सारस न्यूज़, किशनगंज।
नई दिल्ली:
आर्यन खान की पहली वेब सीरीज़ ‘बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ के रिलीज़ होते ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व मुंबई जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। वानखेड़े ने इस सीरीज़ को लेकर नेटफ्लिक्स और शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
वानखेड़े का बयान — “यह मेरी गरिमा का मामला है”
समीर वानखेड़े ने मीडिया से बात करते हुए कहा —
“मेरा व्यक्तिगत मानना है कि इस सीरीज़ का मेरे पेशे से कोई लेना-देना नहीं है। मैंने अपनी व्यक्तिगत हैसियत से दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए मैं उस पर अधिक टिप्पणी नहीं करूंगा। यह आत्म-सम्मान, व्यक्तिगत गरिमा और सम्मान का मामला है।”
वानखेड़े ने आगे बताया कि ‘बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ के प्रसारण के बाद उन्हें पाकिस्तान और यूएई से कई नफरत भरे संदेश मिल रहे हैं।
“नशाखोरी के खिलाफ काम करने वालों का अपमान”
पूर्व NCB अधिकारी ने कहा —
“आप व्यंग्य या पैरोडी बनाएं, लेकिन अपने लोगों या अपने पेशे पर बनाएं। नशाखोरी आज हमारे देश की बड़ी समस्या है। ऐसी चीज़ें दिखाकर आप न केवल मेरा, बल्कि उन तमाम लोगों का अपमान कर रहे हैं जो ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में लगे हैं।”
“मुझे हमारी न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है”
वानखेड़े ने कहा कि उन्हें भारतीय न्यायपालिका, संविधान और सरकारी व्यवस्था पर पूर्ण विश्वास है।
“मैं भारत सरकार का वफादार सिपाही हूं। हमारी व्यवस्था में जांच और संतुलन की मजबूत प्रणाली है। हम नियमों और कानूनों के अनुसार काम करते हैं। यह प्रचार का नहीं, बल्कि सम्मान का विषय है। मुझे जितने नफरत भरे संदेश मिल रहे हैं, कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति इस पर चुप नहीं रहेगा। मैं यह कानूनी लड़ाई हर स्तर तक लड़ूंगा।”
दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाही
8 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने वानखेड़े की दीवानी मानहानि याचिका पर सुनवाई करते हुए रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, नेटफ्लिक्स, और अन्य को समन जारी किया।
कोर्ट ने सभी पक्षों को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर 2025 को होगी।
वानखेड़े के आरोप
वानखेड़े ने अपनी याचिका में दावा किया कि ‘बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ में दिखाया गया कंटेंट भ्रामक, झूठा और मानहानिकारक है।
उन्होंने कहा —
“यह सीरीज़ नशीली दवाओं के खिलाफ काम करने वाली एजेंसियों को गलत तरीके से पेश करती है, जिससे जनता का भरोसा कानून प्रवर्तन संस्थानों से कम हो सकता है।”
इसके साथ ही उन्होंने स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा, घोषणा, और हर्जाने की मांग भी की है।
