भारतीय चाय बोर्ड (टी बोर्ड ऑफ इंडिया) देश के विभिन्न चाय उगाने वाले क्षेत्रों के लिए चाय की पत्तियां तोड़ने और चाय उत्पादन की तारीखों के साथ अलग-अलग सर्कुलर की घोषणा की हैं। इसी क्रम में बिहार के किशनगंज जिले में की जाने वाली चायपत्ती की तुड़ाई एवं उत्पादन हेतू भी तिथि की घोषणा की गई है। इस संबंध में टी बोर्ड ऑफ इंडिया के डिप्टी चैयरमैन ने निर्देश जारी करते हुए बताया कि उत्तर पूर्वी भारत के तराई, डूअर्स तथा बिहार में चाय की तुड़ाई और उत्पादन 18 फरवरी से शुरू होगा, जबकि दार्जिलिंग की पहाड़ियों एवं सिक्किम के लिए 27 फरवरी निर्धारित की गई है।
हालांकि, उत्तर भारत के दो राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चाय की पत्तियों को 6 मार्च से तोड़ा और उत्पादित करने का निर्देश जारी किया गया है। क्योंकि इन राज्यों में सर्दी लंबी होती है।इस संबंध में टी बोर्ड ऑफ इंडिया के डिप्टी चैयरमैन ने पत्र के माध्यम से बताया कि विशेषज्ञों के परामर्श से तारीखों को अंतिम रूप दिया गया है ताकि इस वर्ष सर्दियों की सुस्ती खत्म होने और ताजी पत्तियों और कलियों के अंकुरित होने के बाद ही तुड़ाई और प्रसंस्करण फिर से शुरू हो सके।बताते चलें कि चाय की गुणवत्ता व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने 19 दिसंबर से चाय की पत्तियों की तोड़ाई पर रोक लगा दी थी।
जबकि बिहार राज्य में संचालित ग्रीन लीफ प्रोसेसिंग करने वाले टी फैक्ट्रियों को भी 21 दिसंबर से रोक लगाई गई थी। इसके बाद चाय फैक्ट्रियां चाय की पत्तियों की खरीद नहीं पा रहे थे।विदित हो कि पिछले कुछ वर्षों से टी बोर्ड ने यह अभ्यास शुरू किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सर्दियों के महीनों के दौरान जब ताजी पत्तियां आना बंद हो जाती हैं तो खराब गुणवत्ता वाली चाय का उत्पादन न हो तथा देश में बेची जाने वाली सभी चाय भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानदंडों के अनुरूप हो, इसलिए चाय की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चाय की अच्छी कीमत मिले।
सारस न्यूज, किशनगंज।
भारतीय चाय बोर्ड (टी बोर्ड ऑफ इंडिया) देश के विभिन्न चाय उगाने वाले क्षेत्रों के लिए चाय की पत्तियां तोड़ने और चाय उत्पादन की तारीखों के साथ अलग-अलग सर्कुलर की घोषणा की हैं। इसी क्रम में बिहार के किशनगंज जिले में की जाने वाली चायपत्ती की तुड़ाई एवं उत्पादन हेतू भी तिथि की घोषणा की गई है। इस संबंध में टी बोर्ड ऑफ इंडिया के डिप्टी चैयरमैन ने निर्देश जारी करते हुए बताया कि उत्तर पूर्वी भारत के तराई, डूअर्स तथा बिहार में चाय की तुड़ाई और उत्पादन 18 फरवरी से शुरू होगा, जबकि दार्जिलिंग की पहाड़ियों एवं सिक्किम के लिए 27 फरवरी निर्धारित की गई है।
हालांकि, उत्तर भारत के दो राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चाय की पत्तियों को 6 मार्च से तोड़ा और उत्पादित करने का निर्देश जारी किया गया है। क्योंकि इन राज्यों में सर्दी लंबी होती है।इस संबंध में टी बोर्ड ऑफ इंडिया के डिप्टी चैयरमैन ने पत्र के माध्यम से बताया कि विशेषज्ञों के परामर्श से तारीखों को अंतिम रूप दिया गया है ताकि इस वर्ष सर्दियों की सुस्ती खत्म होने और ताजी पत्तियों और कलियों के अंकुरित होने के बाद ही तुड़ाई और प्रसंस्करण फिर से शुरू हो सके।बताते चलें कि चाय की गुणवत्ता व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने 19 दिसंबर से चाय की पत्तियों की तोड़ाई पर रोक लगा दी थी।
जबकि बिहार राज्य में संचालित ग्रीन लीफ प्रोसेसिंग करने वाले टी फैक्ट्रियों को भी 21 दिसंबर से रोक लगाई गई थी। इसके बाद चाय फैक्ट्रियां चाय की पत्तियों की खरीद नहीं पा रहे थे।विदित हो कि पिछले कुछ वर्षों से टी बोर्ड ने यह अभ्यास शुरू किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सर्दियों के महीनों के दौरान जब ताजी पत्तियां आना बंद हो जाती हैं तो खराब गुणवत्ता वाली चाय का उत्पादन न हो तथा देश में बेची जाने वाली सभी चाय भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानदंडों के अनुरूप हो, इसलिए चाय की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चाय की अच्छी कीमत मिले।
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