जिले में चल रहा महिला संवाद कार्यक्रम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल साबित हो रहा है। इस आयोजन के ज़रिए महिलाएं न केवल स्वरोजगार अपनाने की शपथ ले रही हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपने और अपने परिवार के भविष्य को संवारने का भी संकल्प कर रही हैं।
कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी उनके सशक्तिकरण की मिसाल बनती जा रही है। आधी आबादी की यह पहल न केवल परिवार को मजबूत बना रही है, बल्कि सामाजिक बदलाव की भी नींव रख रही है। महिला संवाद मंच महिलाओं की आवाज़ को बुलंद करने, उनके संघर्षों और सफलता की कहानियों को साझा करने का एक जीवंत जरिया बन गया है।
कार्यक्रम के दौरान सतकौआ पंचायत की रहने वाली खतीजा खातुन ने बताया कि वे विकलांग होने के बावजूद सतत् जीविकोपार्जन योजना से लाभान्वित होकर अब मनिहारी सामान की दुकान चला रही हैं। अकेलेपन और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी आजीविका खुद संभाली। खतीजा की यह जिजीविषा अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही है।
ठाकुरगंज के छैतल पंचायत की नाहिदा खातुन ने बताया कि पहले परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। वे और उनके पति दिहाड़ी मजदूरी कर घर चलाते थे। लेकिन सरकारी योजनाओं जैसे विद्यालय में पोशाक, छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन और साइकिल जैसी सुविधाओं से बच्चों की शिक्षा संभव हो पाई।
कार्यक्रमों में भाग लेने वाली महिलाएं अपने गांव की समस्याओं को भी बेबाकी से उठा रही हैं। इनमें राशन, पेंशन, आवास, शौचालय निर्माण, छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं में सुधार की मांग प्रमुख है। साथ ही स्थानीय सड़क और नाली जैसी बुनियादी समस्याएं भी सामने लाई जा रही हैं।
यह कार्यक्रम महिलाओं के अधिकार, आकांक्षाओं और विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
जिले में चल रहा महिला संवाद कार्यक्रम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल साबित हो रहा है। इस आयोजन के ज़रिए महिलाएं न केवल स्वरोजगार अपनाने की शपथ ले रही हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपने और अपने परिवार के भविष्य को संवारने का भी संकल्प कर रही हैं।
कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी उनके सशक्तिकरण की मिसाल बनती जा रही है। आधी आबादी की यह पहल न केवल परिवार को मजबूत बना रही है, बल्कि सामाजिक बदलाव की भी नींव रख रही है। महिला संवाद मंच महिलाओं की आवाज़ को बुलंद करने, उनके संघर्षों और सफलता की कहानियों को साझा करने का एक जीवंत जरिया बन गया है।
कार्यक्रम के दौरान सतकौआ पंचायत की रहने वाली खतीजा खातुन ने बताया कि वे विकलांग होने के बावजूद सतत् जीविकोपार्जन योजना से लाभान्वित होकर अब मनिहारी सामान की दुकान चला रही हैं। अकेलेपन और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी आजीविका खुद संभाली। खतीजा की यह जिजीविषा अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही है।
ठाकुरगंज के छैतल पंचायत की नाहिदा खातुन ने बताया कि पहले परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। वे और उनके पति दिहाड़ी मजदूरी कर घर चलाते थे। लेकिन सरकारी योजनाओं जैसे विद्यालय में पोशाक, छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन और साइकिल जैसी सुविधाओं से बच्चों की शिक्षा संभव हो पाई।
कार्यक्रमों में भाग लेने वाली महिलाएं अपने गांव की समस्याओं को भी बेबाकी से उठा रही हैं। इनमें राशन, पेंशन, आवास, शौचालय निर्माण, छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं में सुधार की मांग प्रमुख है। साथ ही स्थानीय सड़क और नाली जैसी बुनियादी समस्याएं भी सामने लाई जा रही हैं।
यह कार्यक्रम महिलाओं के अधिकार, आकांक्षाओं और विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
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