दशहरा के अवसर पर अंग्रेज के जमाने से चल रही गलगलिया थाना क्षेत्र का चुरली मेला के तीसरे अंतिम दिन गुरुवार को काफी भीड़ देखी गई। दुर्गा माता के नाम से यह मेला नवमी से लेकर एकादशी तक लगती है। कुछ वर्षों से यह मेला बड़ा रूप लेता जा रहा है। लाखों श्रद्धालु दुर्गा माता के मंदिर में माथा टेकने आते हैं। बिहार बंगाल, सिक्किम एवं आसाम के साथ साथ नेपाल के विभिन्न जिलों लोग माता के दर्शन कर मन्नतें मांगने आते हैं। माँ दुर्गा पूजन का सिलसिला दशमी तक जारी रही।
इस दौरान कतार में घंटों खड़ी महिलाएं अपनी बारी का इंतजार करती दिखीं। मंदिर में देवी प्रतिमा के दर्शन एवं पूजन को लेकर आपाधापी मची रही। मंदिर के मुख्य द्वार के समक्ष दर्शन को आतुर महिलाओं में ज्यादा होड़ मची थी। माना जाता है कि माता रानी के दर पर अपनी फरियाद लेकर आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता। हर वर्ष मेले में सर्कस, मौत का कुंवा, चित्रहार, झूला लगती है। मेले में महिलाओं के खरीदारी का इंतजाम प्रमुखता से की गई है साथ ही खाने की दुकानें जैसे चाट, जलेबी, चाउमीन आदि की कई सारी दुकानें लगाई गई हैं।
महिलाओं ने जमकर की खरीदारी
मेला परिसर सिन्दूर, बिंदी, प्रसाद, पूजा सामग्री से सजी दुकानों से पटा पड़ा था। महिलाओं की भाड़ी भीड़ पूजन एवं सौंदर्य प्रसाधनों की खरीद को लेकर यहाँ जुटी रहीं। इसके अलावा झूला,सर्कस, जादू तथा अन्य मनोरंजन के साधन भी भीड़ को अपनी ओर खींच रहे थे। बच्चों ने इनका खूब आनंद उठाया। वहीं महिलाएं खरीदारी में व्यस्त रहीं। चाट पकौड़े तथा मिठाई की दुकानों में भी काफी भीड़ दिखी।
लोग ऐसे उतारते हैं मनौतियां
बलि प्रथा बंद होने के कारण माँ भगवती के दरबार में लोगों द्वारा अपनी मनौतियां उतारने के लिए। हजार से भी अधिक कबूतर व बकरा को बलि के रूप में पुरोहित के द्वारा मंत्र उच्चारण कर छोड़ी गई। अथवा श्रद्धालु अपने घर ले गए।कारण यहां कई वर्षों से बली प्रथा बंद है।
सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम
मेले में किसी प्रकार की अनियमितता न हो इसके लिए गलगलिया पुलिस तैनात की गई थी। मेले में चोरी छुपे शराब की बिक्री न हो इसके लिए भी पुलिस चारो ओर गस्त कर रही थी। मनचले व आवारा किस्म के लोगों से निपटने के लिए खुद थानाध्यक्ष सरोज कुमार चप्पे -चप्पे पर नजर बनाये हुए थे। ताकि मेले में खासकर महिलाएं श्रद्धालु बेखौफ घूम सके।
आयोजन कमिटी द्वारा सुविधा
मेला आयोजन कमिटी द्वारा श्राद्धालुओं की सुविधा हेतु पेयजल, शौचालय सहित चिकित्सा कर्मियों की एक टीम भी यहाँ तैनात की गयी थी। ताकि किसी अप्रिय स्थिति से तत्काल निपटा जा सके।
विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
दशहरा के अवसर पर अंग्रेज के जमाने से चल रही गलगलिया थाना क्षेत्र का चुरली मेला के तीसरे अंतिम दिन गुरुवार को काफी भीड़ देखी गई। दुर्गा माता के नाम से यह मेला नवमी से लेकर एकादशी तक लगती है। कुछ वर्षों से यह मेला बड़ा रूप लेता जा रहा है। लाखों श्रद्धालु दुर्गा माता के मंदिर में माथा टेकने आते हैं। बिहार बंगाल, सिक्किम एवं आसाम के साथ साथ नेपाल के विभिन्न जिलों लोग माता के दर्शन कर मन्नतें मांगने आते हैं। माँ दुर्गा पूजन का सिलसिला दशमी तक जारी रही।
इस दौरान कतार में घंटों खड़ी महिलाएं अपनी बारी का इंतजार करती दिखीं। मंदिर में देवी प्रतिमा के दर्शन एवं पूजन को लेकर आपाधापी मची रही। मंदिर के मुख्य द्वार के समक्ष दर्शन को आतुर महिलाओं में ज्यादा होड़ मची थी। माना जाता है कि माता रानी के दर पर अपनी फरियाद लेकर आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता। हर वर्ष मेले में सर्कस, मौत का कुंवा, चित्रहार, झूला लगती है। मेले में महिलाओं के खरीदारी का इंतजाम प्रमुखता से की गई है साथ ही खाने की दुकानें जैसे चाट, जलेबी, चाउमीन आदि की कई सारी दुकानें लगाई गई हैं।
महिलाओं ने जमकर की खरीदारी
मेला परिसर सिन्दूर, बिंदी, प्रसाद, पूजा सामग्री से सजी दुकानों से पटा पड़ा था। महिलाओं की भाड़ी भीड़ पूजन एवं सौंदर्य प्रसाधनों की खरीद को लेकर यहाँ जुटी रहीं। इसके अलावा झूला,सर्कस, जादू तथा अन्य मनोरंजन के साधन भी भीड़ को अपनी ओर खींच रहे थे। बच्चों ने इनका खूब आनंद उठाया। वहीं महिलाएं खरीदारी में व्यस्त रहीं। चाट पकौड़े तथा मिठाई की दुकानों में भी काफी भीड़ दिखी।
लोग ऐसे उतारते हैं मनौतियां
बलि प्रथा बंद होने के कारण माँ भगवती के दरबार में लोगों द्वारा अपनी मनौतियां उतारने के लिए। हजार से भी अधिक कबूतर व बकरा को बलि के रूप में पुरोहित के द्वारा मंत्र उच्चारण कर छोड़ी गई। अथवा श्रद्धालु अपने घर ले गए।कारण यहां कई वर्षों से बली प्रथा बंद है।
सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम
मेले में किसी प्रकार की अनियमितता न हो इसके लिए गलगलिया पुलिस तैनात की गई थी। मेले में चोरी छुपे शराब की बिक्री न हो इसके लिए भी पुलिस चारो ओर गस्त कर रही थी। मनचले व आवारा किस्म के लोगों से निपटने के लिए खुद थानाध्यक्ष सरोज कुमार चप्पे -चप्पे पर नजर बनाये हुए थे। ताकि मेले में खासकर महिलाएं श्रद्धालु बेखौफ घूम सके।
आयोजन कमिटी द्वारा सुविधा
मेला आयोजन कमिटी द्वारा श्राद्धालुओं की सुविधा हेतु पेयजल, शौचालय सहित चिकित्सा कर्मियों की एक टीम भी यहाँ तैनात की गयी थी। ताकि किसी अप्रिय स्थिति से तत्काल निपटा जा सके।
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