सीमांचल की बहुप्रतीक्षित रेल परियोजनाओं में से एक ललित ग्राम से जोगबनी भाया फारबिसगंज रेलखंड पर इंजन से अंतिम ट्रायल किया गया। बताया गया कि ट्रेन परिचालन शुरू होने से पहले का फाइनल ट्रायल है। इसी के साथ परिचालन की प्रबल संभावना से स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अब लोगों में पूर्ण आस है कि अप्रैल महीने के अंत तक में संबंधित रेलखंड पर ट्रेन से पटना और सहरसा की यात्रा कर पाएंगे । इधर ट्रायल इंजन में चालक के अलावा इंजीनियरों की टीम एवं कई रेलवे अधिकारी मौजूद थे। इस संबंध में पूछे जाने पर इन अधिकारी एवं चालक ने बताया कि ट्रेन परिचालन से पहले का यह निर्णायक ट्रायल है। ललित ग्राम से फारबिसगंज होकर जोगबनी तक सफल ट्रायल किया गया है। इन अधिकारियों ने कहा कि चार से पांच दिनों के भीतर इस रेलखंड पर सहरसा और दानापुर पटना के लिए रेल परिचालन की प्रबल संभावना है। रेल परिचालन में अब किसी तरह की कोई बाधा नहीं है।
एनएफ रेलवे और ईसी रेलवे के द्वारा इस रेलखंड पर ट्रेन आवागमन को हरी झंडी मिल चुकी है । जिस तरह से भारत सरकार के रेल मंत्रालय स्थित रेलवे बोर्ड के द्वारा जोगबनी से सहरसा और जोगबनी से दानापुर पटना रेलखंड पर ट्रेनों के आवागमन के निर्देश दिए गए और साथ ही स्टेशन स्तर पर समय सारणी भी आवंटित कर दिया गया उसके बाद लोगों को लग रहा था कि शीघ्र ही इस खंड पर ट्रेनों का आवागमन शुरू होगा मगर जैसे रविवार को इस रेलखंड पर इंजन से अंतिम ट्रायल किया गया उसके बाद अब लोगों को यकीन हो गया कि महज 4-5 दिनों के भीतर वे इस खंड पर ट्रेन से यात्रा कर पाएंगे । बताया तो यहां तक जा रहा है कि ट्रेन परिचालन के उद्घाटन को लेकर रेलवे बोर्ड के द्वारा अररिया और सुपौल के सांसद से भी संपर्क कर समय की मांग की गई है। इस संबंध में जेडआरयूसीसी के सदस्य बछराज राखेचा ने कहा कि चार-पांच दिनों के भीतर ही इस रेलखंड पर ट्रेनों के परिचालन के आसार बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में अप्रैल महीने में ट्रेनों का आवागमन शुरू होना है। ट्रेन आवागमन की सारी बाधाएं दूर हो चुकी है।
बताते चलें कि अगर अप्रैल में फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर ट्रेनों का आवागमन शुरू होता है तो यह 15 वर्षों के बाद पहला अवसर होगा जब ट्रेनों का आवागमन सुचारू ढंग से चालू हो जाएगा क्योंकि 2008 में आई प्रलयंकारी कोसी त्रासदी के बाद से ही इस खंड पर ट्रेनों का आवागमन लगभग बंद हो गया था। मगर कानूनी तौर पर 20 जनवरी 2012 को मेगा ब्लॉक लिया गया था जिसके बाद आज तक इस रेलखंड पर ट्रेनें नहीं चल पाई है। बताते चलें कि फारबिसगंज- सहरसा एवं जोगबनी – दानापुर पटना रेलखंड न केवल सीमांचल और मिथिलांचल को आपस में जोड़ती है बल्कि सामरिक और आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, इसलिए सहरसा – फारबिसगंज रेलखंड आमान परिवर्तन के लिए रेल मंत्रालय के अलावा गृह मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय भी काफी सक्रिय थे।
सारस न्यूज, किशनगंज।
