करीब तीन सप्ताह तक पाकिस्तान रेंजर्स की हिरासत में रहने के बाद बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को बुधवार सुबह भारत को सौंप दिया गया। यह वापसी अमृतसर के अटारी में संयुक्त जांच चौकी (Joint Check Post) पर सुबह 10:30 बजे शांतिपूर्वक और निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत संपन्न हुई। बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर ने इसकी पुष्टि की है।
बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर के इंस्पेक्टर जनरल अतुल फुलज़ेले ने बताया कि जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो 23 अप्रैल 2025 से पाकिस्तान की हिरासत में थे, को आज सुबह 10:30 बजे भारत को सौंपा गया। इस दौरान किसी तरह का तनाव नहीं रहा और प्रक्रिया पूरी तरह से शांतिपूर्ण रही।
गौरतलब है कि शॉ 23 अप्रैल को ड्यूटी के दौरान गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए थे। उनके पास उस समय सर्विस राइफल भी थी। यह घटना पहलगाम में हुए आतंकी हमले के अगले ही दिन हुई थी, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण उनकी वापसी की प्रक्रिया में देरी हुई।
बीएसएफ सूत्रों के मुताबिक, आमतौर पर ऐसी स्थिति में जवान को उसी दिन या अगले दिन वापस सौंप दिया जाता है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद वार्ता और फ्लैग मीटिंग्स ठप पड़ गईं। शांति बहाली के लिए 10 मई को जब सीजफायर की घोषणा हुई, तो उसके चौथे दिन यानी बुधवार को शॉ की वापसी संभव हो सकी।
शॉ की पत्नी रजनी शॉ, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के ऋषड़ा की रहने वाली हैं, ने इस पूरे समय प्रशासन से उनके पति की सुरक्षित वापसी के लिए गुहार लगाई। उन्होंने अपने बेटे और अन्य परिजनों के साथ पंजाब पहुंचकर बीएसएफ अधिकारियों से मुलाकात भी की थी।
बीएसएफ के अनुसार, वापसी के तुरंत बाद जवान को मेडिकल जांच और डिब्रीफिंग के लिए ले जाया गया। जवान के शरीर पर किसी भी तरह की चोट या प्रताड़ना के निशान नहीं पाए गए हैं।
राजनीतिक स्तर पर भी इस मुद्दे को लेकर आवाजें उठीं। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने सोशल मीडिया पर जवान की तुरंत वापसी की मांग की थी। बुधवार को जब पूर्णम कुमार शॉ भारत लौटे, तो उनके परिवार और गांव वालों ने राहत की सांस ली।
पूर्णम कुमार शॉ बीएसएफ की 182वीं बटालियन से जुड़े हैं, जो पंजाब सीमा पर तैनात है। पंजाब फ्रंटियर बीएसएफ का दायित्व 553 किलोमीटर लंबी भारत-पाक सीमा की निगरानी करना है, जिसमें 518 किलोमीटर भूमि और 33 किलोमीटर नदी क्षेत्र शामिल है।
इस घटना ने एक बार फिर से सीमा पर तैनात जवानों के कठिन संघर्ष और उनके परिवारों की भावनात्मक स्थिति को उजागर किया है। शॉ की सुरक्षित वापसी से यह संदेश जरूर गया है कि देश अपने जवानों के साथ है।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
करीब तीन सप्ताह तक पाकिस्तान रेंजर्स की हिरासत में रहने के बाद बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को बुधवार सुबह भारत को सौंप दिया गया। यह वापसी अमृतसर के अटारी में संयुक्त जांच चौकी (Joint Check Post) पर सुबह 10:30 बजे शांतिपूर्वक और निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत संपन्न हुई। बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर ने इसकी पुष्टि की है।
बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर के इंस्पेक्टर जनरल अतुल फुलज़ेले ने बताया कि जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो 23 अप्रैल 2025 से पाकिस्तान की हिरासत में थे, को आज सुबह 10:30 बजे भारत को सौंपा गया। इस दौरान किसी तरह का तनाव नहीं रहा और प्रक्रिया पूरी तरह से शांतिपूर्ण रही।
गौरतलब है कि शॉ 23 अप्रैल को ड्यूटी के दौरान गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए थे। उनके पास उस समय सर्विस राइफल भी थी। यह घटना पहलगाम में हुए आतंकी हमले के अगले ही दिन हुई थी, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण उनकी वापसी की प्रक्रिया में देरी हुई।
बीएसएफ सूत्रों के मुताबिक, आमतौर पर ऐसी स्थिति में जवान को उसी दिन या अगले दिन वापस सौंप दिया जाता है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद वार्ता और फ्लैग मीटिंग्स ठप पड़ गईं। शांति बहाली के लिए 10 मई को जब सीजफायर की घोषणा हुई, तो उसके चौथे दिन यानी बुधवार को शॉ की वापसी संभव हो सकी।
शॉ की पत्नी रजनी शॉ, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के ऋषड़ा की रहने वाली हैं, ने इस पूरे समय प्रशासन से उनके पति की सुरक्षित वापसी के लिए गुहार लगाई। उन्होंने अपने बेटे और अन्य परिजनों के साथ पंजाब पहुंचकर बीएसएफ अधिकारियों से मुलाकात भी की थी।
बीएसएफ के अनुसार, वापसी के तुरंत बाद जवान को मेडिकल जांच और डिब्रीफिंग के लिए ले जाया गया। जवान के शरीर पर किसी भी तरह की चोट या प्रताड़ना के निशान नहीं पाए गए हैं।
राजनीतिक स्तर पर भी इस मुद्दे को लेकर आवाजें उठीं। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने सोशल मीडिया पर जवान की तुरंत वापसी की मांग की थी। बुधवार को जब पूर्णम कुमार शॉ भारत लौटे, तो उनके परिवार और गांव वालों ने राहत की सांस ली।
पूर्णम कुमार शॉ बीएसएफ की 182वीं बटालियन से जुड़े हैं, जो पंजाब सीमा पर तैनात है। पंजाब फ्रंटियर बीएसएफ का दायित्व 553 किलोमीटर लंबी भारत-पाक सीमा की निगरानी करना है, जिसमें 518 किलोमीटर भूमि और 33 किलोमीटर नदी क्षेत्र शामिल है।
इस घटना ने एक बार फिर से सीमा पर तैनात जवानों के कठिन संघर्ष और उनके परिवारों की भावनात्मक स्थिति को उजागर किया है। शॉ की सुरक्षित वापसी से यह संदेश जरूर गया है कि देश अपने जवानों के साथ है।
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