ज़हरीले सांपों से 200 बार कटवाया, अब टिम फ्रीडे के खून से बन रही है नई एंटीवेनम दवा
वैज्ञानिकों की एक टीम एक अनोखे प्रयोग पर काम कर रही है, जिसमें अमेरिका के रहने वाले टिम फ्रीडे के खून से एक नई और व्यापक एंटीवेनम दवा तैयार की जा रही है। इस प्रयास का उद्देश्य ऐसी दवा बनाना है जो किसी भी सांप के काटने पर कारगर साबित हो।
टिम फ्रीडे बीते दो दशकों से खुद को खतरनाक सांपों से जानबूझकर कटवाते रहे हैं। अब तक वे 200 से अधिक बार खुद को काटवा चुके हैं, जिससे उनके खून में ज़हर के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, उनके शरीर में विकसित हुई एंटीबॉडीज सांप के ज़हर को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं, और इन्हीं से नई एंटीवेनम तैयार की जा रही है।
वर्तमान में जो एंटीवेनम उपलब्ध हैं, वे केवल कुछ चुनिंदा सांपों के ज़हर के लिए प्रभावी होते हैं। लेकिन टिम के खून से तैयार की जा रही दवा सभी प्रकार के विषैले सांपों के ज़हर को बेअसर करने की क्षमता रख सकती है। जानवरों पर की गई शुरुआती टेस्टिंग में यह पाया गया है कि टिम के ब्लड सैंपल से प्राप्त एंटीबॉडीज ज़हर के कई गंभीर प्रभावों को रोकने में कारगर रही हैं।
फ्रीडे, जो पहले एक ट्रक मैकेनिक थे, ने यह मिशन तब शुरू किया जब वे सांपों को संभालते हुए खुद को सुरक्षित रखने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। शुरुआत में उन्होंने सबसे जहरीले सांपों जैसे ब्लैक मंबा, कोबरा, ताइपन और करैत के ज़हर को इंजेक्शन के जरिए शरीर में लेना शुरू किया। हालांकि, दो बार कोबरा के काटने से उन्हें कोमा में भी जाना पड़ा।
टिम का कहना है कि उन्होंने ये जोखिम भरा रास्ता दूसरों की मदद के इरादे से अपनाया। उनका लक्ष्य था एक ऐसी दवा विकसित करना जो दुनिया के उन इलाकों में लोगों की जान बचा सके जहां आज भी सांप के काटने से बड़ी संख्या में मौतें होती हैं।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 1.4 लाख लोगों की मौत सांप के काटने से होती है, जबकि करीब पांच लाख लोग स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं या उनके अंग काटने पड़ते हैं।
फिलहाल जो एंटीवेनम बनाए जाते हैं, उनमें घोड़े जैसे जानवरों को ज़हर की हल्की खुराक दी जाती है, जिससे उनकी इम्यून सिस्टम प्रतिक्रिया देता है और एंटीबॉडी बनाता है। इन्हीं को उपचार के लिए उपयोग में लाया जाता है। अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि टिम फ्रीडे की इस अनोखी पहल से एंटीवेनम की दुनिया में एक नई क्रांति आ सकती है।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
ज़हरीले सांपों से 200 बार कटवाया, अब टिम फ्रीडे के खून से बन रही है नई एंटीवेनम दवा
वैज्ञानिकों की एक टीम एक अनोखे प्रयोग पर काम कर रही है, जिसमें अमेरिका के रहने वाले टिम फ्रीडे के खून से एक नई और व्यापक एंटीवेनम दवा तैयार की जा रही है। इस प्रयास का उद्देश्य ऐसी दवा बनाना है जो किसी भी सांप के काटने पर कारगर साबित हो।
टिम फ्रीडे बीते दो दशकों से खुद को खतरनाक सांपों से जानबूझकर कटवाते रहे हैं। अब तक वे 200 से अधिक बार खुद को काटवा चुके हैं, जिससे उनके खून में ज़हर के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, उनके शरीर में विकसित हुई एंटीबॉडीज सांप के ज़हर को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं, और इन्हीं से नई एंटीवेनम तैयार की जा रही है।
वर्तमान में जो एंटीवेनम उपलब्ध हैं, वे केवल कुछ चुनिंदा सांपों के ज़हर के लिए प्रभावी होते हैं। लेकिन टिम के खून से तैयार की जा रही दवा सभी प्रकार के विषैले सांपों के ज़हर को बेअसर करने की क्षमता रख सकती है। जानवरों पर की गई शुरुआती टेस्टिंग में यह पाया गया है कि टिम के ब्लड सैंपल से प्राप्त एंटीबॉडीज ज़हर के कई गंभीर प्रभावों को रोकने में कारगर रही हैं।
फ्रीडे, जो पहले एक ट्रक मैकेनिक थे, ने यह मिशन तब शुरू किया जब वे सांपों को संभालते हुए खुद को सुरक्षित रखने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। शुरुआत में उन्होंने सबसे जहरीले सांपों जैसे ब्लैक मंबा, कोबरा, ताइपन और करैत के ज़हर को इंजेक्शन के जरिए शरीर में लेना शुरू किया। हालांकि, दो बार कोबरा के काटने से उन्हें कोमा में भी जाना पड़ा।
टिम का कहना है कि उन्होंने ये जोखिम भरा रास्ता दूसरों की मदद के इरादे से अपनाया। उनका लक्ष्य था एक ऐसी दवा विकसित करना जो दुनिया के उन इलाकों में लोगों की जान बचा सके जहां आज भी सांप के काटने से बड़ी संख्या में मौतें होती हैं।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 1.4 लाख लोगों की मौत सांप के काटने से होती है, जबकि करीब पांच लाख लोग स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं या उनके अंग काटने पड़ते हैं।
फिलहाल जो एंटीवेनम बनाए जाते हैं, उनमें घोड़े जैसे जानवरों को ज़हर की हल्की खुराक दी जाती है, जिससे उनकी इम्यून सिस्टम प्रतिक्रिया देता है और एंटीबॉडी बनाता है। इन्हीं को उपचार के लिए उपयोग में लाया जाता है। अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि टिम फ्रीडे की इस अनोखी पहल से एंटीवेनम की दुनिया में एक नई क्रांति आ सकती है।
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