सीमांचल की बहुप्रतीक्षित रेल परियोजनाओं में से एक ललित ग्राम से जोगबनी भाया फारबिसगंज रेलखंड पर इंजन से अंतिम ट्रायल किया गया। बताया गया कि ट्रेन परिचालन शुरू होने से पहले का फाइनल ट्रायल है। इसी के साथ परिचालन की प्रबल संभावना से स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अब लोगों में पूर्ण आस है कि अप्रैल महीने के अंत तक में संबंधित रेलखंड पर ट्रेन से पटना और सहरसा की यात्रा कर पाएंगे । इधर ट्रायल इंजन में चालक के अलावा इंजीनियरों की टीम एवं कई रेलवे अधिकारी मौजूद थे। इस संबंध में पूछे जाने पर इन अधिकारी एवं चालक ने बताया कि ट्रेन परिचालन से पहले का यह निर्णायक ट्रायल है। ललित ग्राम से फारबिसगंज होकर जोगबनी तक सफल ट्रायल किया गया है। इन अधिकारियों ने कहा कि चार से पांच दिनों के भीतर इस रेलखंड पर सहरसा और दानापुर पटना के लिए रेल परिचालन की प्रबल संभावना है। रेल परिचालन में अब किसी तरह की कोई बाधा नहीं है।
एनएफ रेलवे और ईसी रेलवे के द्वारा इस रेलखंड पर ट्रेन आवागमन को हरी झंडी मिल चुकी है । जिस तरह से भारत सरकार के रेल मंत्रालय स्थित रेलवे बोर्ड के द्वारा जोगबनी से सहरसा और जोगबनी से दानापुर पटना रेलखंड पर ट्रेनों के आवागमन के निर्देश दिए गए और साथ ही स्टेशन स्तर पर समय सारणी भी आवंटित कर दिया गया उसके बाद लोगों को लग रहा था कि शीघ्र ही इस खंड पर ट्रेनों का आवागमन शुरू होगा मगर जैसे रविवार को इस रेलखंड पर इंजन से अंतिम ट्रायल किया गया उसके बाद अब लोगों को यकीन हो गया कि महज 4-5 दिनों के भीतर वे इस खंड पर ट्रेन से यात्रा कर पाएंगे । बताया तो यहां तक जा रहा है कि ट्रेन परिचालन के उद्घाटन को लेकर रेलवे बोर्ड के द्वारा अररिया और सुपौल के सांसद से भी संपर्क कर समय की मांग की गई है। इस संबंध में जेडआरयूसीसी के सदस्य बछराज राखेचा ने कहा कि चार-पांच दिनों के भीतर ही इस रेलखंड पर ट्रेनों के परिचालन के आसार बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में अप्रैल महीने में ट्रेनों का आवागमन शुरू होना है। ट्रेन आवागमन की सारी बाधाएं दूर हो चुकी है।
बताते चलें कि अगर अप्रैल में फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर ट्रेनों का आवागमन शुरू होता है तो यह 15 वर्षों के बाद पहला अवसर होगा जब ट्रेनों का आवागमन सुचारू ढंग से चालू हो जाएगा क्योंकि 2008 में आई प्रलयंकारी कोसी त्रासदी के बाद से ही इस खंड पर ट्रेनों का आवागमन लगभग बंद हो गया था। मगर कानूनी तौर पर 20 जनवरी 2012 को मेगा ब्लॉक लिया गया था जिसके बाद आज तक इस रेलखंड पर ट्रेनें नहीं चल पाई है। बताते चलें कि फारबिसगंज- सहरसा एवं जोगबनी – दानापुर पटना रेलखंड न केवल सीमांचल और मिथिलांचल को आपस में जोड़ती है बल्कि सामरिक और आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, इसलिए सहरसा – फारबिसगंज रेलखंड आमान परिवर्तन के लिए रेल मंत्रालय के अलावा गृह मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय भी काफी सक्रिय थे।
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