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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: किसके पक्ष में जाएगा जनादेश?

सारस न्यूज़, किशनगंज।

6 और 11 नवंबर को होगा मतदान, ओपिनियन पोल ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने वाले मतदान के लिए सभी दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियां तेज कर दी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर चुके हैं।

जनता की पहली पसंद कौन?

हाल के सर्वेक्षणों के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव जनता की पहली पसंद बने हुए हैं। फरवरी से लेकर सितंबर तक हुए ज्यादातर सर्वे में तेजस्वी लगातार सबसे आगे रहे। हालांकि सितंबर के अंत तक कुछ रिपोर्ट्स में प्रशांत किशोर को लेकर भी लोगों की रुचि बढ़ी है।

सीटों का गणित – तीन बड़े ओपिनियन पोल का अनुमान

1. लोक पाल ओपिनियन पोल

  • महागठबंधन : 118 से 126 सीटें
  • एनडीए : 105 से 114 सीटें
  • अन्य : 2 से 5 सीटें

इस अनुमान के अनुसार, महागठबंधन बहुमत के करीब दिखाई दे रहा है और नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

2. टाइम्स नाउ–जेबीसी पोल

  • एनडीए : 131 से 150 सीटें
    • भाजपा : 66 से 77 सीटें
    • जेडीयू : 52 से 58 सीटें
  • महागठबंधन : 81 से 103 सीटें
  • अन्य : 9 से 12 सीटें

यहां तस्वीर उलट जाती है और एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है।

3. आईएएनएस–मैट्राइज पोल

  • एनडीए : 150 से 160 सीटें
  • महागठबंधन : 70 से 85 सीटें
  • अन्य : 7 से 10 सीटें

इस रिपोर्ट में एनडीए की स्थिति और भी मजबूत नज़र आती है।

किसके पास जाएगी सत्ता की चाबी?

तीन प्रमुख ओपिनियन पोल में से दो एनडीए के पक्ष में बहुमत दिखाते हैं, जबकि एक महागठबंधन को बहुमत दिला रहा है। यानी तस्वीर अब भी साफ नहीं है और अंतिम नतीजों तक राजनीतिक हलचल जारी रहने वाली है।

जहां तेजस्वी यादव जनमत में मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे लोकप्रिय चेहरा बने हुए हैं, वहीं नीतीश कुमार और भाजपा के बूते एनडीए सत्ता में वापसी का भरोसा जता रहा है। दूसरी ओर, प्रशांत किशोर भले ही अभी नई पार्टी के साथ चुनावी मैदान में हों, लेकिन उनके प्रति युवाओं और शहरी मतदाताओं का झुकाव बढ़ता दिख रहा है।

निष्कर्ष

बिहार की 243 विधानसभा सीटों में बहुमत के लिए 122 सीटें जरूरी हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एनडीए सर्वे के मुताबिक मजबूत प्रदर्शन कर पाता है, या महागठबंधन चुनावी रणनीति और जनाधार के बल पर बाजी पलट देता है।

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