भारतीय न्याय संहिता (BNS) में हाल ही में तकनीक और उसके उपयोग को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, जिसमें प्राथमिकी (FIR) से लेकर ट्रायल तक की सभी प्रक्रियाओं में तकनीक का अनिवार्य उपयोग सुनिश्चित किया गया है। इस दिशा में, न्यायिक प्रक्रिया और जांच को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 4 अगस्त 2024 को ‘ई-साक्ष्य’ नामक ऐप लॉन्च किया। बिहार पुलिस भी इस ऐप को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और इस संबंध में 9 अगस्त 2024 को बिहार के सभी फील्ड ऑफिसर्स के लिए एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
प्रशिक्षण की तैयारी: SCRB की पहल
ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग कुशलतापूर्वक करने के लिए बिहार पुलिस के सभी स्तरों के फील्ड ऑफिसर्स को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण का आयोजन SCRB, CID और NIC द्वारा ऑनलाइन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में थाना प्रभारी से लेकर पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी शामिल होंगे। इस दौरान, ई-साक्ष्य ऐप की प्रमुख विशेषताओं और साक्ष्य संकलन से जुड़े नए आपराधिक कानूनों के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर जानकारी साझा की जाएगी।
ई-साक्ष्य ऐप की विशेषताएं
ई-साक्ष्य ऐप नए कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएगा। इस ऐप के विभिन्न फीचर्स को विशेष रूप से कानून व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है:
ICJS प्लेटफॉर्म: यह प्लेटफार्म पुलिस, कोर्ट, और अन्य संबंधित एजेंसियों के बीच डेटा का सुगम आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है।
पुलिस और कोर्ट एप्लिकेशन: यह एप्लिकेशन केवल उन लोगों को डेटा देखने की सुविधा प्रदान करता है, जिनके पास एक्सेस का अधिकार है।
लॉकर सिस्टम: यह एक सुरक्षित स्टोरेज सिस्टम है, जिसमें डेटा को सुरक्षित तरीके से स्टोर किया जाता है ताकि किसी भी प्रकार की डेटा छेड़छाड़ से बचा जा सके।
जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता: ई-साक्ष्य ऐप की भूमिका
ई-साक्ष्य ऐप पुलिस की कार्रवाई को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। तलाशी और जब्ती कार्रवाई में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को शामिल करने से साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना कम हो जाती है। BNSS की धारा 105 के तहत जब्ती अभियान के दौरान जब्त की गई वस्तुओं की सूची तैयार करने और उन पर निष्पक्ष गवाहों के हस्ताक्षर का भी वीडियोग्राफी करने का प्रावधान किया गया है।
फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रहण में पारदर्शिता
ई-साक्ष्य ऐप के माध्यम से फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रह की प्रक्रिया का भी वीडियोग्राफी किया जा सकता है, जिससे साक्ष्य संग्रहण अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय हो जाता है। BNSS की धारा 176 (3) में भी फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रह की प्रक्रिया में वीडियोग्राफी की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
पुलिस जांच में सुरक्षा
BNSS की धारा 176 (1) के तहत पुलिस जांच के दौरान अभियुक्त के स्वीकारोक्ति बयान के साथ-साथ अन्य गवाहों के बयान को भी ऑडियो-वीडियो माध्यम में रिकॉर्ड किया जा सकेगा। यह प्रावधान पुलिस कस्टडी में पूछताछ के दौरान अभियुक्त पर किसी भी प्रकार के दबाव से सुरक्षा प्रदान करता है।
समापन
कुल मिलाकर, ई-साक्ष्य ऐप जांच प्रक्रिया को अधिक तेज, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाएगा। बिहार पुलिस इस ऐप के उपयोग के लिए पूरी तरह से तैयार है और इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में हाल ही में तकनीक और उसके उपयोग को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, जिसमें प्राथमिकी (FIR) से लेकर ट्रायल तक की सभी प्रक्रियाओं में तकनीक का अनिवार्य उपयोग सुनिश्चित किया गया है। इस दिशा में, न्यायिक प्रक्रिया और जांच को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 4 अगस्त 2024 को ‘ई-साक्ष्य’ नामक ऐप लॉन्च किया। बिहार पुलिस भी इस ऐप को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और इस संबंध में 9 अगस्त 2024 को बिहार के सभी फील्ड ऑफिसर्स के लिए एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
प्रशिक्षण की तैयारी: SCRB की पहल
ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग कुशलतापूर्वक करने के लिए बिहार पुलिस के सभी स्तरों के फील्ड ऑफिसर्स को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण का आयोजन SCRB, CID और NIC द्वारा ऑनलाइन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में थाना प्रभारी से लेकर पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी शामिल होंगे। इस दौरान, ई-साक्ष्य ऐप की प्रमुख विशेषताओं और साक्ष्य संकलन से जुड़े नए आपराधिक कानूनों के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर जानकारी साझा की जाएगी।
ई-साक्ष्य ऐप की विशेषताएं
ई-साक्ष्य ऐप नए कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएगा। इस ऐप के विभिन्न फीचर्स को विशेष रूप से कानून व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है:
ICJS प्लेटफॉर्म: यह प्लेटफार्म पुलिस, कोर्ट, और अन्य संबंधित एजेंसियों के बीच डेटा का सुगम आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है।
पुलिस और कोर्ट एप्लिकेशन: यह एप्लिकेशन केवल उन लोगों को डेटा देखने की सुविधा प्रदान करता है, जिनके पास एक्सेस का अधिकार है।
लॉकर सिस्टम: यह एक सुरक्षित स्टोरेज सिस्टम है, जिसमें डेटा को सुरक्षित तरीके से स्टोर किया जाता है ताकि किसी भी प्रकार की डेटा छेड़छाड़ से बचा जा सके।
जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता: ई-साक्ष्य ऐप की भूमिका
ई-साक्ष्य ऐप पुलिस की कार्रवाई को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। तलाशी और जब्ती कार्रवाई में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को शामिल करने से साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना कम हो जाती है। BNSS की धारा 105 के तहत जब्ती अभियान के दौरान जब्त की गई वस्तुओं की सूची तैयार करने और उन पर निष्पक्ष गवाहों के हस्ताक्षर का भी वीडियोग्राफी करने का प्रावधान किया गया है।
फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रहण में पारदर्शिता
ई-साक्ष्य ऐप के माध्यम से फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रह की प्रक्रिया का भी वीडियोग्राफी किया जा सकता है, जिससे साक्ष्य संग्रहण अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय हो जाता है। BNSS की धारा 176 (3) में भी फॉरेंसिक साक्ष्य संग्रह की प्रक्रिया में वीडियोग्राफी की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
पुलिस जांच में सुरक्षा
BNSS की धारा 176 (1) के तहत पुलिस जांच के दौरान अभियुक्त के स्वीकारोक्ति बयान के साथ-साथ अन्य गवाहों के बयान को भी ऑडियो-वीडियो माध्यम में रिकॉर्ड किया जा सकेगा। यह प्रावधान पुलिस कस्टडी में पूछताछ के दौरान अभियुक्त पर किसी भी प्रकार के दबाव से सुरक्षा प्रदान करता है।
समापन
कुल मिलाकर, ई-साक्ष्य ऐप जांच प्रक्रिया को अधिक तेज, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाएगा। बिहार पुलिस इस ऐप के उपयोग के लिए पूरी तरह से तैयार है और इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है।
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