हरियाणा की 22 वर्षीय मनु भाकर ने रविवार, 28 जुलाई को पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बन गईं। पेरिस के चेटूरॉक्स शूटिंग सेंटर में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया। टोक्यो में दिल टूटने की घटनाओं के तीन साल बाद, भारत की सबसे प्रतिभाशाली शूटरों में से एक ने अपने सपनों को साकार करते हुए देश को गौरवान्वित किया।
मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में भारत का खाता खोला और खेलों में शूटिंग में 12 साल के लंबे इंतजार को समाप्त किया।
मजबूत शुरुआत
रविवार को फाइनल की शुरुआत आत्मविश्वास से भरी हुई थी। जब शूटिंग रेंज में उनका नाम पुकारा गया, तो मनु ने टीवी कैमरों के सामने मुस्कान बिखेर दी, जिससे भारतीय दर्शकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
मनु ने पहले सेट के 5 शॉट्स में 50.4 का स्कोर किया। पहले सेट में उन्होंने तीन बार 10 से अधिक अंक बनाए। दूसरे सेट के 5 शॉट्स में, मनु ने अपना स्कोर 100.3 तक पहुंचाया और पूरे मुकाबले के दौरान शीर्ष 3 में बनी रहीं।
टोक्यो की यादों को पीछे छोड़
टोक्यो ओलंपिक की कड़वी यादों को पीछे छोड़ते हुए, जहां मनु किसी भी इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंच पाई थीं, उन्होंने इस बार उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। मनु ने पिछले साल शूटिंग छोड़ने का फैसला कर लिया था, लेकिन खेल में फिर से खुशियां पाकर उन्होंने वापसी की। ओलंपिक की तैयारी में उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें एक शानदार शूटर बना दिया।
मनु ने क्वालिफिकेशन में तीसरा स्थान प्राप्त किया, जिससे उनका अनुभव और मानसिक स्थिरता दिखाई दी। मनु और उनके कोच जसपाल राणा ने इवेंट से पहले शांति से तैयारी की थी। जसपाल राणा ने इंडिया टुडे से बातचीत में मनु की क्षमता पर भरोसा जताया था।
टोक्यो ओलंपिक की चुनौतियाँ
टोक्यो ओलंपिक में मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल, 25 मीटर पिस्टल, और मिक्स्ड टीम 10 मीटर पिस्टल इवेंट में भाग लिया था। क्वालिफिकेशन इवेंट में पिस्टल में खराबी के कारण उन्हें छह मिनट का नुकसान हुआ, जिसने उनकी एकाग्रता को प्रभावित किया। इस घटना का असर उनके पूरे खेल पर पड़ा और वह खाली हाथ लौट आईं।
मनु भाकर की इस शानदार वापसी ने उन्हें एक बार फिर भारत की शान बना दिया है। उनकी जीत न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि आने वाले युवाओं के लिए भी प्रेरणा है।
हसरत, सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
हरियाणा की 22 वर्षीय मनु भाकर ने रविवार, 28 जुलाई को पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बन गईं। पेरिस के चेटूरॉक्स शूटिंग सेंटर में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया। टोक्यो में दिल टूटने की घटनाओं के तीन साल बाद, भारत की सबसे प्रतिभाशाली शूटरों में से एक ने अपने सपनों को साकार करते हुए देश को गौरवान्वित किया।
मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में भारत का खाता खोला और खेलों में शूटिंग में 12 साल के लंबे इंतजार को समाप्त किया।
मजबूत शुरुआत
रविवार को फाइनल की शुरुआत आत्मविश्वास से भरी हुई थी। जब शूटिंग रेंज में उनका नाम पुकारा गया, तो मनु ने टीवी कैमरों के सामने मुस्कान बिखेर दी, जिससे भारतीय दर्शकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
मनु ने पहले सेट के 5 शॉट्स में 50.4 का स्कोर किया। पहले सेट में उन्होंने तीन बार 10 से अधिक अंक बनाए। दूसरे सेट के 5 शॉट्स में, मनु ने अपना स्कोर 100.3 तक पहुंचाया और पूरे मुकाबले के दौरान शीर्ष 3 में बनी रहीं।
टोक्यो की यादों को पीछे छोड़
टोक्यो ओलंपिक की कड़वी यादों को पीछे छोड़ते हुए, जहां मनु किसी भी इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंच पाई थीं, उन्होंने इस बार उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। मनु ने पिछले साल शूटिंग छोड़ने का फैसला कर लिया था, लेकिन खेल में फिर से खुशियां पाकर उन्होंने वापसी की। ओलंपिक की तैयारी में उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें एक शानदार शूटर बना दिया।
मनु ने क्वालिफिकेशन में तीसरा स्थान प्राप्त किया, जिससे उनका अनुभव और मानसिक स्थिरता दिखाई दी। मनु और उनके कोच जसपाल राणा ने इवेंट से पहले शांति से तैयारी की थी। जसपाल राणा ने इंडिया टुडे से बातचीत में मनु की क्षमता पर भरोसा जताया था।
टोक्यो ओलंपिक की चुनौतियाँ
टोक्यो ओलंपिक में मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल, 25 मीटर पिस्टल, और मिक्स्ड टीम 10 मीटर पिस्टल इवेंट में भाग लिया था। क्वालिफिकेशन इवेंट में पिस्टल में खराबी के कारण उन्हें छह मिनट का नुकसान हुआ, जिसने उनकी एकाग्रता को प्रभावित किया। इस घटना का असर उनके पूरे खेल पर पड़ा और वह खाली हाथ लौट आईं।
मनु भाकर की इस शानदार वापसी ने उन्हें एक बार फिर भारत की शान बना दिया है। उनकी जीत न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि आने वाले युवाओं के लिए भी प्रेरणा है।
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