बिहार के सियासी समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। खबर है कि राज्य विधानसभा को भंग कराए जाने पर विचार किया जा रहा है। इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार के राहुल गांधी का साथ छोड़ने के मुद्दे पर जब पत्रकारों ने प्रशांत किशोर से सूवाल पूछा तो इंडिया गठबंधन पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरा मत जो पहले था वो अब भी है। इस तरह के गठबंधन जो बनाए जाते हैं जिसमें नेता लोग बैठकर चाय पीते हैं, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और एक इंटेंट जारी किया कि हम लोग सब साथ में हैं। इससे राजनीति की जमीनी हकीकत पर, राजनीतिक-सामाजिक स्थिति पर बहुत फर्क नहीं पड़ता है। जबतक आपके पास कोई नेरेटिव नहीं है, कोई मुद्दा नहीं है, कोई चेहरा नहीं है, काम करने का संगठन नहीं है, संसाधन नहीं है तबतक सिर्फ नेताओं के साथ बैठकर किसी गठबंधन के बना लेने से जमीन पर क्या असर पड़ेगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि जब आप इस तरह का कोई प्रयास करेंगे और असर दिखेगा नहीं, तो भगदड़ आना और थोड़ी बहुत गिरावट आना स्वाभाविक है। आज आए या चुनाव के नतीजों के बाद आए। बेगूसराय के बलिया में प्रेस वार्ता कर प्रशांत किशोर ने कहा कि मान लीजिए इंडिया गठबंधन आज से 6-8 महीने पहले बना। उसकी पहली बैठक पटना में ही हुई। यहां के पत्रकारों ने इतनी बड़ी-बड़ी बातें की, नीतीश कुमार प्रधानमंत्री का चेहरा बन गए, लेकिन उसका कुछ नहीं हुआ। सच्चाई ये है कि इंडिया गठबंधन का आजतक एक भी पब्लिक मीटिंग नहीं हो पाई है। और आप सोच रहे हैं कि पूरा देश आपके साथ खड़ा हो जाएगा। भला ये कैसे संभव है। ये कागजी खानापूर्ति है। स्वभाविक है जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा उसकी सच्चाई लोगों को दिखेगी।
सारस न्यूज, किशनगंज।
बिहार के सियासी समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। खबर है कि राज्य विधानसभा को भंग कराए जाने पर विचार किया जा रहा है। इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार के राहुल गांधी का साथ छोड़ने के मुद्दे पर जब पत्रकारों ने प्रशांत किशोर से सूवाल पूछा तो इंडिया गठबंधन पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरा मत जो पहले था वो अब भी है। इस तरह के गठबंधन जो बनाए जाते हैं जिसमें नेता लोग बैठकर चाय पीते हैं, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और एक इंटेंट जारी किया कि हम लोग सब साथ में हैं। इससे राजनीति की जमीनी हकीकत पर, राजनीतिक-सामाजिक स्थिति पर बहुत फर्क नहीं पड़ता है। जबतक आपके पास कोई नेरेटिव नहीं है, कोई मुद्दा नहीं है, कोई चेहरा नहीं है, काम करने का संगठन नहीं है, संसाधन नहीं है तबतक सिर्फ नेताओं के साथ बैठकर किसी गठबंधन के बना लेने से जमीन पर क्या असर पड़ेगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि जब आप इस तरह का कोई प्रयास करेंगे और असर दिखेगा नहीं, तो भगदड़ आना और थोड़ी बहुत गिरावट आना स्वाभाविक है। आज आए या चुनाव के नतीजों के बाद आए। बेगूसराय के बलिया में प्रेस वार्ता कर प्रशांत किशोर ने कहा कि मान लीजिए इंडिया गठबंधन आज से 6-8 महीने पहले बना। उसकी पहली बैठक पटना में ही हुई। यहां के पत्रकारों ने इतनी बड़ी-बड़ी बातें की, नीतीश कुमार प्रधानमंत्री का चेहरा बन गए, लेकिन उसका कुछ नहीं हुआ। सच्चाई ये है कि इंडिया गठबंधन का आजतक एक भी पब्लिक मीटिंग नहीं हो पाई है। और आप सोच रहे हैं कि पूरा देश आपके साथ खड़ा हो जाएगा। भला ये कैसे संभव है। ये कागजी खानापूर्ति है। स्वभाविक है जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा उसकी सच्चाई लोगों को दिखेगी।
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