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बक्सर में एसडीएम की दबंगई, आम आदमी को जड़ा थप्पड़, लोकतंत्र पर उठे सवाल।

बिहार के बक्सर जिले से प्रशासनिक तानाशाही की एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। प्रखंड एसडीएम (SDM) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह एक ट्रक ड्राइवर को सरेआम थप्पड़ मारते नजर आ रहे हैं। यह घटना न सिर्फ अफसरशाही के घमंड को उजागर करती है, बल्कि लोकतंत्र की मूल भावना को भी ठेस पहुंचाती है।

क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना उस वक्त की है जब एसडीएम साहब सड़क पर जांच कर रहे थे। इसी दौरान एक ट्रक को रोका गया और चालक से वाहन के कागजात मांगे गए। वीडियो में ऑडियो स्पष्ट नहीं है, लेकिन दृश्यों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जब ट्रक ड्राइवर ने अपने सहयोगी (को-पायलट) से कहा कि “चालान निकालो और दिखाओ”, तभी एसडीएम बिना कुछ सुने गुस्से में आ गए और ड्राइवर को जोरदार थप्पड़ मार दिया।

इस अप्रत्याशित और अपमानजनक घटना को पास में मौजूद किसी व्यक्ति ने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो सामने आते ही लोगों में आक्रोश फैल गया है और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

लोगों में नाराज़गी, कार्रवाई की मांग
स्थानीय नागरिकों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि लोकतंत्र में किसी अधिकारी को यह हक नहीं कि वह आम नागरिक के साथ इस तरह का बर्ताव करे। कई लोगों का कहना है कि अगर आम आदमी चालान दिखाने की बात भी नहीं कर सकता, तो यह तानाशाही नहीं तो और क्या है?

राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम को तत्काल सस्पेंड करने और विभागीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे अफसरों के कारण आम जनता का प्रशासन पर से भरोसा उठता जा रहा है।

प्रशासन की चुप्पी चिंता का विषय
अब तक प्रशासन की ओर से इस घटना को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन वीडियो के वायरल होने के बाद दबाव जरूर बना है। लोगों को उम्मीद है कि इस बार मामला दबाया नहीं जाएगा और दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

निष्कर्ष
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब सत्ता का घमंड सिर चढ़कर बोलता है, तो कानून और मर्यादा दोनों ताक पर रख दिए जाते हैं। अगर अब भी इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं होती, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी होगी।

क्योंकि जब चालान दिखाना भी ‘अपराध’ बन जाए, तो समझिए व्यवस्था में कुछ तो गंभीर गड़बड़ है।


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