जहां एक और बिहार सरकार और सरकारी तंत्र स्मार्ट मीटर को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जनता और विपक्ष इस मीटर से परेशान नजर आ रहे हैं। इसी बीच, उपभोक्ता राधा कुमारी के भाई ने सहायक विद्युत अभियंता को आवेदन देकर बताया कि 17 महीने पहले उनके घर में स्मार्ट मीटर लगाया गया था, और वे नियमित रूप से बिजली बिल का भुगतान कर रहे थे। 17 महीने बाद विद्युत विभाग के तीन कर्मचारी उनके घर पहुंचे और कहा कि जो स्मार्ट मीटर उनके घर लगा है, वह उनका नहीं है। विभाग के अनुसार, 16/10/2024 तक उनके घर में 9040 यूनिट बिजली का उपयोग हुआ है, जिसका बिल लगभग 52,000 रुपये बन गया है, और इसे जमा करना होगा।
भागलपुर विद्युत विभाग ने 17 महीने बाद उन्हें यह जानकारी दी कि उनके घर में गलत मीटर लगाया गया है। जब आसपास के लोगों से पूछताछ की गई, तो पता चला कि अगर स्मार्ट मीटर का बैलेंस माइन्स में चला जाता है, तो विद्युत सेवा बाधित हो जाती है, लेकिन उनके साथ ऐसा नहीं हुआ। वे लगातार अपने कंज्यूमर नंबर 23360010350 पर प्रीपेड रिचार्ज कर रही थीं।
17/10/2024 को मुजाहिदपुर विद्युत विभाग के कार्यालय में सहायक विद्युत अभियंता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि यह गलती इंस्टॉलेशन के समय हुई थी, जब नाम के अक्षरों ए और बी को गलत तरीके से बदल दिया गया था। इसी संदर्भ में विद्युत सहायक अभियंता को आवेदन दिया गया है।
जब इस मामले की जांच के लिए बिजली विभाग के एसडीओ से संपर्क किया गया, तो वहां मौजूद कर्मियों ने बताया कि उपभोक्ता को 52,000 रुपये जमा करने ही होंगे और इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।
वहीं, जब इस समस्या की जानकारी लेने के लिए बिजली विभाग के कार्यकारी अभियंता प्रकाश झा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह विभाग की गलती है। चूंकि यह विभाग की गलती है, इसलिए एक महीने तक उनकी बिजली नहीं काटी जाएगी और इस अवधि में बिल जमा करना होगा।
पीड़िता, जो एक निजी स्कूल में पढ़ाती हैं और जिनका मासिक वेतन मात्र 15,000 रुपये है, ने कहा कि वे 52,000 रुपये का बिल चुकाने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब विभाग की गलती है, तो उसकी सजा उन्हें क्यों भुगतनी पड़े? सबसे बड़ी चिंता यह है कि अब विभाग ने उनका मीटर नंबर भी बदल दिया है।
गौरतलब है कि स्मार्ट मीटर से परेशान लोगों ने कटिहार में भी विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें प्रशासन की ओर से गोली चलने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। विपक्षी पार्टियों ने भी इस मीटर के खिलाफ विरोध जताया था, लेकिन विभाग में सुधार नहीं हो रहा है। ऐसा लगता है कि जब विभाग गलती करता है, तो उसका खामियाजा उपभोक्ताओं को ही भुगतना पड़ता है।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
जहां एक और बिहार सरकार और सरकारी तंत्र स्मार्ट मीटर को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जनता और विपक्ष इस मीटर से परेशान नजर आ रहे हैं। इसी बीच, उपभोक्ता राधा कुमारी के भाई ने सहायक विद्युत अभियंता को आवेदन देकर बताया कि 17 महीने पहले उनके घर में स्मार्ट मीटर लगाया गया था, और वे नियमित रूप से बिजली बिल का भुगतान कर रहे थे। 17 महीने बाद विद्युत विभाग के तीन कर्मचारी उनके घर पहुंचे और कहा कि जो स्मार्ट मीटर उनके घर लगा है, वह उनका नहीं है। विभाग के अनुसार, 16/10/2024 तक उनके घर में 9040 यूनिट बिजली का उपयोग हुआ है, जिसका बिल लगभग 52,000 रुपये बन गया है, और इसे जमा करना होगा।
भागलपुर विद्युत विभाग ने 17 महीने बाद उन्हें यह जानकारी दी कि उनके घर में गलत मीटर लगाया गया है। जब आसपास के लोगों से पूछताछ की गई, तो पता चला कि अगर स्मार्ट मीटर का बैलेंस माइन्स में चला जाता है, तो विद्युत सेवा बाधित हो जाती है, लेकिन उनके साथ ऐसा नहीं हुआ। वे लगातार अपने कंज्यूमर नंबर 23360010350 पर प्रीपेड रिचार्ज कर रही थीं।
17/10/2024 को मुजाहिदपुर विद्युत विभाग के कार्यालय में सहायक विद्युत अभियंता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि यह गलती इंस्टॉलेशन के समय हुई थी, जब नाम के अक्षरों ए और बी को गलत तरीके से बदल दिया गया था। इसी संदर्भ में विद्युत सहायक अभियंता को आवेदन दिया गया है।
जब इस मामले की जांच के लिए बिजली विभाग के एसडीओ से संपर्क किया गया, तो वहां मौजूद कर्मियों ने बताया कि उपभोक्ता को 52,000 रुपये जमा करने ही होंगे और इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।
वहीं, जब इस समस्या की जानकारी लेने के लिए बिजली विभाग के कार्यकारी अभियंता प्रकाश झा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह विभाग की गलती है। चूंकि यह विभाग की गलती है, इसलिए एक महीने तक उनकी बिजली नहीं काटी जाएगी और इस अवधि में बिल जमा करना होगा।
पीड़िता, जो एक निजी स्कूल में पढ़ाती हैं और जिनका मासिक वेतन मात्र 15,000 रुपये है, ने कहा कि वे 52,000 रुपये का बिल चुकाने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब विभाग की गलती है, तो उसकी सजा उन्हें क्यों भुगतनी पड़े? सबसे बड़ी चिंता यह है कि अब विभाग ने उनका मीटर नंबर भी बदल दिया है।
गौरतलब है कि स्मार्ट मीटर से परेशान लोगों ने कटिहार में भी विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें प्रशासन की ओर से गोली चलने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। विपक्षी पार्टियों ने भी इस मीटर के खिलाफ विरोध जताया था, लेकिन विभाग में सुधार नहीं हो रहा है। ऐसा लगता है कि जब विभाग गलती करता है, तो उसका खामियाजा उपभोक्ताओं को ही भुगतना पड़ता है।
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