पटना: बिहार की जर्जर होती स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। एक रेप पीड़िता को 4 घंटे तक अस्पताल परिसर में एंबुलेंस में तड़पते हुए छोड़ दिया गया, लेकिन अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों ने कोई ध्यान नहीं दिया।
📍क्या है मामला?
जानकारी के मुताबिक, रेप पीड़िता को गंभीर हालत में PMCH लाया गया था। उसे तत्काल इलाज की जरूरत थी, लेकिन अस्पताल के आपातकालीन विभाग ने उसे समय पर भर्ती नहीं किया। पीड़िता लगातार दर्द से तड़पती रही, जबकि डॉक्टर केबिन में आराम करते रहे और किसी ने बाहर आकर मरीज की स्थिति देखने की जहमत तक नहीं उठाई।
— FirstBiharJharkhand (@firstbiharnews) May 31, 2025
🚑 चार घंटे तक एंबुलेंस बनी वार्ड
एंबुलेंस चालक और परिजन कई बार अस्पताल स्टाफ से गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अंततः चार घंटे तक पीड़िता एंबुलेंस में ही पड़ी रही। इस दौरान न तो उसका प्राथमिक इलाज किया गया और न ही उसे स्ट्रेचर या वार्ड में ले जाया गया।
🏥 अस्पताल प्रशासन की लापरवाही
स्थानीय लोगों का आरोप है कि PMCH में अक्सर मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार होता है। डॉक्टर समय पर ड्यूटी पर नहीं आते और नर्सिंग स्टाफ भी संवेदनहीनता का परिचय देते हैं। अस्पताल के एक कर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “हमने डॉक्टरों को इस बारे में बताया था, लेकिन उनका कहना था कि अभी आराम कर रहे हैं।”
⚖️ जांच की मांग
मामला मीडिया में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही, अस्पताल प्रशासन को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मानवाधिकार संगठनों और महिला आयोग ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए पीड़िता को न्याय और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।
बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं पर यह घटना बड़ा सवाल खड़ा करती है — क्या गरीब और असहाय लोगों के लिए अस्पताल अब सिर्फ नाम के रह गए हैं?
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
पटना: बिहार की जर्जर होती स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। एक रेप पीड़िता को 4 घंटे तक अस्पताल परिसर में एंबुलेंस में तड़पते हुए छोड़ दिया गया, लेकिन अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों ने कोई ध्यान नहीं दिया।
📍क्या है मामला?
जानकारी के मुताबिक, रेप पीड़िता को गंभीर हालत में PMCH लाया गया था। उसे तत्काल इलाज की जरूरत थी, लेकिन अस्पताल के आपातकालीन विभाग ने उसे समय पर भर्ती नहीं किया। पीड़िता लगातार दर्द से तड़पती रही, जबकि डॉक्टर केबिन में आराम करते रहे और किसी ने बाहर आकर मरीज की स्थिति देखने की जहमत तक नहीं उठाई।
— FirstBiharJharkhand (@firstbiharnews) May 31, 2025
🚑 चार घंटे तक एंबुलेंस बनी वार्ड
एंबुलेंस चालक और परिजन कई बार अस्पताल स्टाफ से गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अंततः चार घंटे तक पीड़िता एंबुलेंस में ही पड़ी रही। इस दौरान न तो उसका प्राथमिक इलाज किया गया और न ही उसे स्ट्रेचर या वार्ड में ले जाया गया।
🏥 अस्पताल प्रशासन की लापरवाही
स्थानीय लोगों का आरोप है कि PMCH में अक्सर मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार होता है। डॉक्टर समय पर ड्यूटी पर नहीं आते और नर्सिंग स्टाफ भी संवेदनहीनता का परिचय देते हैं। अस्पताल के एक कर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “हमने डॉक्टरों को इस बारे में बताया था, लेकिन उनका कहना था कि अभी आराम कर रहे हैं।”
⚖️ जांच की मांग
मामला मीडिया में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही, अस्पताल प्रशासन को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मानवाधिकार संगठनों और महिला आयोग ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए पीड़िता को न्याय और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।
बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं पर यह घटना बड़ा सवाल खड़ा करती है — क्या गरीब और असहाय लोगों के लिए अस्पताल अब सिर्फ नाम के रह गए हैं?
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