन्होंने कुछ समय हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की। लाला लाजपतराय को शेर-ए-पंजाब का सम्मानित संबोधन देकर लोग उन्हें गरम दल का नेता मानते थे। लाला लाजपत राय स्वावलंबन से स्वराज्य लाना चाहते थे।
लाला लाजपत राय एक सच्चे समाज सुधारक भी थे। वे जीवन पर्यंत अछूतों के उद्धार के लिए प्रयासरत रहे। इसके अतिरिक्त उन्होंने देश में शिक्षा के क्षैत्र में कई कार्य किए। उन्होंने नारियों को भी शिक्षा का समान अधिकार देने हेतु सदैव प्रयास किए। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर अनेक विद्यालयों की स्थापना की। वै मूलत: आर्य समाज के प्रवर्तक थे। इसके अतिरिक्त वे एक प्रभावशाली वक्ता भी थे। उनकी वाणी में जोश उत्पन्न करने की वह क्षमता थी जो कमजोर व्यक्तियों को भी ओजस्वी बना देती थी।
लाला लाजपत राय एक धार्मिक व्यक्ति थे पर उन्होंने हिंदू धर्म मैं व्याप्त कुछ कट्टरताओं और रूढ़ियों का सदैव विरोध किया। ईश्वर पर उनकी सच्ची आस्था थी। वे निडर एवं बहादुर इंसान थे। मातृभूमि के लिए उनका त्याग और बलिदान अतुलनीय है।
हमें अपनी आजादी की रक्षा लाला लाजपत राय जैसे नेताओं के आदर्शों पर चलकर ही करनी होगी। लाला लाजपत राय ने देश के नवनिर्माण का जो स्वप्न देखा था, उसे हम उनके बताए मार्ग पर चलकर साकार कर सकते हैं।
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