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राजकीय महोत्‍सवों में स्‍थानीय कलाकारों को ही मिलेगी तरजीह, कलाकारों का बढ़ेगा मानदेय, राज्य एवं जिलास्तर पर बनाया जाएगा पैनल।

सारस न्यूज एजेंसी, पटना।

बिहार में होने वाले महोत्सव एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होने वाले कलाकारों का मानदेय बढ़ाया जाएगा। इसमें स्थानीय कलाकारों को अधिक मौके मिलेंगे जिसके लिए राज्य एवं जिलास्तर पर उनका पैनल बनाया जाएगा। मंगलवार को कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री आलोक रंजन झा ने सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की बैठक में अफसरों को यह निर्देश दिए।

 मंत्री ने कहा कि महोत्सव के दौरान राज्य के बाहर के कलाकारों पर 90 प्रतिशत तक राशि खर्च करने की प्रथा खत्म हो। महोत्सव के लिए जिलों को मिलने वाले आवंटन का कम से कम 60 प्रतिशत जिला व स्थानीय कलाकारों पर ही खर्च हो। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सभी जिलों के डीएम को इस बाबत पत्र लिखकर निर्देशित करने को कहा।

मंत्री ने पटना की तर्ज पर राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में शुक्रगुलजार और शनिबहार कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया ताकि स्थानीय कलाकारों को अधिक मौके मिल सके। राज्य में उत्सवों, महोत्सवों एवं सभी क्षेत्र की सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए मंत्री ने आवश्यकता पडऩे पर बजट की राशि बढ़ाने का निर्देश भी दिया। बिहार संगीत नाटक अकादमी, बिहार ललित कला अकादमी और प्रेमचंद रंगशाला के कार्यों की भी समीक्षा की गई एवं वहां रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया गया।

मुख्यमंत्री के द्वारा राज्य में फिल्म नीति बनाने के दिए गए निर्देश के आलोक में मंत्री ने विभागीय सचिव वंदना प्रेयषी को इसका विस्तृत प्रतिवेदन बनाने को कहा। इसके साथ ही विभाग का सांस्कृतिक कैलेंडर भी तैयार करने का निर्देश दिया गया। सभी विधा के कलाकारों की पहचान के लिए राज्य में प्रतिभा खोज प्रतियोगिता के आयोजन पर भी चर्चा हुई। गुरुकुल संगीत शिक्षा के अनुरूप शिक्षा की संभावना पर भी चर्चा की गई। बिहार कला पुरस्कार, कलाकार कल्याण कोष एवं गैर सरकारी स्वैच्छिक सांस्कृतिक संस्थाओं के वित्तीय सहायता अनुदान विषय पर भी चर्चा की गई। बैठक में सांस्कृतिक निदेशक डा. करुणा कुमारी के साथ कई वरीय अधिकारी उपस्थित थे। 

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