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पाक अधिकृत बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की घोषणा, मीर यार बलोच ने दुनिया से मांगा समर्थन।

सारस न्यूज़, वेब डेस्क।

पाक अधिकृत बलूचिस्तान से बलूच प्रतिनिधि मीर यार बलोच ने 14 मई 2025 को पाकिस्तान से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा कर वैश्विक समुदाय से इस संघर्ष में साथ देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब दुनिया पाकिस्तान द्वारा बलूचों पर किए जा रहे अत्याचारों पर चुप्पी तोड़े।

मीर यार बलोच ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने संदेश में लिखा, “तुम मरोगे हम निकलेंगे, हम नस्ल बचाने निकले हैं। आओ हमारा साथ दो। बलूचिस्तान अब पाकिस्तान नहीं है और यह बलूचों का राष्ट्रीय निर्णय है।”


उन्होंने भारत के नागरिकों, विशेषकर मीडिया, यूट्यूबर्स और बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे बलूच समुदाय को ‘पाकिस्तान के अपने लोग’ कहने से बचें। मीर यार ने कहा कि बलूचों की पहचान पाकिस्तान से नहीं बल्कि बलूचिस्तान से है, और उनकी पीड़ा पंजाबियों जैसी नहीं है जिन्हें न बमबारी झेलनी पड़ी, न जबरन गायब किया गया।

भारत के रुख को मिला बलूच समर्थन

मीर यार बलोच ने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) को लेकर भारत के रुख का समर्थन करते हुए पाकिस्तान से इस क्षेत्र को खाली करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान ने PoK नहीं छोड़ा तो 1971 जैसी एक और शर्मनाक हार का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा, “भारत में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण एक सबक होना चाहिए। पाकिस्तान सेना यदि फिर भी चेतावनी नहीं मानेगी, तो किसी भी संभावित संघर्ष की जिम्मेदारी केवल इस्लामाबाद के लालची जनरल्स की होगी, जो PoK के नागरिकों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।”

भारत और विश्व समुदाय से अपील

बलोच प्रतिनिधि ने भारत सहित पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने और पाकिस्तान के दमनकारी रवैये पर कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में शामिल किया गया था और यह पूरी प्रक्रिया विदेशी ताकतों की साजिश का हिस्सा रही।

उन्होंने यह भी कहा कि दशकों से बलूच जनता अत्याचार, जबरन गायब किए जाने, फर्ज़ी मुठभेड़ों और आवाज़ को कुचलने की नीति का शिकार रही है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हाल के वर्षों में भले ही चिंता जता रही हैं, लेकिन ठोस हस्तक्षेप अब भी नदारद है।

निष्कर्ष

बलूचिस्तान की यह घोषणा केवल पाकिस्तान की एकता के लिए ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक स्थिति के लिए भी एक बड़ा मोड़ हो सकती है। अब यह देखना होगा कि भारत सहित विश्व समुदाय इस घोषणा पर क्या रुख अपनाता है।


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