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हादसे की आड़ में हत्या! 14 वर्षीय छात्र सनाउल्लाह की मौत का खुला राज, पिता की जिद ने प्रशासन को हिलाया।

सारस न्यूज, वेब डेस्क।

एक महीने पहले संदिग्ध हालत में मिले मदरसा छात्र सनाउल्लाह की मौत अब महज एक हादसा नहीं, बल्कि हत्या साबित हो चुकी है। उस वक्त पुलिस और समाज ने इसे एक सामान्य दुर्घटना मानकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था, लेकिन पीड़ित पिता मोहम्मद उमर हुसैन के संदेह ने आखिरकार सच्चाई की परतें खोल दीं।

पिता उमर शुरू से ही बेटे की मौत को ‘हादसा’ मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने लगातार प्रशासन से न्याय की मांग की और अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया है कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि एक सोची-समझी हत्या थी। रिपोर्ट में साफ है कि छात्र के शरीर पर मौत से पहले चोट के निशान थे।

जैसे ही यह सच सामने आया, गांव से लेकर थाना तक हलचल मच गई। अब वही पुलिस जो पहले पिता की बातों को भावुकता मानकर अनदेखा कर रही थी, सक्रिय हो गई है। सोमवार को फारबिसगंज के एसडीपीओ मुकेश कुमार साहा और थाना अध्यक्ष राघवेंद्र कुमार सिंह ने उमर हुसैन के घर जाकर मामले की नए सिरे से जांच शुरू कर दी है। पिता का बयान दर्ज किया गया है और पुलिस अब उन तमाम पहलुओं को खंगाल रही है, जो हत्यारे तक पहुंचा सकते हैं।

पिता उमर ने रोते हुए कहा, “बेटा तो चला गया, लेकिन उसकी आत्मा को इंसाफ दिला कर ही चैन लूंगा। अगर इस साजिश में अपने ही लोग शामिल हैं, तो उन्हें भी बेनकाब कर दूंगा।” उन्होंने यह भी बताया कि घटना के दिन से ही उन्हें कुछ असामान्य लगा था। बेटे की शर्ट कमर में बंधी थी, पैंट गायब थी और शरीर पर पानी के डूबने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं था – जो एक सामान्य डूबने की मौत में देखने को मिलता है।

घटना 17 मार्च 2025 की है, जब दोपहर तीन बजे के करीब नेपाल के घूसकी स्थित मदरसा कासिम हिब्ज का छात्र सनाउल्लाह लापता हो गया था। तीन दिन बाद, 19 मार्च को, जब पुलिस घटना का सीन रीक्रिएट कर रही थी, तभी पास के मक्के के खेतों के बीच स्थित पोखर से उसकी लाश बरामद हुई।

अब जब सच सामने है, पुलिस इस केस की गहराई से जांच कर रही है। एसडीपीओ मुकेश कुमार साहा ने पुष्टि की है कि पोस्टमार्टम में “एंटी मोर्टेम इंजरी” (मृत्यु से पहले की चोट) पाई गई है और पुलिस अब इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

यह घटना न सिर्फ एक हत्या का मामला है, बल्कि हमारे समाज और तंत्र की उस संवेदनहीनता को भी उजागर करती है, जो एक पिता की पुकार को महीनों तक अनसुना करती रही।

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